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    India-Indonesia: रक्षा व कारोबारी संबंधों को प्रगाढ़ करेंगे भारत-इंडोनेशिया, द्विपक्षीय बैठक में बनी सहमति

    Updated: Sat, 25 Jan 2025 11:05 PM (IST)

    हिंद प्रशांत क्षेत्र के देश इंडोनेशिया के साथ भारत के सैन्य संबंध आने वाले दिनों में और ज्यादा प्रगाढ़ होंगे। शनिवार को यहां पीएम नरेन्द्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुबियांतो की अगुवाई में हुई द्विपक्षीय वार्ता में रक्षा संबंधों के साथ ही कारोबारी व सांस्कृतिक संबंधों के सारे आयामों पर विस्तार से बात हुई है और इसे मजबूत बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा हुई है।

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    पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति सुबियांतो के बीच द्विपक्षीय बैठक में बनी सहमति

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हिंद प्रशांत क्षेत्र के देश इंडोनेशिया के साथ भारत के सैन्य संबंध आने वाले दिनों में और ज्यादा प्रगाढ़ होंगे। शनिवार को यहां पीएम नरेन्द्र मोदी और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो की अगुवाई में हुई द्विपक्षीय वार्ता में रक्षा संबंधों के साथ ही कारोबारी व सांस्कृतिक संबंधों के सारे आयामों पर विस्तार से बात हुई है और इसे मजबूत बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों पर चर्चा हुई है।

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    राष्ट्रपति सुबियांतों का स्वागत करते हुए गर्व हो रहा है- मोदी

    पीएम मोदी ने भारत की तरफ से इंडोनेशिया के परंबानन हिंदू मंदिर के जीर्णोद्धार करने का प्रस्ताव रखा है, इस बारे में आगे विस्तार से बात होगी। राष्ट्रपति सुबियांतो इस साल गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश के राजकीय मेहमान होंगे। पीएम मोदी ने कहा है कि उन्हें राष्ट्रपति सुबियांतों का स्वागत करते हुए गर्व हो रहा है।

    हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति पर बात हुई

    पीएम मोदी ने संकेत दिया है कि दोनों नेताओं के बीच हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति पर बात हुई है। मोदी ने कहा कि हम इस क्षेत्र में अमन-शांति बना कर रखने, सभी को एक समान अवसर देने और वैश्विक कानून का पालन करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं। यह बयान इसलिए महत्वपूर्ण है कि पिछले दो महीनों में मलयेशिया के बाद इंडोनेशिया इस क्षेत्र का दूसरा देश है जिसके साथ भारत की उच्चस्तरीय बात हुई है।

    इन दोनों वार्ताओं में हिंद प्रशांत क्षेत्र का मुद्दा उठा है। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी से हर देश चिंतित है। इस समुद्री क्षेत्र में स्थित हर देश के साथ चीन का सीमा विवाद चल रहा है। इस क्षेत्र को ध्यान में रख कर ही भारत ने अमेरिका, आस्ट्रेलिया और जापान के साथ मिलकर क्वाड जैसा संगठन गठित किया हुआ है।

    शनिवार को जिस तरह से भारत और इंडोनेशिया के शीर्ष नेताओं के बीच रक्षा सहयोग को लेकर बात हुई है वह भी इन देशों के बीच बढ़ते सहयोग को बताता है। इंडोनेशिया भारत की तरह ही रूस निर्मित युद्ध सामग्रियों व हथियारों का उपयोग करता है और वह चाहता है कि इनके लिए आवश्यक उपकरणों व कल-पुर्जों का आयात भारत से करे।इसके अलावा भी इंडोनेशिया समुद्री सहयोग को मजबूत करने में रूचि ले रहा है।

    राष्ट्रपति सुबियांतो ने कहा है कि वह जल्द ही एक उच्चस्तरीय दल भारत भेजेंगे जो रक्षा सहयोग के भावी रोडमैप पर काम करेगा। दोनों देश सैन्य प्रशिक्षण, सैन्य अभ्यास व सैन्य मैन्यफैक्चरिंग पर काम करेंगे।

    रक्षा, सुरक्षा, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग, कारोबार पर हुई बात

    पीएम मोदी ने कहा कि, “हमने भारत-इंडोनेशिया संबंधों के कई आयामों पर बात की है। रक्षा, सुरक्षा, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग, कारोबार, फिनटेक, आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस जैसे विषयों पर विस्तार से बात हुई है। दोनों देश कई वैश्विक मंचों पर आपसी सहयोग से काम कर रहे हैं। भारत की एक्ट ईस्ट नीति में इंडोनेशिया एक अहम केंद्र है। हम ब्रिक्स में इंडोनेशिया के शामिल होने का स्वागत करते हैं। खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा और आपदा प्रबंधन ऐसे क्षेत्र हैं जहां हम काफी करीबी तौर पर काम कर सकते हैं।''

    मोदी ने इंडोशनिया में भारत की मदद से बोरोबुदूर बौद्ध मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद अब परंबानन हिंदू मंदिर के जीर्णोद्धार करने की घोषणा की। मोदी और सुबियांतों के बीच हुई वार्ता के बाद दोनों देशों के बीच हेल्थ, सामुद्रिक सुरक्षा, संस्कृति व डिजिटल स्पेस जैसे क्षेत्रों में पांच अहम समझौतों पर हस्ताक्षर हुए हैं।

    इंडोनेशिया भारत की शिक्षा और हेल्थ सेक्टर में प्रगति से काफी प्रभावित है और राष्ट्रपति सुबियांतों इन दोनों सेक्टरों में भारत की मदद मांगी है। उन्होंने खास तौर पर भारत की उच्च शैक्षणिक संस्थानों को अपने देश में कैंपस स्थापित करने के लिए आमंत्रित किया है।

    भारत व इंडोनेशिया के बीच तेजी से बढ़ा द्विपक्षी कारोबार

    भारत व इंडोनेशिया के बीच तेजी से बढ़ते द्विपक्षी कारोबार का जिक्र पीएम मोदी ने भी किया है। हालांकि यह कारोबार पूरी तरह से इंडोनेशिया के पक्ष में है। द्विपक्षीय कारोबार 30 अरब डॉलर का है जिसमें 26 अरब डॉलर का आयात भारत का है। इसे दूर करने को लेकर दोनों देशों के बीच विमर्श चल रहा है।