Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत-घाना के बीच हुए बड़े समझौते, यहां चीन भी कर चुका है निवेश; पीएम मोदी के फैसले से क्यों बेचैन ड्रैगन?

    घाना और भारत रक्षा संबंधों को मजबूत करने और व्यापारिक रिश्तों को बढ़ाने के लिए उत्सुक है। भारत ने घाना को खाद्यान्न और वैक्सीन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का वादा किया है। घाना जिसमें बहुमूल्य धातुओं का भंडार है भारतीय कंपनियों के साथ खनन और शोधन के लिए तैयार है।

    By Jagran News Edited By: Manish Negi Updated: Thu, 03 Jul 2025 07:00 PM (IST)
    Hero Image
    भारत और घाना के बीच अहम समझौते (फोटो पीटीआई)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अफ्रीकी महादेश के सबसे स्थिर देशों में से एक घाना और भारत ना सिर्फ रक्षा संबंधों को प्रगाढ़ बनाने बल्कि द्विपक्षीय कारोबारी संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूती से अपनाये इस देश को भारत ने खाद्यान्न उत्पादन और वैक्सीन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने में मदद करने का आश्वासन दिया है। जबकि कई तरह के बहुमूल्य धातुओं के अकूत भंडार वाले इस देश भारतीय कंपनियों के साथ मिल कर उनका खनन व शोधन करने को भी तैयार है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    घाना की राजधानी आकरा में पीएम नरेन्द्र मोदी और घाना के राष्ट्रपति डॉ. जॉन महामा के बीच हुई बैठक में उक्त क्षेत्रों में भावी सहयोग की सहमति बनी। पीएम मोदी बुधवार रात्रि को आकरा पहुंचे जहां एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति महामा ने उनका स्वागत किया। बाद में दोनों नेताओं के बीच दो चरणों में बैठक हुई।

    पीएम मोदी को दिया गया सर्वोच्च नागरिक सम्मान

    बैठक के बाद पीएम मोदी को घाना का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, “द ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द स्टार ऑफ घाना'' दिया गया। भारतीय प्रधानमंत्री का यह सम्मान उनके नेतृत्व, साहसिक सुधारों के लिए जरूरी कदम उठाने, वैश्विक विकास और भारत व घाना के संबंधों को प्रगाढ़ बनाने में योगदान देने के लिए दिया गया।

    पीएम मोदी से पहले यह सम्मान ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला, यूएन के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान जैसे लोगों को दिया गया है।

    घाना के राष्ट्रपति ने क्या कहा?

    राष्ट्रपति महामा की अगुवाई में उच्चस्तरीय बैठक में पीएम मोदी ने घाना के जीवंत लोकतंत्र को दूसरे देशों के लिए अनुकरणीय बताते हुए कहा, 'घाना के राष्ट्र निर्माण में भारत एक सह-यात्री है। हमने तीन अरब डॉलर के द्विपक्षीय कारोबार को पार करते हुए अगले पांच वर्षों में छह अरब डॉलर के कारोबार का लक्ष्य रखा है। भारत यूपीआई का अनुभव घाना के साथ साझा करने को तैयार है।'

    राष्ट्रपति महामा ने खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनते हुए अफ्रीका का फूड बास्केट बनने की अपनी महत्वाकांक्षा जताई, जिसमें हरसंभव मदद देने का आश्वासन पीएम मोदी ने सहर्ष दिया। घाना के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण, समुद्री डाकुओं से रक्षा करने में आवश्यक प्रशिक्षण व साइबर सुरक्षा में भी भारत मदद देगा।

    आतंकवाद की निंदा

    आतंकवाद को लेकर भी दोनों देशों के बीच एक जैसी सोच है। राष्ट्रपति महामा ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़े शब्दों में निंदा की है। भारत घाना को अपने रक्षा उपकरणों के लिए भी एक अहम बाजार के तौर पर देख रहा है। इस बारे में शीघ्र ही वार्ता की शुरुआत होगी।

    घाना में चीन का भी निवेश

    क्रिटिकल मिनिरल्स यानी इलेक्ट्रिक वाहन, कंप्यूटर, सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले बहुमूल्य धातुओं का घाना के पास बहुत बड़ा भंडार है। इस बारे में सहयोग को लेकर भारत खास तौर पर उत्साहित है। वैसे चीन ने इस क्षेत्र में काफी निवेश कर रखा है, लेकिन अफ्रीका के अन्य देशों की तरफ घाना भी चीन के अलावा दूसरे विकल्पों को देख रहा है।

    घाना से बड़ी मात्रा में सोना आयात करता है भारत

    बता दें कि घाना को सोने की खान भी कहा जाता है। घाना भारत को बड़े पैमाने पर कई वस्तुओं का निर्यात करता है। भारत के आयात में 70 फीसदी हिस्सेदारी गोल्ड की है।

    महामा से इस बारे में बात भी हुई है जिसका जिक्र पीएम मोदी ने अपने भाषण में भी किया। घाना चाहता है कि भारतीय कंपनियां इस क्षेत्र में निवेश करें। राष्ट्रपति महामा ने कहा कि भारतीय कंपनियां इन धातुओं के खनन व शोधन में निवेश करें। पीएम मोदी घाना समेत पांच देशों की यात्रा पर बुधवार सुबह भारत से रवाना हुए।