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    गंगा नदी जल बंटवारे पर भारत-बांग्लादेश के बीच हुई अहम बैठक, फरक्का समझौते को लेकर क्या हुई बात?

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 10:30 PM (IST)

    भारत और बांग्लादेश ने गंगा नदी जल बंटवारे समेत बाढ़ और नदी प्रबंधन पर महत्वपूर्ण वार्ता की। इस दौरान 2026 में समाप्त हो रहे गंगा नदी के जल बंटवारे के फरक्का समझौते के नवीनीकरण पर मुख्य रूप से चर्चा हुई। 1972 में गठित संयुक्त नदी आयोग (जेआरसी) की बैठक में बाढ़ प्रबंधन और डेटा के आदान-प्रदान पर भी बात हुई।

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    गंगा नदी जल बंटवारे पर भारत-बांग्लादेश के बीच हुई अहम बैठक (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ संबंधों में तनाव के बाद भी भारत ने बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल बंटवारे सहित बाढ़ और नदी प्रबंधन जैसे विषयों पर मंगलवार को एक अहम बैठक की है।

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    इस दौरान 2026 में खत्म हो रहे गंगा नदी के जल बंटवारे को लेकर हुए फरक्का समझौते के नवीनीकरण के मुद्दे पर मुख्य रूप चर्चा हुई है। बैठक में बांग्लादेश के दस सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने हिस्सा लिया है। जबकि भारत की ओर से जल शक्ति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का प्रतिमंडल शामिल था।

    भारत-बांग्लादेश के बीच नदियों के बेहतर प्रबंधन और बाढ़ प्रबंधन को गठित संयुक्त नदी आयोग (जेआरसी) की हुए इस बैठक में बाढ़ प्रबंधन और आंकड़ों के आदान-प्रदान पर भी चर्चा हुई। दोनों देशों के बीच इस आयोग का गठन 1972 में हुआ था।

    कब हुआ फरक्का समझौता?

    बाद में इसी आयोग की देखरेख में दोनों देशों के बीच गंगा नदी के जल बंटवारे को लेकर 1996 में फरक्का समझौता भी हुआ था। जल शक्ति मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक फरक्का समझौता 30 वर्ष के लिए था। जो अगले साल यानी 2026 में खत्म हो रहा है।

    ऐसे में दोनों ही देश अपने हितों को देखते हुए इस समझौते को फिर नवीनीकरण करना चाहते है। जल शक्ति मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक दोनों देशों के बीच गठित इस आयोग की बैठक करीब तीन घंटे से अधिक समय तक चली। इस दौरान दोनों ही देशों में अपने हितों को एक-दूसरे के साझा किया।

    होंगी और बैठकें

    साथ ही समझौते के नवीनीकरण के लिए जल्द ही और बैठकें करने को चर्चा हुई। इसे लेकर अगली बैठक ढाका में हो सकती है। गौरतलब है कि बांग्लादेश और भारत के एक-दूसरे के साथ 54 नदियों को साझा करते है। ऐसे में दोनों देशों के बीच जल और बाढ़ प्रबंधन बेहद जरूरी है।

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