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    'आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा है भारत', 23वें ASEAN Summit में बोले पीएम मोदी

    Updated: Sun, 26 Oct 2025 10:30 PM (IST)

    भारत और आसियान ने 2026 को समुद्री सहयोग वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। पीएम मोदी ने 23वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में यह घोषणा की। भारत आसियान देशों के साथ समुद्री सुरक्षा और आर्थिक विकास को मजबूत करेगा। दोनों पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करेंगे, जिससे आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन होगा।

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    पीएम ने कहा कि भारत समुद्र से जुड़े हर क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाएगा

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और आसियान (दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का संगठन) ने वर्ष 2026 को समुद्री सहयोग वर्ष के तौर पर मनाने का फैसला किया है। इस बात की घोषणा पीएम नरेन्द्र मोदी ने 23वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में शुरुआती भाषण देते हुए की। यह सम्मेलन मलेशिया में आयोजित हुआ जिसे पीएम मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग से संबोधित किया।

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    हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामक गतिविधियों और इस बारे में अमेरिका की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए भारतीय पीएम की उक्त घोषणा को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके तहत इंडोनेशिया, फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड, म्यांमार, कंबोडिया, विएतनाम, ब्रुनेई, लाओस, सिंगापुर और पूर्वी तिमोर के साथ भारत समुद्र से जुड़े हर क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाएगा।

    'आसियान के दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन'

    इसमें कारोबार व रणनीतिक क्षेत्र भी शामिल होगा। पीएम मोदी ने कहा कि, 'भारत सदैव 'आसियान सेन्ट्रैलिटी' (आसियान देशों की केंद्रीय भूमिका) और हिंद प्रशांत क्षेत्र में आसियान के दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन करता रहा है। अनिश्चतताओं के दौर में भी भारत आसियान समग्र रणनीतिक साझेदारी में सतत प्रगति हुई है। और हमारी ये मजबूत साझेदारी वैश्विक स्थिरता और विकास का सशक्त आधार बनकर उभर रही है।'

    उन्होंने आगे कहा कि, 'भारत हर आपदा में अपने आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है। एचएडीआर (मानवीय सहायता और आपदा राहत), ब्लू इकोनोमी व महासागर सुरक्षा में सहयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसको देखते हुए हम 2026 को 'आसियान-इंडिया समुद्री सहयोग का वर्ष' घोषित कर रहे हैं। साथ ही हम शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान व प्रौद्योगिक, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा और साइबर सुरक्षा में आपसी सहयोग को भी मजबूती से आगे बढ़ा रहे हैं। अपनी साझा सांस्कृतिक विरासत को संजोने और आम जनता के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए हम साथ मिलकर काम करते रहेंगे।'

    'एक्ट ईस्ट नीति में आसियान की केंद्रीय भूमिका'

    भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि 'भारत की एक्ट ईस्ट नीति में आसियान की केंद्रीय भूमिका है। हम सिर्फ भूगोल साझा नहीं करते हैं बल्कि गहरे ऐतिहासिक संबंधों और साझे मूल्यों के डोर से भी जुड़े हुए हैं। हम न केवल व्यापारिक साझेदार हैं, बल्कि सांस्कृतिक साझेदार भी हैं।' माना जा रहा है कि हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच भारत उक्त घोषणा के तहत आसियान देशों के साथ समुद्री सुरक्षा, व्यापार मार्गों की सुरक्षा और आर्थिक विकास को मजबूत करने के लिए कदम उठाएगा।

    पीएम मोदी को भी आसियान बैठक में हिस्सा लेने के लिए मलेशिया जाना था लेकिन बिहार चुनाव की वजह से इसे टाल दिया गया है। भारतीय दल का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री एस जयशंकर कर रहे हैं। बाद में भारत और आसियान की तरफ से पर्यटन पर एक सतत साझा बयान जारी किया गया जिसमें पर्यटन को आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन, बुनियादी ढांचा विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का महत्वपूर्ण साधन माना गया है।

    साथ ही, आवश्यकता से ज्यादा पर्यटन के पर्यावरण व स्थानीय समुदायों पर नकारात्मक प्रभाव को स्वीकार करते हुए ऐसी पर्यटन व्यवस्था बनाने की बात कही गई है जिसमें पर्यावरण को नुकसान ना हो और अर्थव्यवस्था को फायदा हो। भारत आसियान मिल कर प्लास्टिक मुक्त पर्यटन को बढ़ावा देंगे, इसके लिए नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दिया जाएगा और जैवविविधता संरक्षण का काम किया जाएगा। स्थानीय समुदायों, महिलाओं व युवाओं को रोजगार देने पर फोकस होगा।