भारत और अफगानिस्तान ने पाक को घेरा, जयशंकर ने कनेक्टिविटी में बाधा बनने और घनी ने देश में हिंसा का ठहराया जिम्मेदार
विदेश मंत्री ने कहा कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की बात कहना लेकिन वास्तव में रोड़े अटकाने से किसी को फायदा नहीं। अफगानी राष्ट्रपति ने कहा पाकिस्तान से 10 हजार जिहादी उनके देश में तालिबान का समर्थन करने पहुंचे।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच कनेक्टिविटी स्थापित करने के मुद्दे पर ताशंकद में आयोजित सम्मेलन में भारत और अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने जहां पाकिस्तान पर कनेक्टिविटी में रोड़े अटकाने का आरोप लगाया तो अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी ने अपने देश में बढ़ रही ¨हसा के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराया।
सम्मलेन में जयशंकर ने अपने भाषण में इस समूचे क्षेत्र में कनेक्टिविटी की कोशिशों को भारत की तरफ से पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया, लेकिन यह भी कहा कि इसके लिए मानसिकता बदलनी होगी। एक तरफ कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने की बात कहना, लेकिन वास्तविक तौर पर कनेक्टिविटी की राह में रोड़े अटकाने से किसी को फायदा नहीं होगा। कहने की जरूरत नहीं कि जयशंकर का इशारा पाकिस्तान की तरफ इशारा था जिसकी वजह से भारत और अफगानिस्तान के बीच कनेक्टिविटी स्थापित नहीं हो पाई। जयशंकर ने यह भी कहा कि कनेक्टिविटी परियोजनाओं को इस तरह आगे बढ़ाया जाना चाहिए जिससे कोई देश कर्ज के जाल में नहीं फंसे।
इसी सम्मेलन में अफगानी राष्ट्रपति घनी ने अपने देश में बढ़ रही ¨हसा के मद्देनजर पाकिस्तान पर परोक्ष तौर पर आरोप लगाया कि वहां की सरकार तालिबान को शांति वार्ता के लिए तैयार नहीं कर पाई। घनी ने कहा कि पाकिस्तान सरकार और वहां की सेना ने कहा था कि अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा उनके हित में नहीं है, लेकिन हालात इसके विपरीत हैं। तालिबान का समर्थन करने वाले संगठन और नेटवर्क खुलेआम अफगानिस्तान की बर्बादी का जश्न मना रहे हैं। पिछले महीने पाकिस्तान से 10 हजार जिहादी तालिबान का समर्थन करने आए हैं। पाकिस्तान को अब क्षेत्रीय शांति की तरफ देखना चाहिए। घनी जब भाषण दे रहे थे तब वहां पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी मौजूद थे। वैसे घनी के इस आरोप के कुछ घंटे बाद उनकी प्रधानमंत्री इमरान खान से द्विपक्षीय मुलाकात हुई। इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान ने तालिबान के साथ होने वाली शांति वार्ता रद होने की बात कही है।
सम्मेलन में उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जीयोयेव ने अपने भाषण में मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच के ऐतिहासिक संबंधों का हवाला दिया और इस क्रम में उन्होंने चरक, सुश्रुत, ब्रह्मगुप्त का नाम लिया जिनका असर आज भी मध्य एशियाई देशों में देखने को मिलता है। इस उदाहरण के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बाद में ट्विटर पर उज्बेकी राष्ट्रपति को धन्यवाद भी कहा।
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