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    भारत का अद्भुत मिशन, अब 6000 मीटर की गहराई तक खंगाला जाएगा समुद्र का रहस्य; जल्द लॉन्च होगा 'समुद्रयान'

    Updated: Wed, 14 May 2025 08:35 AM (IST)

    राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइओटी) के निदेशक बालाजी रामकृष्णन ने मंगलवार को कहा कि पनडुब्बी 2026 के अंत तक रवाना हो सकता है। रामकृष्णन ने आइसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआइ) में कहा मिशन के तहत छह हजार मीटर की गहराई तक गहरे समुद्र में सागर के रहस्यों का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा। इसे स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है

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    6000 मीटर की गहराई तक जाएगा समुद्रयान

    पीटीआई, कोच्चि। भारत का पहला मानवयुक्त गहरा समुद्र मिशन छह हजार मीटर की गहराई तक समुद्र के रहस्य को खंगालेगा। राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइओटी) के निदेशक बालाजी रामकृष्णन ने मंगलवार को कहा कि पनडुब्बी 2026 के अंत तक रवाना हो सकता है।

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    रामकृष्णन ने आइसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआइ) में कहा, मिशन के तहत छह हजार मीटर की गहराई तक गहरे समुद्र में सागर के रहस्यों का पता लगाने का प्रयास किया जाएगा।

    समुद्र के सफर पर होगा रवाना 

    तीन विज्ञानियों को लेकर समुद्र के सफर पर रवाना होगा। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एनआइओटी गहरे समुद्र मिशन की नोडल एजेंसी है। स्वदेशी तकनीक से विकसित किया गया है

    स्वदेशी तकनीक से विकसित, 25 टन के चौथी पीढ़ी के यान को विशेष रूप से गहरे समुद्र में अत्यधिक दबाव और तापमान का सामना करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिसमें टाइटेनियम से बना पतवार है। समुद्र अनुसंधान के लिए गेम-चेंजर रामकृष्णन ने कहा, यह मिशन भारत के गहरे समुद्र अनुसंधान के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है।

    गहरे समुद्र से इकट्ठा करेगा नमूने 

    यह गहरे समुद्र में संसाधनों के आकलन, और समुद्र पर्यटन की संभावनाओं के लिए नए रास्ते खोलेगा। मिशन गहरे समुद्री क्षेत्र से महत्वपूर्ण नमूने एकत्र करने में सहायक होगा, जिससे विज्ञानियों को क्षेत्र में जीवों और पानी की अनूठी विशेषताओं को समझने के अवसर मिलेंगे।चरणबद्ध प्रक्रिया के तहत की लांचिग की जाएगी।

    500 मीटर गहराई तक होगा टेस्ट

    इस साल के अंत तक 500 मीटर गहराई तक परीक्षण किया जाएगा। गोता लगाने की यात्रा में चार घंटे लगेंगे, और बाहर आने में भी उतना ही समय लगेगा।-विकसित की गई है नामक नवीन तकनीक विकसित की गई है, जिसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर खुले समुद्र में उन्नत कृषि पर ध्यान केंद्रित करना है।

    यह तकनीक वर्तमान में प्रदर्शन चरण में है। ये इलेक्ट्रानिक रूप से निगरानी किए जाने वाले मछली पिंजरे अपतटीय क्षेत्रों के लिए डिजाइन किए गए हैं।

    पोषण से भरपूर गहरे समुद्र के वातावरण का लाभ उठाकर मछली की वृद्धि को अनुकूलित करने के लिए इसका उपयोग हो सकेगा। विभिन्न सेंसरों के साथ मछली बायोमास, वृद्धि और गति और पानी की गुणवत्ता के मापदंडों की दूरस्थ निगरानी करने में सक्षम है। यह तकनीक भारत की खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।