Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    रूस और अमेरिका में हुई 'दोस्ती' तो भारत की हो सकती बल्ले-बल्ले, इन मामलों में होगा सीधा फायदा

    Updated: Mon, 03 Mar 2025 10:00 PM (IST)

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस के साथ रिश्तों को सुधारने के पक्ष में है। वह यूक्रेन के साथ युद्ध को जल्द खत्म करवाना चाहते हैं। हाल ही में ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी रूसी अधिकारियों से मिल चुके हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि पुतिन और ट्रंप के बीच जल्द मुलाकात हो सकती है। अगर रिश्ते सुधरे तो इसका फायदा भारत को भी होगा।

    Hero Image
    व्लादिमीर पुतिन और डोनाल्ड ट्रंप। ( फाइल फोटो )

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनते ही जिस तरह से रूस और अमेरिका के रिश्तों में बड़े बदलाव आए हैं, उस पर भारत ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं देते हुए कूटनीतिक चुप्पी का रास्ता अख्तियार किया है। मगर जिस तरह से हालात बन रहे हैं उससे साफ है कि नये वैश्विक माहौल खास तौर पर अमेरिका व रूस के संबंधों में सुधार का भारत को फायदा होगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    भारत पर कम होगा अमेरिकी दबाव

    भारत को उम्मीद है कि अब रूस से कच्चे तेल या गैस की खरीद करने के लिए उस पर अमेरिका व दूसरे यूरोपीय देशों का दबाव कम होगा। साथ ही रूस से जमीन से हवा में मार करने वाली एंटी मिसाइल सिस्टम एस-400 की आपूर्ति भी बहाल हो सकेगी। यही नहीं यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से रक्षा उपकरणों की आपूर्ति भी प्रभावित होने लगी है, इस समस्या के भी दूर होने की संभावना है।

    भारत आ रहे रूसी विदेश मंत्री

    इस महीने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के भारत आने की उम्मीद है, तब दोनों देशों के बीच नये वैश्विक परिवेश में वार्ता होगी। पेट्रोलियम उद्योग के सूत्रों ने बताया है कि अमेरिकी चुनाव की अनिश्चितता को देखते हुए भारतीय तेल कंपनियों ने नवंबर 2024 के बाद से रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति कम करनी शुरू कर दी थी।

    भारत ने रूस से तेल की खरीद घटाई

    फरवरी, 2025 में भारत ने रूस से रोजाना 14.8 लाख बैरल तेल की खरीद की है जो जनवरी, 2025 के मुकाबले 11 फीसद कम है। रूस से किसी एक महीन में भारत ने पिछले दो वर्षों की सबसे कम खरीद फरवरी माह में ही की है। वजह यह है कि भारतीय कंपनियां अमेरिकी प्रतिबंध बढ़ने की आशंका से कोई नया सौदा नहीं कर रही हैं। यह स्थिति बदल सकती है, क्योंकि अमेरिका की ट्रंप सरकार ने यूक्रेन विवाद पर पुरानी नीति को बदलते हुए रूस के साथ शांति समझौता करने के लिए प्रयासरत है।

    दोनों देशों की सरकारों के बीच वार्ता की शुरुआत हो चुकी है। जल्द ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की राष्ट्रपति ट्रंप से मुलाकात की भी संभावना है। जो भी शांति समझौता होगा उसमें रूस के ऊर्जा कारोबार पर लगे प्रतिबंधों को भी हटाये जाने की उम्मीद है।

    दबाव के बावजूद तेल खरीदता रहा भारत

    यूक्रेन-रूस युद्ध के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों के बेहद कड़े दबाव के बावजूद भारत ने रूस के साथ अपने रिश्तों को लेकर कोई समझौता नहीं किया। रूस भारत के लिए कच्चे तेल की आपूर्ति करने वाला एक प्रमुख देश बन गया है। जब अधिकांश देश प्रतिबंधों की वजह से रूस से तेल नहीं खरीद रहे थे तब भारत ने रूस से खूब पेट्रोलियम उत्पादों की खरीददारी की।

    भारत आ सकते पुतिन

    वर्ष 2024 में पीएम मोदी ने दो बार रूस की यात्रा की। इस साल रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूस-भारत शीर्ष सम्मेलन में हिस्सा लेने नई दिल्ली आने वाले हैं। फरवरी, 2025 के मध्य में विदेश मंत्री लावरोव के नई दिल्ली आने की संभावना है। माना जा रहा है कि तब दोनों देशों के बीच नये बदले माहौल में द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने को लेकर विमर्श होगा।

    तेज होगी भारत की सैन्य आपूर्ति

    अमेरिकी रूख की वजह से रूस से भारत को एस-400 की आपूर्ति पर भी असर पड़ा है। भारत ने वर्ष 2014 में रूस से एस-400 के चार सिस्टम खरीदने के लिए 5.34 अरब डॉलर लकी खरीद का समझौता किया था। अभी तक तीन सिस्टम की आपूर्ति हो चुकी है।

    भारत ने अपने रक्षा उपकरणों व सामग्रियों की खरीद का दायरा बढ़ा दिया है और अब इजरायल, अमेरिका व फ्रांस जैसे देशों से भी हथियार खरीद रहा है लेकिन आज भी 60 फीसद सैन्य उपकरण रूस से संबंधित हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद इनमें से कुछ हथियारों के कल-पुर्जे व गोलाबारूद की आपूर्ति पर असर हो रहा है। अगर रूस और अमेरिका के संबंध अच्छे हो जाते हैं तो भारत को भी परोक्ष तौर पर इससे लाभ होगा।

    यह भी पढ़ें: 'औरंगजेब क्रूर नहीं था', अखिलेश के विधायक ने की मुगल शासक की प्रशंसा; बीजेपी ने साधा निशाना

    यह भी पढ़ें: जेलेंस्की ने ट्रंप की एक और बात की खारिज, कहा- अगर हमें मजबूर किया गया तो...