Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मैं तो लाहौर तक गया था, भारत अकेले शांति के रास्ते पर नहीं चल सकता: पीएम

    By Rajesh KumarEdited By:
    Updated: Tue, 17 Jan 2017 09:18 PM (IST)

    मोदी ने भी काफी लंबे अंतराल के बाद देश की कूटनीतिक से जुड़े तमाम पहलुओं पर अपने विचार रखे। ...और पढ़ें

    Hero Image
    मैं तो लाहौर तक गया था, भारत अकेले शांति के रास्ते पर नहीं चल सकता: पीएम

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को सलाह दी है कि वह भारत के साथ बातचीत के लिए आगे बढ़े। लेकिन इसके साथ भारत ने वही पुरानी शर्त लगाई है जिससे पाकिस्तान को गुरेज है यानी पहले वह आतंकवाद से तौबा करे और फिर भारत से बातचीत का दौर शुरु करे। पीएम नरेंद्र मोदी ने भारतीय कूटनीति के कुंभ के नाम से पहचान बना चुके रायसीना डायलॉग 2017 का शुभारंभ करते हुए अपनी सरकार की कूटनीतिक दिशा व दशा पर विस्तार से प्रकाश डाला।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    दुनिया के भू-राजनैतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए इस सम्मेलन में 69 देशों के 250 से ज्यादा प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।दुनिया में जिस तरह से भू-राजनीतिक माहौल बदल रहा है उसे देखते हुए मोदी के रायसीना डायलॉग में भाषण का काफी इंतजार किया जा रहा था। मोदी ने भी काफी लंबे अंतराल के बाद देश की कूटनीतिक से जुड़े तमाम पहलुओं पर अपने विचार रखे।

    उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ रिश्तों को बेहतर बनाने की कोशिशों के साथ ही जापान, रूस और अमेरिका के साथ भारत के रणनीतिक रिश्तों में हो रहे बदलाव को भी सामने रखा। लेकिन मौजूदा समय में भारत के दो सबसे धुर विरोधी देशों पाकिस्तान व चीन के साथ रिश्तों पर अहम विचार रखे।

    यह भी पढ़ें: पीएम मोदी आज करेंगे रायसीना डायलॉग का उद्घाटन

    पाकिस्तान को लेकर मोदी ने भारत के पुराने रूख को नए अंदाज में रखा। मोदी के शब्दों में, पूरे दक्षिण एशिया में शांति व खुशहाली कायम करना भारत की अहम प्राथमिकता है। इसी उद्देश्य से मैं लाहौर की यात्रा पर भी गया था। लेकिन भारत इस यात्रा पर अकेले नहीं चल सकता। पाकिस्तान को भी कोशिश करनी होगी। अगर वह भारत के साथ बातचीत की राह पर आगे बढ़ना चाहता है तो उसे आतंकवाद का रास्ता छोड़ना होगा।'' लेकिन इसके साथ ही मोदी ने पाकिस्तान को यह भी संकेत दिया कि आतंकवाद को समर्थन देने की वजह से उसे वैश्विक स्तर पर और ज्यादा अलग थलग होना पड़ सकता है।

    इसी तरह से चीन के बारे में मोदी ने यह तो कहा कि दो बड़े पड़ोसी देशों के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद होना असमान्य बात नहीं है लेकिन चीन को यह याद दिलाना नहीं भूले कि पड़ोसी देशों को एक दूसरे की संवेदनशीलता और अहम हितों का भी ख्याल रखना पड़ता है। भारत व चीन का विकास इन दोनों देशों के साथ पूरी दुनिया के लिए कई तरफ की संभावनाओं के द्वार खोलेगा। चीन की तरफ ही इशारा करते हुए मोदी ने कहा कि यह सदी एशिया का है। सबसे बड़े बदलाव इसी क्षेत्र में हो रहे हैं। लेकिन यहां बढ़ रही प्रतिस्पद्र्धा बड़ी चुनौती है। इस क्षेत्र में सुरक्षा ढांचे को पारदर्शी व समग्र बनाना होगा।

    पढ़ें- जानिए, CBI डायरेक्टर की दौड़ में कौन है सबसे आगे, किसकी है चर्चा

    साथ ही साउथ चाइना सी का नाम तो मोदी ने नहीं लिया लेकिन यह जरुर कहा कि सामुद्रिक मामलों में जो अंतरराष्ट्रीय तय नियम है उनका पालन किया जाना चाहिए। पीएम रूस के मुकाबले जापान व अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को लेकर ज्यादा उत्साही दिखे। उन्होंने अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जिक्र किया कि उसने उनकी बात हुई है और दोनों द्विपक्षीय रिश्तों को नया आयाम देने को तैयार हैं।

    रूस के बारे में उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति पुतिन से उनकी वार्ता हुई और वे रक्षा के क्षेत्र में अपने रिश्तों को और गहराई देने को तैयार हैं। मोदी ने यह भी साफ किया कि रूस के साथ भारत के भावी रिश्ते ऊर्जा और रक्षा सहयोग के आधार पर ही रखे जाएंगे। मोदी ने कहा कि उनकी सरकार की 'सबका साथ सबका विकास' का नारा सिर्फ भारत के लिए ही नहीं है बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए है। यही वजह है कि आज दुनिया को जितनी भारत की प्रगति की जरुरत है भारत को भी दुनिया की बेहतरी की उतनी ही जरुरत है।