नक्सलवाद पर बड़ी सफलता, अब सिर्फ तीन जिले हैं प्रभावित; मोदी सरकार की बड़ी सफलता
सरकार ने माओवाद के खिलाफ एक बड़ी सफलता हासिल की है, जिसके तहत देश में केवल तीन जिले ही अब माओवाद से अति प्रभावित हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने माओवाद को पूरी तरह से खत्म करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है। सुरक्षा बलों ने कई माओवादियों को मार गिराया या गिरफ्तार किया है, और कई ने आत्मसमर्पण किया है। सरकार माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास और कल्याणकारी योजनाओं को बढ़ावा दे रही है।
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अब केवल तीन जिले बचे अति नक्सल प्रभावित (फाइल फोटो)
नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। अगले साल 31 मार्च तक देश को माओवाद मुक्त बनाने की दिशा में सरकार ने अहम उपलब्धि हासिल की है। अब पूरे देश में सिर्फ तीन जिले माओवाद से अति प्रभावित बचे हैं। जबकि इसी साल मार्च में ऐसे छह जिले थे।
इसके साथ ही माओवाद से सामान्य प्रभावित जिलों की संख्या भी 18 से घटकर 11 रह गई है। केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने दोहराया कि मोदी सरकार देश को माओवाद की समस्या से पूरी तरह से मुक्ति दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
मोदी सरकार की बड़ी सफलता
देश को माओवादी समस्या से मुक्त दिलाने की दिशा में मोदी सरकार की बड़ी सफलता को रेखांकित करते हुए गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माओवाद को भारत की सबसे बड़ी आंतरिक सुरक्षा चुनौती बताया था। उस समय माओवादी नेपाल के पशुपतिनाथ से आंध्र प्रदेश के तिरुपति तक एक लाल कारिडोर स्थापित करने की योजना को पूरा करने में सफल दिख रहे थे।
हालत यह थी कि 2013 में विभिन्न राज्यों के 126 जिलों में माओवादी संबंधी हिंसा रिपोर्ट की गई थी। मोदी सरकार आने के बाद मार्च 2025 तक यह संख्या घटकर केवल 18 जिलों तक सीमित रह गई। मौजूदा समय में इन जिलों की संख्या 11 रह गई है।
इनमें छत्तीसगढ़ के सात जिले बीजापुर, दंतेवाड़ा, गरियाबंद, कांकेर, मोहल्ला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, नारायणपुर, सुकमा और झारखंड का एक जिला पश्चिमी सिंहभूम, मध्य प्रदेश का एक जिला बालाघाट, महाराष्ट्र का एक जिला गढ़चिरौली और ओडिशा का एक जिला कंधमाल शामिल है।
इनमें छत्तीसगढ़ के तीन जिले बीजापुर, नाराणपुर और सुकमा ही अति माओवादी प्रभावित बचे हैं। दरअसल, दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद 21 जनवरी 2024 को अमित शाह ने रायपुर में सुरक्षा एजेंसियों के साथ बैठक में माओवाद मुक्त भारत के रोडमैप को हरी झंडी दी थी।
इस रोडमैप पर सख्ती से अमल में पिछले डेढ़ साल के भीतर माओवाद के खिलाफ बड़ी सफलता मिली। इसी साल सुरक्षा बलों ने 312 माओवादी कैडरों को मार गिराया, जिनमें सीपीआइ (माओवादी) महासचिव वासव राजू समेत पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति के आठ अन्य सदस्य शामिल हैं।
इसके साथ ही 836 माओवादी कैडर को गिरफ्तार किया गया और 1639 कैडर ने आत्मसमर्पण कर दिया, जिनमें पोलित ब्यूरो और एक केंद्रीय समिति सदस्य शामिल है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमित शाह ने माओवादियों के खिलाफ एक बहुआयामी दृष्टिकोण आधारित राष्ट्रीय कार्य योजना और नीति बनाई थी।
इनमें माओवादी गतिविधियों की सटीक खुफिया जानकारी हासिल करना और इसके आधार पर आपरेशन को अंजाम देना शामिल था। इसके तहत सिक्योरिटी गैप वाले क्षेत्रों की पहचान कर वहां तेजी से फारवर्ड पोस्ट बनाए गए। माओवादियों के शीर्ष नेताओं और ओवर ग्राउंड कैडर की पहचान कर उन्हें निशाना बनाया गया।
माओवादी विचारधारा का खोखलापन हुआ उजागर
आम लोगों में माओवादी विचारधारा के खोखलेपन को उजागर किया गया। इसके साथ ही माओवादियों से मुक्त किए गए इलाकों में बुनियादी ढांचे का तीव्र विकास और कल्याणकारी योजनाओं को पूरी तरह से लागू कराया गया, ताकि वहां की जनता दोबारा माओवादियों के दुष्प्रचार में नहीं फंसे।
इसके साथ थी एनआइए और ईडी ने उनकी फंडिंग को पूरी तरह से रोकने का काम किया। सबसे बड़ी बात यह कि माओवादी समस्या से निपटने में राज्यों एवं केंद्र के बीच बेहतर समन्वय बनाते हुए खासतौर पर सीमावर्ती जिलों में संयुक्त टीमों का गठन किया गया।
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