लंबित मामलों का निपटारा और मध्यस्थता को बढ़ावा... CJI बनने जा रहे जस्टिस सूर्यकांत की क्या होगी प्राथमिकता?
जस्टिस सूर्यकांत ने चीफ जस्टिस बनने से पहले लंबित मामलों को निपटाने और मध्यस्थता को बढ़ावा देने की बात कही है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में 90,000 से ज्यादा केस पेंडिंग हैं, जिसे निपटाना उनकी प्राथमिकता होगी। उन्होंने हाई कोर्ट और लोअर कोर्ट में पेंडिंग मामलों को कम करने के लिए संवैधानिक पीठ बनाने की बात भी कही। जस्टिस कांत फरवरी 2027 में रिटायर होंगे।

भारत के हाने वाले चीफ जस्टिस सूर्यकांत। (फाइल फोटो)
माला दीक्षित, नई दिल्ली। सोमवार को देश के 53वें प्रधान न्यायाधीश पद की शपथ लेने जा रहे चीफ जस्टिस डिजिग्नेटेड जस्टिस सूर्यकांत की भारत का मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद पहली प्राथमिकता सुप्रीम कोर्ट और देश की विभिन्न अदालतों में लगे मुकदमों के ढेर को खत्म करने की होगी। सीजेआइ का पद संभालने के बाद एक दिसंबर तक जमानत और तत्काल (अरजेंट) मामलों की सुनवाई को लेकर कोई सुखद खबर आ सकती है। ऐसा उन्होंने संकेत दिया।
भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई 23 नवंबर रविवार को सेवानिवृत हो जाएंगे और 24 नवंबर सोमवार को जस्टिस सूर्यकांत सीजेआइ पद की शपथ लेंगे।जस्टिस सूर्यकांत ने शनिवार को पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में अपनी प्राथमिकताएं बताईं। उन्होंने कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता लंबित मुकदमों का शीघ्र निपटारा करना है। केवल सुप्रीम कोर्ट में ही नहीं, बल्कि देश की अदालतों में लंबित मुकदमों का जल्द निपटारा उनकी प्राथमिकता होगी।
लंबित मुकदमों की संख्या 90 हजार पार
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित मुकदमों की संख्या 90 हजार पार कर चुकी है। इसका कारण चाहें जो भी हो, लेकिन हमें मुकदमे निपटाने का लक्ष्य रखना होगा। हमें देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट में उपलब्ध क्षमता का पूर्ण उपयोग हो। सुप्रीम कोर्ट के अलावा सीजेआइ का पद संभालने के बाद उनका लक्ष्य देशभर की अदालतों में लंबित मुकदमों की संख्या कम करने पर भी होगा।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठों में बहुत से मामले लंबित हैं, कुछ मामले पांच न्यायाधीशों की पीठ के है, कुछ सात और नौ न्यायाधीशों की पीठ में लंबित हैं। संविधान पीठों के मामले निपटने से देश की विभिन्न जिला अदालतों और हाई कोर्ट में लंबित बहुत से मुकदमे निपट जाएंगे जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित कानूनी सवालों के कारण फंसे हुए हैं।
उच्च न्यायालयों से भी आंकड़े मंगाए जाएंगे
उन्होंने कहा कि इस संबंध में उच्च न्यायालयों से भी आंकड़े मंगाए जाएंगे। इसके बाद संविधान पीठों का गठन कर संविधानपीठों के मामलों का निपटारा किया जाएगा। अन्य मामलों में भी सबसे पुराने मुकदमों की सुनवाई को प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए केस मैनेजमेंट की जरूरत है। उनका कहना था कि लोगों के सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की प्रवृत्ति के कारण भी यहां मामले बढ़ते हैं।
लोगों को समझना होगा कि हाई कोर्ट भी संवैधानिक अदालत है, पहले हाई कोर्ट जाना चाहिए।उन्होंने कहा कि इसके अलावा उनकी प्राथमिकता मध्यस्थता के जरिये मुकदमों के निपटारे की होगी। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मध्यस्थता गेम चेंजर हो सकती है। अदालतों में एआइ के इस्तेमाल पर कहा कि वैसे एआइ कुछ मामलों में अच्छा है लेकिन इसके साथ कुछ मुद्दे भी हैं। ये देखने वाली बात है कि एआइ किस हद तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

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