कांग्रेस के बैंक खाते फ्रीज पर आयकर विभाग ने दिया नया UPDATE, बताया ये कार्रवाई क्यों की गई?
आयकर विभाग का तर्क है कि वर्ष 2018-19 में कांग्रेस पार्टी ने धारा 13ए का उल्लंघन किया था जिसकी वजह से बतौर राजनीतिक दल आयकर की जिन धाराओं से उसे छूट मिली हुई थी उसे वापस ले लिया गया था। इस बारे में बकाये कर की मांग वर्ष 2021 में की गई थी और इस बारे में कई बार सूचना पार्टी को भेजी गई है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जिस तरह से आयकर की समय पर अदाएगी नहीं करने के मामले में कांग्रेस को झटका दिया है उसे आयकर विभाग अपने पक्ष की जीत के तौर पर देख रहा है। आयकर विभाग के अधिकारियों ने कहा है कि अभी तक कांग्रेस पार्टी से आय कर वसूलने को लेकर जो भी कार्रवाई हुई है वह पूरी तरह से नियमों के तहत ही हो रहा है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने भी आयकर विभाग के इस पक्ष को स्वीकार किया है।
कांग्रेस से संबंधित मामले को देख कर आयकर विभाग के अधिकारियों का यह भी कहना है कि न्यायालय ने भी यह बात माना है कि कांग्रेस को पूर्व में अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त समय दिया गया है और उससे बकाये कर की जो मांग रखी गई है वह पूरी तरह से न्यायसंगत है। उक्त अधिकारी के दावे के मुताबिक उच्च न्यायालय ने यह माना है कि आयकर विभाग के पास कांग्रेस के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं।
आयकर विभाग का तर्क है कि वर्ष 2018-19 में कांग्रेस पार्टी ने धारा 13ए का उल्लंघन किया था जिसकी वजह से बतौर राजनीतिक दल आयकर की जिन धाराओं से उसे छूट मिली हुई थी उसे वापस ले लिया गया था। इस बारे में बकाये कर की मांग वर्ष 2021 में की गई थी और इस बारे में कई बार सूचना पार्टी को भेजी गई है। इस पर रोक लगाने का कांग्रेस का प्रस्ताव खारिज भी किया गया।
बकाये कर की मांग के 33 महीने बीत जाने और आयकर आयुक्त के आदेश के 10 महीने बाद भी पार्टी की तरफ से संबंधित राशि का भुगतान नहीं किया गया। आयकर अपीलीय ट्रिब्यूनल (आइटीएटी) में यह मामला लंबित है जिसमें कांग्रेस को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया लेकिन पार्टी ने इसका फायदा नहीं उठाया गया।
कांग्रेस ने मामले को लटकाने के लिए आइटीएटी में अपना पक्षा नहीं रखा। इसके बाद ही पार्टी से 135 करोड़ रुपये की रिकवरी की शुरुआत की गई। आइटीएटी के खिलाफ कांग्रेस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में आवेदन किया था जिसे 13 मार्च को निरस्त भी कर दिया गया। इसके बाद ही संबंधित राशि की रिकवरी के लिए आय कर अधिनियम 1961 के तहत कदम उठाया गया।
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