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    नए आयकर विधेयक में कर दरों में बदलाव का कोई प्रस्ताव नहीं, आयकर विभाग ने कर दिया साफ

    By Agency Edited By: Prince Gourh
    Updated: Tue, 29 Jul 2025 11:30 PM (IST)

    आयकर विभाग ने प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य भाषा को सरल बनाना और पुराने प्रावधानों को हटाना है। विभाग ने यह भी स्पष्ट किया कि विधेयक में कर दरों में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं है। यह स्पष्टीकरण उन रिपोर्टों के बाद आया है जिनमें एलटीसीजी कर दरों में बदलाव का दावा किया गया था।

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    आयकर विधेयक 2025 कर दरों में बदलाव नहीं (फाइल फोटो)

    आईएएनएस, नई दिल्ली। आयकर विभाग ने मंगलवार को प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 पर एक स्पष्टीकरण जारी किया। विभाग ने कहा कि नए आयकर विधेयक का मकसद केवल भाषा को सरल बनाना और अनावश्यक व पुराने प्रविधानों को हटाना है।

    यह विधेयक कर दरों में किसी तरह के बदलाव का प्रस्ताव नहीं करता है। दरअसल, विभाग की तरफ से यह स्पष्टीकरण उन मीडिया रिपोर्टों और इंटरनेट मीडिया पोस्ट के बाद आया है, जिसमें यह दावा किया जा रहा है कि नया विधेयक कुछ श्रेणियों के करदाताओं के लिए दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर दरों में बदलाव करेगा।

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    रिपोर्ट में क्या है उल्लेख

    कुछ रिपोर्टों में यह कहा गया है कि नए विधेयक में इक्विटी निवेश पर मौजूदा कर छूट को हटाया जा सकता है। विभाग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक आधिकारिक पोस्ट में कहा, "विभिन्न मीडिया प्लेटफार्म पर ऐसे समाचार प्रसारित हो रहे हैं कि नया आयकर विधेयक, 2025 कुछ श्रेणियों के करदाताओं के लिए एलटीसीजी पर कर दरों में बदलाव का प्रस्ताव करता है।"

    पोस्ट में आगे कहा, "यह स्पष्ट किया जाता है कि आयकर विधेयक, 2025 का उद्देश्य भाषा को सरल बनाना और अनावश्यक/अप्रचलित प्रविधानों को हटाना है।" विभाग ने आगे कहा कि इसका उद्देश्य करों की किसी भी दर में बदलाव नहीं करना है। इस संबंध में किसी भी अस्पष्टता का विधेयक पारित होने के दौरान उचित समाधान किया जाएगा।

    बयान से हुआ स्पष्ट

    बयान में स्पष्ट किया गया है कि नया विधेयक मौजूदा कर ढांचे में कोई बदलाव किए बिना, कानून को समझने में आसान बनाने और मौजूदा प्रविधानों को सुव्यवस्थित करने पर केंद्रित है। नया आयकर विधेयक इस वर्ष फरवरी में बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया था।

    नए सिरे से लिखा गया कर कानून

    इसके बाद, इसे लोकसभा की प्रवर समिति के पास भेजा दिया गया था, जिसने हाल में अपनी रिपोर्ट दी है। इस रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा गया था। यह पहली बार है जब कर कानून को पूरी तरह से नए सिरे से लिखा गया है।