Jagran Trending | World Population Day 2022 | आबादी के मामले में आखिर किस वर्ष चीन को मात देगा भारत? जानें- जनसंख्या नीति पर क्या है चीन की रणनीति
World Population Day 2022 एशिया के दो बड़े मुल्कों भारत और चीन की आबादी क्या है? क्या भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ देगा? क्या कहते हैं आंकड़े। इसके साथ यह बताएंगे कि चीन की जनसंख्या नियोजन में कैसे बदलाव आया?
नई दिल्ली, जेएनएन। हर वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day 2022) मनाया जाता है। यह सिलसिला 1990 से अनवरत चल रहा है। आज विश्व जनसंख्या दिवस की इस कड़ी में हम आपको बताएंगे कि एशिया में आबादी की क्या स्थिति है? एशिया के दो बड़े मुल्कों भारत और चीन की आबादी क्या है? क्या भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ देगा? क्या कहते हैं आंकड़े। इसके साथ यह बताएंगे कि चीन की जनसंख्या नियोजन में कैसे बदलाव आया? आखिर चीन में यह बदलाव क्यों जरूरी था? इसके साथ संयुक्त राष्ट्र के उन आंकड़ों को भी बताएंगे जो यह दर्शाता है कि विकास के साथ दुनिया की जनसंख्या वृद्धि दर में किस गति से इजाफा हुआ है?
1- डा अभिषेक प्रताप सिंह (डीयू, देशबंधु कालेज) का कहना है कि युनाइटेड नेशंस पापुलेशन फंड (United Nations Population Fund) की एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की कुल आबादी में 60 फीसद से ज्यादा हिस्सेदारी एशिया की है। चीन और भारत दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश हैं। एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2027 में आबादी के मामले में भारत, चीन को पीछे छोड़ सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला देश बनेगा। उन्होंने कहा कि इस वक्त चीन की जनसंख्या करीब एक अरब 44 करोड़ है। भारत की आगादी एक अरब 40 करोड़ है।
2- प्रो अभिषेक ने कहा कि चीन सरकार का अनुमान है कि 2050 तक देश में ऐसे तीन करोड़ अतिरिक्त लोग आ सकेंगे जो काम करने की उम्र के लोग होंगे। उनका कहना है कि चीन की वन चाइल्ड पालिसी (China's One Child Policy) ने चीन की आबादी के संतुलन को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचाया। यही कारण है कि वर्ष 2016 में इस नीति को खत्म कर दिया गया। उन्होंने कहा कि दरअसल, चीन में जनसंख्या वृद्धि को सीमित करने के लिए इस नीति को वर्ष 1979 में लागू किया गया था। चीन में इस कानून को बहुत कठोरता से लागू किया गया। इस नीति का जिसने उल्लंघन किया उसे जुर्माना के साथ रोजगार से भी हाथ धोना पड़ा। इसका प्रभाव यह पड़ा कि देश में बूढ़े लोगों की आबादी में तेजी से इजाफा हुआ। नौजवनों की आबादी कम होती गई।
3- प्रो अभिषेक का कहना है कि चीन में जनगणना के काम को बहुत ही गंभीरता से लिया जाता है, ताकि भविष्य की योजनाएं उसी हिसाब से बनाई जा सकें। बीते दशकों में चीन की आबादी सबसे धीमी गति से बढ़ी है। पिछले दस वर्षों में औसत वार्षिक वृद्धि दर 0.53 फीसद थी, जो वर्ष 2000 से 2010 के बीच 0.57 फीसद रही। आबादी बढ़ने की यह दर चिंताजनक है। इन परिणामों से चीन की सरकार पर इस बात के लिए दबाव बढ़ गया है कि वह जोड़ों से बच्चे पैदा करने को कहें ताकि जनसंख्या में कमी को रोका जा सके। चीन में हर दस साल में एक बार जनसंख्या के आंकड़े जारी किए जाते हैं। वर्ष 2020 के अंत में चीन की जनगणना हुई थी। चीन की सरकार के अनुसार करीब 70 लाख कर्मचारियों ने जनगणना के काम में हिस्सा लिया था और उन्होंने घर-घर जाकर लोगों की गणना की थी। उन्होंने कहा यह इस बात का प्रमाण है कि चीन में जनगणना का काम बहुत गंभीरता से लिया जाता है ताकि भविष्य की योजनाए उसी हिसाब से तय की जा सके।
20वीं सदी के मध्य से दुनियाभर में जनसंख्या दर तेजी से बढ़ी
20वीं सदी के मध्य से दुनियाभर में जनसंख्या दर तेजी से बढ़ी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1950 और 2020 के बीच दुनिया की आबादी तीन गुना से अधिक हो गई है। दुनिया की जनसंख्या वृद्धि दर 1965 और 1970 के बीच चरम पर थी, जब औसतन 2.1 फीसद की दर से हर साल आबादी बढ़ रही थी। वर्ष 2000 से 2020 के बीच, भले ही जनसंख्या 1.2 फीसद की औसत वार्षिक दर से बढ़ रही थी, लेकिन 48 देशों या क्षेत्रों में आबादी कम से कम दोगुनी तेजी से बढ़ी। इनमें अफ्रीका के 33 देश या और एशिया के 12 देश शामिल थे। 20वीं सदी के मध्य से विकसित देशों में वयस्कों का जीवन काल में इजाफा हुआ है। सौ साल की उम्र तक पहुंचने वाले लोगों की संख्या आज के मुकाबले कभी ज्यादा नहीं रही।
UNFPA की रिपोर्ट की अन्य बातें
- युनाइटेड नेशंस पापुलेशन फंड (यूएनएफपीए) के आंकड़ों के मुताबिक दुनिया की कुल आबादी करीब सात अरब 95 करोड़ 40 लाख है। इसमें 65 फीसद आबादी 15 से 64 वर्ष की उम्र के लोगों की है। 10 फीसद आबादी 65 वर्ष के ऊपर के लोगों की है। 25 फीसद आबादी 14 वर्ष से कम उम्र के लोगों की है।
- यूएनएफपीए की रिपोर्ट के मुताबिक जल्द ही दुनिया की आबादी आठ अरब तक पहुंच सकती है। जनसंख्या के आंकड़े बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि दुनिया की आबादी एक अरब होने में लाखों साल लग गए, जबकि एक अरब से सात अरब तक पहुंचने में करीब 200 वर्ष लगे।
- वर्ष 2011 में दुनिया की आबादी करीब सात अरब थी। वर्ष 2021 में बढ़कर यह 7.9 अरब हो गई। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक वर्ष 2030 तक आबादी 8.5 अरब और 2050 तक 9.7 अरब और 2100 तक 10.9 अरब तक पहुंच जाएगी।
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