पढ़ाई के साथ छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर निगाह रखेंगे उच्च शिक्षण संस्थान, शिक्षा मंत्रालय ने जारी किए आदेश
युवा छात्रों-बच्चों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने अब इस पर लगाम लगाने के लिए एक अहम योजना पर काम शुरू किया है। इसमें शिक्षक अब प्रारंभ से ही बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नजर रखेंगे। साथ ही उन्हें बचाव के टिप्स देंगे। जरूरत पड़ने पर वह उपचार कराने जैसी सलाह भी देंगे।

अरविंद पांडेय, जागरण, नई दिल्ली। युवा छात्रों-बच्चों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने अब इस पर लगाम लगाने के लिए एक अहम योजना पर काम शुरू किया है। इसमें शिक्षक अब प्रारंभ से ही बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी नजर रखेंगे।
इसके लिए शिक्षकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे वे क्लास रूम में ही किसी तरह के मानसिक अवसाद से ग्रस्त दिखने वाले बच्चों की तुरंत पहचान कर सकेंगे। साथ ही उन्हें बचाव के टिप्स देंगे। जरूरत पड़ने पर वह उपचार कराने जैसी सलाह भी देंगे।
शिक्षा मंत्रालय ने योजना पर शुरू किया काम
युवा छात्रों की आत्महत्या की घटनाओं से जूझ रहे देश के प्रमुख उच्च शिक्षण संस्थानों में इस योजना को जल्द लागू करने की तैयारी है। इसमें इन संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को छोटे-छोटे समूहों में शिक्षक प्रशिक्षण से जुड़े संस्थान राष्ट्रीय मालवीय मिशन के जरिये मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिसमें ऐसे किशोर-युवाओं को पहचानने और उन्हें इससे बचाने के उपाय भी बताएं जाएंगे।
इस प्रशिक्षण पाठ्यक्रम को एम्स दिल्ली व मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मदद से तैयार कराया जा रहा है। मंत्रालय से जुड़े शीर्ष अधिकारियों के मुताबिक, पढ़ाई के लिए घरों से बाहर रह रहे युवा सबसे अधिक शिक्षकों के ही संपर्क में रहते हैं। ऐसे में वे इस काम को बखूबी अंजाम दे सकेंगे। यह प्रशिक्षण धीरे-धीरे सभी उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को दिया जाएगा। बाद में स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों को भी प्रशिक्षित किया जा सकता है।
मंत्रालय इससे पूर्व युवाओं को आत्महत्या जैसी घटनाओं से बचाने के लिए उच्च शिक्षण संस्थानों को जरूरी निर्देश दे चुका है। जिसमें युवाओं के लिए एक ऐसा प्रकोष्ठ बनाने के साथ ही कैंटीन, पुस्तकालयों व छात्रावासों में छात्रों की गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।
हर वर्ष करीब 13 हजार किशोर-युवा छात्र आत्महत्या कर रहे
छात्रों में आत्महत्या की बढ़ती प्रवृत्ति को रोकने की यह पहल शिक्षा मंत्रालय ने तब की है, जब देश में हर वर्ष करीब 13 हजार किशोर-युवा छात्र आत्महत्या कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश मामले मनमुताबिक परीक्षा परिणाम नहीं आने के बाद के होते हैं।
दो साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा देने की व्यवस्था बनाई
मंत्रालय ने इससे निपटने के लिए पूर्व में भी कई पहल की हैं। इनमें पढ़ाई के दबाव को कम करना। डिग्री कोर्सों के दौरान बीच में पढ़ाई छोड़ने पर भी एक साल की पढ़ाई पर सर्टिफिकेट, दो साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा देने की व्यवस्था बनाई है।
साथ ही कभी भी पढ़ाई छोड़ने व शुरू करने का विकल्प दिया है। आइआइटी में बीटेक पास नहीं कर पाने पर बीएससी जैसे कोर्सों में दाखिला देकर उन्हें सम्मानजनक तरीके से एक्जिट का विकल्प दिया है।
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