छत्तसीगढ़ में अब शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ आवारा कुत्तों पर रखेंगे नजर, टीचर्स एसोसिएशन ने किया विरोध
छत्तीसगढ़ में शिक्षकों को अब बच्चों को पढ़ाने के साथ आवारा कुत्तों पर भी नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई है। टीचर्स एसोसिएशन ने इस फैसले का विरोध किया है, उनका कहना है कि यह शिक्षकों पर अनावश्यक बोझ है और शिक्षण कार्य प्रभावित होगा। सरकार का कहना है कि यह फैसला बच्चों की सुरक्षा के लिए लिया गया है।

आवारा कुत्ते। (एएनआई)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। छत्तसीगढ़ प्रदेश में अब शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ-साथ स्कूलों के आसपास घूमने वाले आवारा कुत्तों पर भी नजर रखेंगे। लोक शिक्षण संचालनालय ने सभी जिलों के जेडी और डीईओ को आदेश जारी कर प्रत्येक स्कूल में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए हैं।
आदेश के अनुसार, शिक्षकों को स्कूल परिसर या उसके आसपास विचरण कर रहे आवारा कुत्तों की जानकारी ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत या नगर निगम के डॉग कैचर को देनी होगी। इसके बाद स्थानीय प्रशासन की मदद से स्कूल में कुत्तों के प्रवेश को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। इस निर्देश के जारी होते ही शिक्षकों में नाराजगी फैल गई है।
छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन जिला इकाई ने आदेश को अव्यावहारिक और शिक्षकीय गरिमा के विरुद्ध बताया है। जिला अध्यक्ष दिलीप साहू, प्रदेश संगठन सचिव बीरबल देशमुख, जिला संयोजक रामकिशोर खरांशु, कामता प्रसाद साहू, शिव शांडिल्य, वीरेन्द्र देवांगन, नीलेश देशमुख, पवन जोशी, कांतु राम चंदेल, जिला सचिव नरेंद्र साहू सहित अन्य पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से विरोध दर्ज कराया है।
उनका कहना है कि शिक्षकों पर पहले से ही कई गैर-शिक्षकीय कार्यों का बोझ है, ऐसे में आवारा कुत्तों की निगरानी जैसी जिम्मेदारी देना अनुचित है। एसोसिएशन का तर्क है कि कुत्तों की निगरानी व नियंत्रण स्थानीय प्रशासन का काम है, जिसे शिक्षकों पर थोपना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि स्कूलों में शिक्षण कार्य पहले ही बाधित हो रहा है और इस तरह की अतिरिक्त जिम्मेदारियां शिक्षक समुदाय की कार्य क्षमता को प्रभावित करती हैं।
संगठन ने आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि यह निर्णय न तो व्यावहारिक है और न ही शिक्षा के हित में। इधर, आदेश लागू होने के बाद जिला स्तर पर प्रशासनिक तैयारी शुरू कर दी गई है, जिसके तहत नोडल अधिकारियों की सूची तैयार की जा रही है। वहीं, शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि आदेश को वापस नहीं लिया गया तो वे आंदोलन का रास्ता अपना सकते हैं।

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