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    कश्मीर पर इमरान के बाद पाक सेना का अनर्गल बयान ; भारत ने लिया संज्ञान, लेकिन प्रतिक्रिया से परहेज

    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी इंटरनेट साइट पर कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की वहीं पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता (डीजी-आइएसपीआर) बाबर इफ्तिखार ने कश्मीर मुद्दे को लेकर अनर्गल प्रलाप किया। भारत ने इसपर संज्ञान लिया पर कुछ खास तवज्जो नहीं दिया।

    By TaniskEdited By: Updated: Wed, 05 Jan 2022 09:04 PM (IST)
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    कश्मीर पर पहले पीएम इमरान खान और बाद में पाक सेना ने दिया अनर्गल बयान। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एक तरफ घरेलू अर्थव्यवस्था की खराब होती स्थिति और दूसरी तरफ बढ़ते राजनीतिक दबाव। ऐसे में पाकिस्तान की इमरान खान सरकार कश्मीर मुद्दे को हर तरफ से हवा देने में जुट गई है। कश्मीर में आतंकवादियों को प्रवेश कराने की कोशिश के साथ ही अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर राग अलापने का काम और जोर-शोर से किए जाने के संकेत हैं। इस क्रम में बुधवार को जहां प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी इंटरनेट साइट पर कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश की, वहीं पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता (डीजी-आइएसपीआर) बाबर इफ्तिखार ने कश्मीर मुद्दे को लेकर अनर्गल प्रलाप किया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इन बयानों पर संज्ञान जरूर लिया है, लेकिन आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी करने से परहेज किया।

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    प्रधानमंत्री इमरान खान और पाक सेना के प्रवक्ता ने एक सुर में कश्मीर की स्थिति को तोड़ मरोड़कर पेश करने की कोशिश की और इसमें संयुक्त राष्ट्र को भी घसीटा। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से आग्रह किया कि वह कश्मीर के मसले में हस्तक्षेप करे। दोनों ने कश्मीर की लड़ाई में मदद करने की बात भी कही है। सूत्रों का कहना है कि यह पूरी तरह से हताशा में दिया गया बयान है।

    अगस्त, 2019 में अनुच्छेद-370 हटाने के बाद से ही पाकिस्तान कश्मीर और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लेकर आक्रामक रवैया अपनाए हुए है। बुधवार को पाकिस्तानी हुक्मरानों का बयान भी उसी क्रम में है। हताशा में ही पाकिस्तानी प्रधानमंत्री भारत जैसे लोकतांत्रिक देश पर दक्षिणपंथी होने का आरोप भी लगाते रहे हैं। घरेलू राजनीति में ढीली होती पकड़ को देखते हुए वह इस तरह के बयान दे रहे हैं।

    पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और सेना की तरफ से आ रहे इस बयान को संयुक्त राष्ट्र में आतंकरोधी समिति के अध्यक्ष के तौर पर भारत के कार्यभार संभालने से जोड़कर भी देखा जा रहा है। भारत एक वर्ष के लिए इस समिति का अध्यक्ष बना है और उसने साफ कर दिया है कि इस कार्यकाल में आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत बनाना उसका प्रमुख उद्देश्य होगा। खास तौर पर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंधित आतंकवादियों के खिलाफ किस तरह से कठोर कदम उठाए जाएं, इस पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा। भारत की यह कोशिश पाकिस्तान के लिए खतरे की घंटी है क्योंकि यूएन से प्रतिबंधित सबसे ज्यादा आतंकी वहीं पर हैं।