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    Dolo 650: कंपनी ने कहा- कमाई हुई 350 करोड़ तो कैसे बांट सकते हैं 1000 करोड़ की फ्रीबीज

    By Piyush KumarEdited By:
    Updated: Fri, 19 Aug 2022 09:27 PM (IST)

    माइक्रो लैब्स लिमिटेड मार्केटिंग के कार्यकारी उपाध्यक्ष जयराज गोविंदराजू ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया किसी भी कंपनी के लिए एक ब्रांड के विपणन पर 1000 करोड़ रुपये खर्च करना असंभव है जिसने कोविड महामारी के दौरान 350 करोड़ का कारोबार किया था।

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    बेंगलुरु स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड की दवा डोलो-650 की फाइल फोटो।

    नई दिल्ली, एजेंसी। बुखार के इलाज में काम आने वाली दवा डोलो (Dolo) कोरोना वायरस की शुरुआत से लगातार चर्चा में है। इसी बीच एक गैर-सरकारी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि कंपनी ने मरीजों को डोलो-650 दवा लिखने के लिए डाक्टरों को 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के उपहार दिए। शुक्रवार को कंपनी ने आरोप को बेबुनियाद और गलत बताया है।

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    सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के दौरान मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव्स ने गुरुवार को बताया कि बेंगलुरु स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी माइक्रो लैब्स लिमिटेड ने मरीजों को डोलो-650 दवा लिखने के लिए डॅाक्टरों को 1000 करोड़ रुपये से ज्यादा के उपहार दिए थे। कंपनी ने सफाई देते हुए कहा कि कोरोना महामारी के दौरान इस ब्रांड ने सिर्फ 350 करोड़ रुपये का कारोबार किया।

    एक हजार करोड़ रुपये का उपहार देना असंभव: कंपनी

    माइक्रो लैब्स लिमिटेड, मार्केटिंग के कार्यकारी उपाध्यक्ष जयराज गोविंदराजू ने समाचार एजेंसी एएनआइ को बताया, 'किसी भी कंपनी के लिए एक ब्रांड के विपणन (Marketing) पर 1000 करोड़ रुपये खर्च करना असंभव है, जिसने कोविड महामारी के दौरान 350 करोड़ का कारोबार किया था। गौरतलब है कि डोलो 650 एनएलईएम (NLEM)(मूल्य नियंत्रण) के अंतर्गत आता है।

    बता दें कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से 10 दिनों में जवाब दाखिल करने की मांग की है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ को बताया गया कि डोलो-650 मिलीग्राम टैबलेट के निर्माताओं ने रोगियों को बुखार रोधी दवा देने के लिए डॅाक्टरों को मुफ्त में 1,000 करोड़ रुपये उपहार बांटे हैं।

    न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने भी किया है डोलो-650 का उपयोग

    फेडरेशन ऑफ मेडिकल एंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने सुप्रीम कोर्ट की बेंच के समक्ष बड़े दावे किए। उन्होंने बताया कि डोलो-650 के निर्माताओं ने 650 एमजी (mg) फॅार्मूलेशन के लिए डॅाक्टरों पर 1000 करोड़ से ज्यादा खर्च किए। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की कि यह एक 'गंभीर मुद्दा' है और कहा कि उन्हेंने भी कोरोना वायरस महामारी के दौरान डोलो-650 टैबलेट का इस्तेमाल किया है।