Immigration and Foreigners Bill 2025: घुसपैठियों की खैर नहीं, खत्म होंगे 4 पुराने कानून; क्या है सजा का प्रावधान?
Immigration and Foreigners Bill 2025 अवैध घुसपैठ और अनाधिकृत रूप से फर्जी दस्तावेज बनाकर रहने वाले लोगों की रोकथाम के लिए मंगलवार को संसद में एक इमिग्रेशन बिल पेश किया गया। इस बिल क्या प्रावधान हैं इसमें कितनी सजा मिलेगी इस बिल के कानून बनने के बाद कौन से चार पुराने कानून खत्म हो जाएंगे। ऐसे ही सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़िए यह स्टोरी।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की अखंडता पर हमला करने वाले लोगों पर लगाम लगाने के लिए मंगलवार को नया विधेयक Immigration Bill 2025 पेश किया गया है। इस बिल का नाम 'इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल 2025' (अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025) है। बांग्लादेशी हो या पाकिस्तानी, हमारे देश में रहने वाले किसी भी विदेशी नागरिक को इस बिल के लागू होने के बाद बख्शा नहीं जाएगा। उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
यह बिल जब कानून का रूप ले लेगा, तब इमिग्रेशन और नागरिकों से जुड़े पुराने कानून खत्म कर दिए जाएंगे। यह बिल इस लिहाज से भी खास है कि हमारे देश में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले या रह रहे विदेशियों को लेकर कड़े प्रावधान रहेंगे।
पढ़िए क्या है यह इमिग्रेशन बिल, कौन से कानून खत्म किए जाएंगे। इस बिल को लाने की क्या है वजह?
क्यों लाया गया यह बिल?
- भारत की सुरक्षा और संप्रभुता जरा सी भी आंच न आए, इस उद्देश्य से मंगलवार को संसद में इमिग्रेशन बिल पेश किया गया।
- इस बिल में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि कोई व्यक्ति इस देश के लिए खतरा है या फिर फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर हमारे देश की भूमि पर रह रहा है, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
- किसी विदेशी व्यक्ति के हमारे देश में प्रवेश करने पर उस देश से हमारे रिश्तों में अड़चन आती है, तो उसे देश में प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। यह बिल सीधे तौर पर हमारे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए बनाया गया है।
सरकर ने साफ कर दिया बिल का मकसद
- मंगलवार को इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स बिल 2025 केंद्रीय गृह मंत्री की ओर से गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय द्वारा पेश किया गया। इस बिल को लेकर गृह राज्यमंत्री राय ने साफ कर दिया कि यह विधेयक किसी को देश में आने से रोकने के लिए नहीं है।
- इस बिल का साफ उदृदेश्य है कि कोई भी व्यक्ति भारत में आए, वो नियम कायदों का पालन करते हुए आए। हालांकि इस बिल विपक्ष ने विरोध भी किया है। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और तृणमूल कांग्रेस के सौगात राय ने इस बिल को लेकर विरोध जताया है।
यह बिल लाने की क्या है वजह?
अप्रवासन और विदेशी विधेयक 2025 को लाने का उदृदेश्य इमिग्रेशन या अप्रवासन के नियमों को ताकतवर बनाना और नया रूप देना है। यह बिल भारत में प्रवेश लेने वाले और देश से बाहर प्रस्थान करने वाले लोगों के पासपोर्ट या बाकी ट्रेवल के डॉक्यूमेंट्स की जरूरतों और विदेशियों से जुड़े मामलों को 'रेग्यूलेट' करने की भारत सरकार को शक्तियां प्रदान करेगा। इनमें वीजा की जरूरत और उनसे जुड़े मामले भी शामिल हैं।
इमिग्रेशन बिल पर क्या है एक्सपर्ट की राय, पांच सवालों से समझिए
सुप्रीम कोर्ट के वकील और कानून के जानकार विराग गुप्ता ने जागरण डॉट कॉम को इमिग्रेशन बिल से जुड़े पांच अहम बिंदुओं के बारे में बताया।
सवाल-1 इमिग्रेशन एंड फॉरनर्स बिल-2025 की जरुरत क्यों पड़ी?
जवाब- चार पुराने कानूनों को खत्म करके यह नया बिल बनाया गया है। इनमें से 3 कानून फॉरनर्स एक्ट-1946, पासपोर्ट एक्ट-1920, रजिस्ट्रेशन ऑफ फॉरनर्स एक्ट-1939 अंग्रेजों के समय के औपनिवेशिक कानून हैं, जबकि इमिग्रेशन (करियर लाइबलिटी) कानून को साल-2000 में बनाया गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने अवैध घुसपैठियों के खिलाफ कारवाई शुरु की है। भारत में रोहिंग्या और विदेशी घुसपैठ के संकट से निपटने के लिए पिछले कई वर्षों से बहस और कानूनी प्रक्रिया चल रही है।
सवाल-2- भारत में विदेशियों की पहचान के लिए जनसंख्या रजिस्टर का प्रावधान क्या है?
- जवाब- अवैध घुसपैठियों को रोकने के लिए नागरिकों की पहचान और रजिस्ट्रेशन सबसे जरूरी है। संविधान की सातवीं अनुसूची में केन्द्रीय सूची में इंट्री-17 के अनुसार नागरिकता का विषय केन्द्र सरकार के अधीन आता है।
- आजादी के बाद 1951 में पहली बार जनगणना होने के बाद, नियमों के अनुसार जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) बनना चाहिए था। नागरिकता के लिए संसद ने 1955 में कानून बनाया लेकिन उसके अमल के लिए पहली बार 2003 में नियमों के अनुसार नागरिकों के रजिस्टर (एनआरसी) का नियम बनाया गया।
- उसके बाद साल-2010 में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर बनाने की प्रक्रिया के साथ आधार कार्ड का सिस्टम लागू हुआ। लेकिन उसमें पता और नागरिकता का वेरिफिकेशन नहीं होने की वजह से मामला उलझ गया।
सवाल-3- नागरिकता अधिनियम में बदलाव और सुप्रीम कोर्ट का फैसला?
जवाब- साल-2019 में नागरिकता अधिनियम में धारा-6-बी के माध्यम से सीएए का प्रावधान किया गया। उसके अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के पड़ोसी देशों से आने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए नागरिकता का प्रावधान किया गया। असम समझौते को लागू करने के लिए नागरिकता कानून में धारा-6-ए जोड़ी गई थी। इसके अनुसार पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश से आये लोगों के लिए नागरिकता का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अक्टूबर-2024 के फैसले से उस कानून को वैध करार दिया है।
सवाल-4- नए कानून से क्या बदलेगा?
- जवाब- विदेशी घुसपैठ से बढ़ रहे संकट से निपटने के लिए नये कानून में अनेक महत्वपूर्ण प्रावधान हैं। सबसे महत्वपूर्ण प्रावधान यह है कि अब सरकार की बजाए विदेशी व्यक्ति को यह साबित करना पड़ेगा कि वह भारत का नागरिक है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा के इस मामले में सख्ती से निपटने के लिए केन्द्र सरकार और आव्रजन अधिकारियों को और अधिकारों से लैस किया गया है। वैध वीजा के बगैर भारत में प्रवेश करने वालों को 5 साल की सजा और 5 लाख तक का जुर्माना होगा।
- दस्तावेजों में हेरा-फेरी कर भारत में प्रवेश करने वाले विदेशियों को 2 से 7 साल तक की सजा और 1 से 10 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। प्रतिबंधित क्षेत्रों में विदेशियों के प्रवेश करने पर उन्हें 3 साल तक सजा और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
- अवैध घुसपैठियों को भारत लाने वाले वाहनों या ट्रांसपोर्ट साधनों को जब्त करने के साथ मालिकों पर 5 लाख तक का जुर्माना हो सकता है।
सवाल-5- इस कानून को लागू होने में क्या अड़चनें आ सकती हैं?
जवाब- संसद में बहस के बाद दोनों सदनों में पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून सरकार की नोटिफिकेशन के अनुसार लागू होगा। देशहित से जुड़े इस कानून को बनाने के लिए केन्द्र सरकार और संसद के पास सम्पूर्ण संवैधानिक अधिकार हैं। लेकिन सीएए और एनआरसी की तर्ज पर नये कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती मिल सकती है।
नागरिकता का विषय केन्द्र सरकार के अधीन हैं। लेकिन पुलिस और कानून व्यवस्था का विषय राज्यों के अधीन है। अवैध घुसपैठियों को राज्य सरकारों से राशन कार्ड और पहचान-पत्र मिल जाते हैं। ऐसे लोगों को आधार कार्ड मिलने और उनका नाम वोटर कार्ड में शामिल होने से केन्द्रीय सरकार की विफलता भी उजागर होती है।
अधिकांश विदेशी घुसपैठिए गरीब और बेघर होते हैं, जिनके पास जुर्माने के लिए पैसा नहीं होता। भारत के डिटेंशन सेंटर्स में घुसपैठियों को लंबे समय तक रखना खर्चीला काम है। घुसपैठियों को भारत से बाहर भेजने में सरकार को अभी तक बड़े पैमाने पर सफलता नहीं मिली है। इसलिए कानून में बदलाव के साथ राज्य सरकारों के सहयोग और अदालतों में मामलों के जल्द निपटारे से ही घुसपैठियों के मर्ज से भारत को राहत मिलेगी।
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