अब बच्चों को प्लेसमेंट के लिए नहीं पड़ेगा भटकना, IIT मद्रास ने तैयार किया पोर्टल
आईआईटी मद्रास ने छोटे शहरों के इंजीनियरिंग छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल बनाया है। यह पोर्टल छात्रों को ऑनलाइन प्रशिक्षण देगा और उनकी रैंकिंग तैयार करेगा, जिसे उद्योगों के साथ साझा किया जाएगा। 2026 से परीक्षाएँ आयोजित की जाएंगी। इस पोर्टल का नाम एनआईपीटीए रखा गया है, जिसका उद्देश्य छात्रों को बेहतर नौकरी के अवसर प्रदान करना है।

अब बच्चों को प्लेसमेंट के लिए नहीं पड़ेगा भटकना
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इंजीनियरिंग सहित दूसरे डिग्री-डिप्लोमा कोर्स करने वाले छोटे शहरों के प्रतिभाशाली बच्चों को अब इंटर्नशिप और प्लेसमेंट के लिए भटकना नहीं होगा बल्कि उनकी प्रतिभा का मूल्यांकन करके उन्हें नौकरियों के बेहतर मौके मुहैया कराए जाएंगे।
शिक्षा मंत्रालय की मदद से आइआइटी मद्रास ने इसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर एक पोर्टल तैयार किया है जो उद्योगों की जरूरत को देखते हुए छात्रों को न सिर्फ ऑनलाइन तीन महीने पढ़ाएंगे बल्कि एक परीक्षा लेकर उनकी रैंकिंग भी तैयार करेंगे। जो उद्योगों के साथ साझा होगी। इसके आधार वे उन्हें जरूरत के आधार पर नौकरियों के लिए ऑफर करेंगे।
इस मुहिम में छोटे शहरों के प्रतिभाशाली बच्चों पर फोकस इसलिए भी किया गया है क्योंकि बड़े शहरों व संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को कैंपस में ही प्लेसमेंट और इंटर्नशिप के मौके मिल जाते है, जबकि छोटे शहरों के संस्थानों में पढ़ने वालों छात्रों को इसके लिए भटकना होता है।
2026 से इसके लिए परीक्षाएं आयोजित की जाएगी
आइआइटी मद्रास के मुताबिक अगले साल से यानी 2026 से इसके लिए परीक्षाएं आयोजित की जाएगी। फिलहाल इसके लिए राष्ट्रीय पोर्टल तैयार हो गया है। अब तक देश भर के करीब पांच हजार छात्रों ने इस पर अपने रजिस्ट्रेशन करा लिए है। जल्द ही इसके जरिए छात्रों को पढ़ाने सहित दूसरी प्रतिभाओं को निखारने को लेकर काम शुरू होगा। वहीं परीक्षा में हिस्सा लेने वाले छात्रों को आइआइटी की ओर इस दौरान एक प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।
छात्रों के रोजगार मुहैया कराएगा पोर्टल
इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे आइआइटी मद्रास के प्रोफेसर श्रीकांत वेदांतम के मुताबिक छात्रों के रोजगार मुहैया कराने वाले इस पोर्टल का नाम एनआइपीटीए( नेशनल इंटर्नशिप, प्लेसमेंट ट्रेनिंग एंड असेसमेंट) रखा गया है। जो लांच कर दिया है। देश की प्रमुख कंपनियों के साथ इसे लेकर चर्चा भी शुरू की गई है। इसका उद्देश्य छोटे शहरों व कस्बों में पढ़ने वाले बच्चों को उचित मौका मुहैया कराना है। इसमें इंजीनियरिंग और दूसरे डिग्री कोर्स के तीसरे वर्ष के और डिप्लोमा के अंतिम वर्ष के छात्र हिस्सा ले सकेंगे।
इस दौरान देश के प्रमुख शहरों में तीन घंटे की एक ऑफलाइन परीक्षा आयोजित करायी जाएगी। इसके परिणामों को अभी सिर्फ देश और बाद में विदेशों की प्रमुख कंपनियों के साथ साझा किया जाएगा। यह पूरी प्रकिया नि:शुल्क रखी गई है। प्रोफेसर वेदांतम के मुताबिक इससे उद्योगों को भी बड़ा फायदा मिलेगा। उन्हें बगैर किसी भाग-दौड़ किए प्रमाणित अच्छे बच्चे मिल जाएंगे।
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