मोदी का विरोध करना छात्र समूह को महंगा पड़ा, मद्रास IIT ने लगाया बैन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना को लेकर मिली शिकायत के बाद मद्रास आइआइटी ने दलित स्टूडेंट्स संगठन के एक फोरम पर बैन लगा दिया है। छात्र समूह के खिलाफ एक अज्ञात शिकायत मिलने के बाद आइआइटी ने यह कदम उठाया है।
चेन्नई। आईआईटी मद्रास के दलित स्टूडेंट्स संगठन के फोरम पर लगी बैन के विरोध में कई नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आवाज उठाई है। वहीं, आईआईटी मद्रास ने बयान जारी कर कहा है कि संस्थान अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के खिलाफ नहीं है।
वहीं, राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मोदी सरकार दलितों की आवाज को दबा रही है। यादव ने सोशल नेटवर्किंग साईट टि्वटर पर लिखा, 'मोदी सरकार दलितों की आवाज को दबाने के साथ ही अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भी रोक लगा रही है।' आईआईटी मद्रास में दलितों के समूह को केवल इसलिए बैन कर दिया गया क्योंकि वे केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना रहे थे। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या यह सरकार की ओर से संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर को सम्मान देने का तरीका है।
जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने ट्विटर पर लिखा है कि क्या यह रोक संविधान के आर्टिकल 19ए द्वारा प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वंत्रतता का उल्लंघन नहीं है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना को लेकर मिली शिकायत के बाद मद्रास आइआइटी ने दलित स्टूडेंट्स संगठन के एक फोरम पर बैन लगा दिया है। छात्र समूह के खिलाफ एक अज्ञात शिकायत मिलने के बाद आइआइटी ने यह कदम उठाया है। वहीं, इस समूह ने बयान जारी कर कहा कि उन्हें आईआईटी प्रशासन ने सफाई देने का मौका नहीं दिया और एकतरफा ढंग से कार्रवाई करते हुए बैन लगा दिया।
अज्ञात शिकायत में कहा गया है कि छात्र समूह हिंदी के इस्तेमाल, गोमांस और केंद्र सरकार की कुछ अन्य नीतियों पर दूसरे छात्रों को बरगला रहा था।
आइआइटी कैंपस में आंबेडकर-पेरियार स्टूडेंट सर्कल (एपीएससी) की गतिविधियों के बारे में मिली शिकायत के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जांच कराई। इस जांच के बाद आइआइटी ने स्टूडेंट सर्कल पर प्रतिबंध लगाया।
मंत्रालय का पत्र मिलने के बाद आईआईटी मद्रास के डीन एम श्रीनिवासन ने कथित तौर पर स्टडी सर्किल को एक सख्त चिट्ठी लिखते हुए 'सुविधाओं के दुरुपयोग' का आरोप लगाया। हालांकि छात्रों के इस ग्रुप ने आरोप को नकारते हुए कहा है कि वे केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान नहीं कर रहे थे और संस्थान ने उन्हें सफाई का मौका नहीं दिया और एकतरफा और अलोकतांत्रिक फैसला ले लिया।
स्टडी सर्किल के एक सदस्य अभिनव ने कहा, हमने संविधान का उल्लंघन नहीं किया है। संविधान हमें सरकार और उसकी नीतियों की आलोचना करने की इजाजत देता है। लेकिन आईआईटी प्रशासन लोकतांत्रिक ताकतों का गला घोंटने की कोशिश कर रहा है।
छात्र समूह पर की गई कार्रवाई को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है और यह मुद्दा दिन में ट्विटर के टॉप ट्रेंड्स में शामिल था।
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