आरोपित पर संदेह का मजबूत कारण हो तो तय किया जा सकता है आरोप -सुप्रीम कोर्ट
शीर्ष अदालत दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले पुनीत सभरवाल और आरसी सभरवाल द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने इन आरोपितों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तय करने के निचली अदालत के 2006 के आदेश को रद करने से इनकार कर दिया था।शीर्ष अदालत ने निचली अदालत को पिछले 25 वर्षों से लंबित इस मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया है।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि रिकार्ड पर मौजूद सामग्री के आधार पर अगर किसी अपराध में आरोपित की भूमिका को लेकर संदेह का मजबूत कारण हो तब भी आपराधिक मामले में आरोप तय किया जा सकता है।
आय से अधिक संपत्ति के मामले में आरोप तय करने के निचली अदालत के फैसले को रद करने से इनकार करते हुए जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत का काम 'मुकदमे का ड्रेस रिहर्सल' करना नहीं है, वह भी प्रारंभिक चरण में जहां निचली अदालत ने केवल आरोप तय किए हैं।
आरोप तय करने के निचली अदालत के फैसले को रद करने से किया इनकार
इस स्तर पर शीर्ष अदालत में सुनवाई संभव नहीं है। शीर्ष अदालत दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाले पुनीत सभरवाल और आरसी सभरवाल द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने इन आरोपितों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप तय करने के निचली अदालत के 2006 के आदेश को रद करने से इनकार कर दिया था।
25 वर्षों से लंबित इस मुकदमे में तेजी लाने का दिया निर्देश
शीर्ष अदालत ने निचली अदालत को पिछले 25 वर्षों से लंबित इस मुकदमे में तेजी लाने का निर्देश दिया है।आपराधिक मामले में मुकदमे की शुरुआत साक्ष्यों की रिकार्डिंग के साथ होती है। अदालत जांच एजेंसी द्वारा रिकार्ड पर पेश की गई सामग्री पर प्रथम ²ष्टया विचार करती है और आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करती है।
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