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    'सड़क पर यातायात में अवरोध है, तो टोल नहीं वसूल सकते', केरल HC ने राजमार्गों पर Toll की वसूली पर रोक लगाई

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Wed, 06 Aug 2025 11:30 PM (IST)

    केरल हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यदि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) या उसके एजेंट राजमार्गों तक निर्बाध सुरक्षित और नियमित पहुंच प्रदान करने में विफल रहते हैं तो वे जनता से ऐसी सड़कों के लिए टोल नहीं वसूल सकते। जस्टिस ए. मुहम्मद मुस्ताक और हरिशंकर वी. मेनन की खंडपीठ ने एडापल्ली से मन्नुथी तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल वसूली पर रोक लगाते हुए यह फैसला सुनाया।

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    'सड़क पर यातायात में अवरोध है, तो टोल नहीं वसूल सकते'- केरल HC (फाइल फोटो)

     पीटीआई, कोच्चि। केरल हाई कोर्ट ने बुधवार को कहा कि यदि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) या उसके एजेंट राजमार्गों तक निर्बाध, सुरक्षित और नियमित पहुंच प्रदान करने में विफल रहते हैं, तो वे जनता से ऐसी सड़कों के लिए टोल नहीं वसूल सकते।

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    केरल में राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल की वसूली पर लगाई रोक

    जस्टिस ए. मुहम्मद मुस्ताक और हरिशंकर वी. मेनन की खंडपीठ ने एडापल्ली से मन्नुथी तक राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल वसूली पर रोक लगाते हुए यह फैसला सुनाया।

    अदालत ने कहा, हम आदेश देते हैं कि टोल की वसूली चार सप्ताह के लिए तत्काल प्रभाव से निलंबित रहेगी। हम यह भी आदेश देते हैं कि केंद्र सरकार जनता की चिंताओं और शिकायतों का समाधान करते हुए उपरोक्त अवधि के भीतर उचित निर्णय ले।

     ट्रैफिक जाम से ग्रस्त जनता

    टोल संग्रह को निलंबित करने का अंतरिम आदेश जनता से उपयोगकर्ता शुल्क वसूलने को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं पर आया। वर्तमान में राजमार्ग का यह हिस्सा अंडरपास, फ्लाईओवर, जल निकासी कार्य आदि के निर्माण और सर्विस रोड के अनुचित रखरखाव के कारण ट्रैफिक जाम से ग्रस्त है।

     टोल का भुगतान करने के लिए बाध्य है

    पीठ ने कहा कि जनता राजमार्ग का उपयोग करने के लिए टोल का भुगतान करने के लिए बाध्य है, वहीं दूसरी तरफ एनएचएआइ की यह जिम्मेदारी है कि वह स्वयं या उसका एजेंट किसी भी बाधा के बिना सुचारु यातायात सुनिश्चित करे। जनता और एनएचएआइ के बीच यह संबंध विश्वास के बंधन से बंधा हुआ है। जैसे ही यह विश्वास टूटता है, वैधानिक तरीके से टोल वसूलने का एनएचएआइ को दिया गया अधिकार जनता पर नहीं थोपा जा सकता।

    पीठ ने यह भी कहा कि राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई किसी भी बुनियादी ढांचा परियोजना में स्वाभाविक रूप से जनहित की न केवल रक्षा की जाए, बल्कि उसे प्राथमिकता भी दी जाए।