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    कर्ज पर लगाम लगाएं राज्य नहीं तो विकास दर पर पड़ेगा असर, RBI की चेतावनी

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Sun, 23 Apr 2023 09:16 PM (IST)

    केंद्रीय बैंक ने यह भी बताया कि भारत की तेज आर्थिक विकास दर को बनाए रखने के लिए पूंजीगत खर्चे में काफी ज्यादा वृद्धि की जरूरत होगी। सिर्फ शहरी क्षेत्र में अगले 15 वर्षों में 840 अरब डालर के निवेश की जरूरत होगी।

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    पिछले वित्त वर्ष में औसतन 11.5 प्रतिशत बढ़ा राज्यों पर कर्ज का बोझ-

    नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। कोविड के बाद राज्यों की वित्तीय स्थिति में तेजी से सुधार दिख रहा है लेकिन जिस तरह से पिछले कुछ वर्षों के दौरान राज्यों पर कर्ज का बोझ बढ़ा है, वह एक बड़ी चिंता का कारण है। अधिकांश राज्य वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश कर चुके हैं।

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    क्या कहते हैं आंकड़े

    इससे जुड़े आंकड़े बताते हैं कि इन पर कर्ज का बोझ पिछले वर्ष के मुकाबले 11.5 प्रतिशत बढ़ा है। वैसे राज्यों के कुल सकल घरेलू उत्पादन (एसजीडीपी) के मुकाबले कर्ज का अनुपात वर्ष 2021 (31 प्रतिशत) के मुकाबले अब कम हो कर 28.5 प्रतिशत हो गया है। इसके बावजूद इस कर्ज को चुकाने में राज्यों को अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा देना पड़ेगा।

    आरबीआइ की चेतावनी- कर्ज का बोझ बढ़ा तो पूंजीगत व्यय घटाना होगा

    आरबीआइ का एक अध्ययन पत्र चेतावनी भरे लहजे में कहता है कि अगर कर्ज का बोझ बढ़ता रहा तो राज्य पूंजीगत व्यय ज्यादा नहीं कर पाएंगे और इससे इनके विकास दर पर असर होगा।आरबीआइ ने पिछले शुक्रवार को राज्यों सरकार की तरफ से पूंजीगत व्यय और इनकी विकास दर के बीच संबंधों पर एक अध्ययन रिपोर्ट प्रकाशित की।

    इसमें कहा गया है कि राज्य जब पूंजीगत व्यय में एक प्रतिशत की वृद्धि करते हैं तो राज्य की विकास दर में 0.82 से 0.84 प्रतिशत की वृद्धि होती है। लेकिन कर्ज का बढ़ता असर सार्वजनिक विकास के फैसलों को प्रभावित करता है। कर्ज का स्तर बढ़ते ही राज्य पूंजीगत व्यय में कटौती शुरू कर देते हैं। केंद्रीय बैंक ने सुझाव दिया है कि कर्ज के स्तर को नीचे रखने का लक्ष्य होना चाहिए और साथ ही पूंजीगत व्यय को बढ़ाने की कोशिश होनी चाहिए।

    पूंजीगत खर्चे में काफी ज्यादा वृद्धि की होगी जरूरत : जरूरत

    केंद्रीय बैंक ने यह भी बताया कि भारत की तेज आर्थिक विकास दर को बनाए रखने के लिए पूंजीगत खर्चे में काफी ज्यादा वृद्धि की जरूरत होगी। सिर्फ शहरी क्षेत्र में अगले 15 वर्षों में 840 अरब डालर के निवेश की जरूरत होगी। राज्यों के कुल व्यय में नौ प्रतिशत वृद्धि की उम्मीदमोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने भी चालू वित्त वर्ष के लिए राज्यों की तरफ से पेश बजट के आधार पर इन पर कर्ज की स्थिति का एक आकलन पेश किया है।

    इसमें कहा गया है कि इस वर्ष सभी राज्यों का संयुक्त तौर पर एसजीडीपी के अनुपात में कर्ज का स्तर 28.3 प्रतिशत रहेगा, जो पिछले वित्त वर्ष के दौरान 28 प्रतिशत था। हालांकि, कोरोना काल से तुलना करें तो यह कम है।

    राज्यों के कुल व्यय में नौ प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद

    2020-21 में कोरोना की वजह से केंद्र के साथ ही राज्यों का राजस्व संग्रह काफी कम हो गया था और इन्हें काफी ज्यादा कर्ज लेना पड़ा था। इससे कुल एसजीडीपी के मुकाबले कर्ज का अनुपात बढ़कर 31 प्रतिशत हो गया था। इस साल जो बजट पेश किया गया है, उसके हिसाब से राज्यों के कुल व्यय में नौ प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद है।

    जबकि राज्यों के कुल संग्रह में 12.8 प्रतिशत की वृद्धि होने वाली है। 2023-24 में राज्यों की तरफ से कुल 9.9 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया जाएगा। प्रमुख राज्यों का एसजीडीपी के मुकाबले कर्ज अनुपात (त्‍‌नमें)महाराष्ट्र 18.1ओडिशा 13.1पंजाब 49.7उत्तर प्रदेश 32.1उत्तराखंड 28.2मध्य प्रदेश 30.2बिहार 37.8छत्तीसगढ़ 23.8झारखंड 27

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