PMGKAY: पीएम अन्न योजना का हुआ विस्तार तो घट जाएगा चावल का बफर स्टाक, 30 सितंबर को समाप्त होनी है योजना
सरकार ने योजना के विस्तार को लेकर फिलहाल कोई फैसला नहीं किया है। कोरोना की महामारी से परेशान गरीबों को खाद्यान्न मुहैया कराने के लिए अप्रैल 2020 में योजना की शुरआत हुई थी। इसके तहत प्रत्येक उपभोक्ता को पांच किलो अनाज हर महीने मुहैया कराया जाता है।

नई दिल्ली, ब्यूरो। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) को और विस्तार दिया गया तो चावल का बफर स्टाक दो दशक में पहली बार निर्धारित मानक से नीचे आ जाएगा। इससे ना केवल खाद्य चुनौतियां बढ़ेगी बल्कि एथनाम मिश्रण के लिए चावल भी उपलब्ध नहीं होगा। योजना के आगे बढ़ने से गेहूं का स्टाक निचले स्तर पर पहुंच जाएगा। मुफ्त अनाज इसी तरह बांटा गया तो एक अप्रैल 2023 को बफर स्टाक में केवल 120 लाख टन चावल बचेगा, जबकि मानक के मुताबिक 136 लाख टन स्टाक होना चाहिए।
सरकार ने योजना के विस्तार को लेकर फिलहाल कोई फैसला नहीं किया है। कोरोना की महामारी से परेशान गरीबों को खाद्यान्न मुहैया कराने के लिए अप्रैल 2020 में योजना की शुरआत हुई थी। इसके तहत प्रत्येक उपभोक्ता को पांच किलो अनाज हर महीने मुहैया कराया जाता है। अब तक इस योजना पर तीन लाख करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। योजना का विस्तार होने पर सरकारी खजाने पर खाद्य सब्सिडी के रूप में 90 हजार करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। खाद्य मंत्रालय ने अपनी समीक्षा रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है।
मुफ्त राशन वितरण की योजना के छठवें विस्तार का समय 30 सितंबर 2022 को समाप्त हो रहा है। इसलिए इसके और आगे बढ़ाने का फैसला केंद्रीय कैबिनेट को जल्दी ही लेना पड़ेगा। चालू वित्त वर्ष 2022-23 में अप्रैल से सितंबर तक के लिए जब इस योजना का विस्तार किया गया, उस समय इस पर तकरीबन 80 हजार करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान था। लेकिन स्टाक में गेहूं की कमी और उसकी जगह चावल की मात्रा बढ़ाने के फैसले से लागत मूल्य बढ़ गया। इससे खाद्य सब्सिडी पर लगातार बोझ बढ़ रहा है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लागू होने के बाद वर्ष 2013-14 से अनाज की खरीद को सीमा को हटा लिया गया। इसलिए कभी भी बफर स्टाक अपने मानक मात्रा से नीचे नहीं हुआ। चावल का स्टाक वर्ष 2000 से ही कभी बफर मानक से नीचे नहीं घटा है।
गेहूं की खरीद में 56 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई
चालू रबी मार्केटिग सीजन में गेहूं की खरीद में 56 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई। पैदावार कम होने से निर्धारित 444 लाख टन के मुकाबले केवल 188 लाख टन गेहूं की सरकारी खरीद हुई थी। चालू मानसून सीजन में धान उत्पादक राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड में चावल की पैदावार के कम होने का अनुमान है। हालांकि इसके मद्देनजर खाद्य मंत्रालय ने चावल की खरीद की आक्रामक नीति तैयार कर रखी है, जो एक अक्टूबर को लांच हो जाएगी।
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