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    नहीं चेते तो तो कचड़े के ढेर में तब्‍दील हो जाएंगे ये महासागर, ब‍िगड़ सकता है धरती का संतुलन- एक्‍सपर्ट व्‍यू

    जलवायु परिवर्तन की समस्‍या अब एक विकराल रूप ले चुकी है। सवाल यह है कि आखिर ग्‍लोबल वार्मिंग का प्रभाव समुद्र और उसके पारिस्थितकी तन्त्र को कैसे प्रभावित कर रहा है। इसका मानव सभ्‍यता पर और धरती पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा। इसके क्‍या गंभीर खतरे हैं।

    By Ramesh MishraEdited By: Updated: Fri, 26 Nov 2021 05:23 PM (IST)
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    नहीं चेते तो तो कचड़े के ढेर में तब्‍दील हो जाएंगे ये महासागर, ब‍िगड़ सकता है धरती का संतुलन।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। जलवायु परिवर्तन की समस्‍या अब एक विकराल रूप ले चुकी है। जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सर्वत्र देखा जा सकता है। ग्लोबल वार्मिंग से वायु मण्डल में बढ़ती कार्बन डाईआक्साइड का प्रभाव समुद्र और उसके पारिस्थितकी तंत्र को नष्‍ट कर रहा है। एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भूमध्य सागर सहित ग्लोबल वार्मिंग से समुद्री तापमान में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है। यूरोपीय संघ के (ईयू) कोपर्निकस समुद्री पर्यावरण निगरानी सेवा के आंकड़ों में जो बात सामने आई, उससे जलवायु परिवर्तन से दुनिया के समुद्रों और महासागरों को कितना खतरा बढ़ रहा है। फिलहाल इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। सवाल यह है कि आखिर ग्‍लोबल वार्मिंग का प्रभाव समुद्र और उसके पारिस्थितकी तन्त्र को कैसे प्रभावित कर रहा है। इसका मानव सभ्‍यता पर और धरती पर क्‍या प्रभाव पड़ेगा। इसके क्‍या गंभीर खतरे हैं।

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    ग्लोबल वार्मिंग की चपेट में समुद्र का पारिस्थितकी तंत्र

    1- पर्यावरणविद् विजयपाल बघेल का कहना है कि जलवायु परिवर्तन से समुद्री पारिस्थितकी तंत्र समाप्‍त हो रहा है। उन्‍होंने कहा कि कुल समुद्री प्रदूषण के नदियों और जल धाराओं के द्वारा घरती से मिश्रित होने वाले 85 फीसद प्रदूषण समुद्र के पारिस्थितकी तन्त्र में बदलाव लाने का जिम्मेदार है। ग्लोबल वार्मिंग से वायु मंडल में बढ़ती कार्बन डाईआक्साइड की मात्रा को अब समुद्र शोषित नहीं कर पा रहे हैं, जो पूर्व मे अपनी क्षमता के अनुसार शोषित करते रहे हैं।

    2- मानव जनित अजैविक कचरा, रासायनिक, औद्योगिक, प्लास्टिक प्रदूषण तथा प्राकृतिक ज्वालामुखी, कच्चा तेल, अंतरक्षीय कचरा, जैविक समुद्री कचरा आदि सागरीय संरचना में असंतुलन पैदा कर रहे हैं। रासायनिक कण अपघटन क्रिया में ज्यादा आक्सीजन का प्रयोग करते हुए रासायनिक प्रक्रिया करते हैं जिससे खाड़ियां आक्सीजन रहित हो रहीं है।

    3- उन्‍होंने कहा कि इसके लिए सीधेतौर पर मानव जिम्‍मेदार है। बघेल ने कहा कि समुद्र में कृषि अपशिष्टों के साथ भारी मात्रा में नाइट्रोजन बहिश्राव होने और उसके डीकम्पोज होने से आक्सीजन घटकर डेड जोन बनते जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन से समुद्र के शैवाल पुंजो का निरंतर पतन हो रहा है।

    4- ग्लोबल वार्मिंग के कारण महासागरों की सतह पर हलचल कम हो गई है। और वह स्थाई होने के साथ ही गर्म भी होने लगीं हैं। मानव के लिए यह अच्छा संकेत नहीं हैं। इसके बेहद खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण महासागरों के तापमान में बढ़ोत्तरी हुई है। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे ग्रह का तापमान बढ़ा है, लेकिन इसका महासागरों पर अलग तरह से असर हुआ है।

    5- उन्‍होंने कहा कि समुद्र के जलस्तर में वृद्धि हो रही है। यह दो प्रमुख कारणों से होता है। ग्‍लोबल वार्मिंग के कारण बर्फ की चादरें तेजी से पिघल रही हैं। पिछली आधी सदी में समुद्र जलस्तर में प्रति वर्ष लगभग 2-3 मिमी की वृद्धि हुई है। उन्‍होंने कहा कि समुद्र के स्तर में वृद्धि का असर मूंगा भित्तियों पर पर पड़ रहा है। समुद्र के स्तर में वृद्धि से तलछटी प्रक्रियाओं में वृद्धि होने की संभावना है।

    6- छोटे द्वीपों को भारी नुकसान पहुंच सकता है। 36 द्वीपों का समूह लक्षद्वीप न केवल अपने प्राकृति सौंदर्य के लिए बल्कि सामुद्रिक जैव-विविधता के दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। अध्ययन के अनुसार समुद्र के स्तर में बढ़ोतरी से लक्षद्वीप के चेलट और अमिनी जैसे छोटे द्वीपों को बहुत नुकसान होगा। देश की पश्चिमी तट रेखा के पास में स्थित लक्षद्वीप में समुद्र तल में सालाना 0.4 एमएम प्रति वर्ष से लेकर 0.9 एमएम प्रति वर्ष के दायरे में वृद्धि हो सकती है। समुद्र के जल स्तर में बढ़ोतरी से यह पूरा द्वीप समूह संवेदनशील स्थिति में है। लक्षद्वीप को लेकर किया गया यह अपनी तरह का पहला अध्ययन है, जिसमें क्लाइमेट माडल अनुमान के आधार पर भविष्य की तस्वीर का खाका खींचने का प्रयास किया गया है।

    आखिर क्‍या है समुद्री प्रदूषण

    समुद्री प्रदूषण वह प्रदूषण है, जिसमें रासायनिक कण, औद्योगिक, कृषि एवं घरेलू कचरा तथा मृत जीव महासागर में प्रवेश करके समुद्र में हानिकारक प्रभाव उत्पन्न करते हैं। समुद्री प्रदूषण के स्रोत अधिकतर धरातलीय हैं। अक्‍सर यह प्रदूषण कृषि अपवाह या वायु प्रवाह से पैदा हुए अपशिष्ट स्रोतों के कारण होता है।