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    सेना-नौसेना महिलाओं को स्थायी कमीशन दे रही हैं तो तटरक्षक बल क्यों नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुनाई खरी-खरी

    By Jagran News Edited By: Siddharth Chaurasiya
    Updated: Mon, 19 Feb 2024 10:26 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय तटरक्षक बल (इंडियन कोस्ट गार्ड) में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने में ना-नुकर पर तीखी टिप्पणियां करते हुए कहा कि जब सेना और नौसेना महिलाओं को स्थायी कमीशन दे रही हैं तो भारतीय तटरक्षक बल इस सीमा से बाहर नहीं जा सकता। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जल्द ही लिंग तटस्थ (जेंडर न्यूट्रल) पॉलिसी लाने पर विचार करने को कहा।

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    कोर्ट ने महिलाओं को कमतर समझने और पुरुषवादी सोच को लेकर भी टिप्पणियां कीं।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय तटरक्षक बल (इंडियन कोस्ट गार्ड) में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने में ना-नुकर पर तीखी टिप्पणियां करते हुए कहा कि जब सेना और नौसेना महिलाओं को स्थायी कमीशन दे रही हैं तो भारतीय तटरक्षक बल इस सीमा से बाहर नहीं जा सकता। कोर्ट ने केंद्र सरकार से जल्द ही लिंग तटस्थ (जेंडर न्यूट्रल) पॉलिसी लाने पर विचार करने को कहा।

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    कोर्ट ने कहा कि अगर महिलाएं सीमा पर रक्षा कर सकती हैं तो वे तटों की भी रक्षा कर सकती हैं। कोर्ट ने महिलाओं को कमतर समझने और पुरुषवादी सोच को लेकर भी टिप्पणियां कीं। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ इंडियन कोस्ट गार्ड में स्थाई कमीशन की मांग करने वाली महिला अधिकारियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

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    पीठ ने ये टिप्पणियां तब कीं जब केंद्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) बिक्रमजीत बनर्जी ने कहा कि तटरक्षक बल सेना और नौसेना की तुलना में अलग डोमेन में काम करता है। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप इतनी पुरुषवादी सोच के क्यों हैं? आप महिलाओं को कोस्ट गार्ड में नहीं देखना चाहते? जब नौसेना में महिलाएं हैं तो कोस्ट गार्ड में ऐसा क्या खास है? कोर्ट ने कहा कि वह इस मामले को गहराई से देखेगा।

    पीठ ने कहा कि वो दिन गए जब कहते थे कि महिलाएं कोस्ट गार्ड नहीं हो सकतीं। महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं तो महिलाएं तटों की भी रक्षा कर सकती हैं। आप नारी शक्ति की बात करते हैं, अब इसे यहां दिखाओ। पीठ ने कहा कि जब सेना और नौसेना ने महिलाओं को स्थायी कमीशन दे दिया है तो हमें नहीं लगता कि कोस्ट गार्ड कह सकता है कि वह इससे बाहर है। पीठ ने एएसजी से कहा कि आपने सुप्रीम कोर्ट का बबीता पुनिया के मामले में दिया फैसला नहीं पढ़ा है क्या।

    मालूम हो कि 2020 में दिए इस ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शार्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारी अपने पुरुष समकक्षों के समान स्थाई कमीशन की हकदार है। जब कोर्ट ने एएसजी से पूछा कि क्या कोस्ट गार्ड में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन दिया जाता है तो उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत को दिया जाता है। 10 प्रतिशत पर असंतोष जताते हुए टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि 10 प्रतिशत क्यों? क्या महिलाएं कमतर इंसान हैं।

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    कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह जल्दी ही एक जेंडर न्यूट्रल पालिसी लेकर आए। जब एएसजी ने याचिकाकर्ता महिला अधिकारी की मांग का विरोध करते हुए कुछ दलील देनी चाही तो पीठ ने कहा कि आप उसे भूल जाइए। यह सुप्रीम कोर्ट है, हो सकता है कि कोर्ट उसे छूट न दे लेकिन कोर्ट यह देखेगा कि कोस्ट गार्ड में महिलाओं के साथ न्याय हो। हम पूरा मामला खोल कर देखेंगे। बेहतर होगा कि आप निर्देश लेकर बताएं कि आप क्या करना चाहते हैं।