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    भारत के मिल्क मैन Dr. Verghese Kurien का नाम लिए बिना अधूरा है IDF-World Dairy Summit-2022

    By Kamal VermaEdited By:
    Updated: Mon, 12 Sep 2022 10:06 AM (IST)

    Dr. Verghese Kurien वो नाम है जिसने भारत में सफेद क्रांति के जरिए दूध के क्षेत्र में आत्‍मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। इसी कारण उन्‍हें भारत का मिल्‍क मैन समेत कई नामों से जाना जाता है। आईडीएफ-वर्ल्‍ड डेयरी समिट उनका नाम लिए बिना अधूरा ही लगता है।

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    भारत के डेयरी उद्योग में डाक्‍टर कुरियन की रही अहम भमिका

    नई दिल्‍ली (आनलाइन डेस्‍क)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्‍तर प्रदेश के नोयडा में IDF वर्ल्‍ड डेयरी समिट (International Dairy Federation- World Dairy Summit 2022) की शुरुआत कर रहे हैं। इस समिट में 46 देशों के करीब 1500 प्रतिनिधि हिस्‍सा ले रहे हैं। साथ 700 ऐसे व्‍यक्ति भी इस समिट का हिस्‍सा हैं जो सीधेतौर पर डेयरी उद्योग से जुड़े हुए हैं। डेयरी उद्योग सीधेतौर पर दुग्‍ध उद्योग या दूध के कारोबार से जुड़ा है। इसके बाद इसमें डेयरी प्रोडेक्‍ट आते हैं और दूसरी तरह की तकनीक के अलावा पशुओं के रखरखाव, उनकी बीमारियां और उनके इलाज शामिल है। 

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    भारत के डेयरी उद्योग में डाक्‍टर वर्गिस का योगदान 

    भारत में वर्ल्‍ड डेयरी समिट दुनियाभर में इस क्षेत्र में हो रही रिसर्च को साझा किया जागा। वर्ष 2019 में ये समिट तुर्की में हुआ था। इसक बाद 2020 में कोरोना महामारी के बीच इसका आयोजन दक्षिण अफ्रीका में किया गया था। वर्ष 2021 में डेनमार्क के शहर कापनहेगन में इसका आयोजन किया गया था। भारत में इसका आयोजन ऐसे समय में किया जा रहा है जब कुछ दिन पहले 9 सितंबर को भारत में सफेद क्रांति के सूत्रधार या कहें जनक Dr. Verghese Kurien की 10वीं पुण्‍यतिथी थी।

    डाक्‍टर कुरियन को याद किए बिना अधूरा है समिट 

    ये डेयरी समिट उन्‍हें याद किए बिना पूरी तरह से अधूरा है। उनके ही नेतृत्‍व में भारत ने खुद को दूध उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भर किया। भारत में उन्‍होंने आपरेशन फ्लड (Operation Flood) की शुरुआत की थी। गुजरात के एक छोटे से गांव आणंद से इसकी शुरुआत हुई थी। आज जिस दूध को हम अमूल के नाम से जानते हैं, उसकी शुरुआत डाक्‍टर कुरियन ने ही आणंद में की थी। भारत में डाक्‍टर कुरियन को Father of White Revolution और Milkman of India कहा जाता है। उन्‍होंने भारत के ग्रामीण क्षेत्र को जो ताकत दी उसका कोई जवाब नहीं है।

    कई अहम पदों पर रहे डाक्‍टर कुरियन 

    26 नवंबर 1921 को केरल के कोझिकोड में जन्‍मे डाक्‍टर वर्गिस कुरियन मद्रास यूनिवर्सिटी और फिर मिशिगन यूनिवर्सिटी से हायर एजूकेशन हासिल की थी। वे अमूल, इंस्टिट्यूट आफ रूरल मैनेजमेंट, आनंद और नेशनल डेयरी डेवलेपमेंट बोर्ड के चेयरमेन भी थे। 1989 में उन्‍हें वर्ल्‍ड फूड , 1997 में आर्डर आफ एग्रीकल्‍चर मेरिट, 1999 में पद्म विभूषण, 1966 में पद्म भूषण, 1956 में पद्म श्री और 1964 में रेमनमैग्‍सेसे पुरस्‍कार से भी नवाज गया था। गुजरात के नाडियाड जिले के छोटे से गांव आनंद को उन्‍होंने विश्‍व के मानचित्र पर एक अहम जगह दिलाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्‍होंने सरकारी नौकरी छोड़कर भारत को दूध उत्‍पादन में अग्रणी बनाने की शुरुआत की थी। 

    ग्रामीण क्षेत्र की रीढ की हड्डी बना दुग्‍ध उद्योग  

    डाक्‍टर कुरियन ने केवल भारत को दूध उत्‍पादन में आत्‍मनिर्भर ही नहीं बनाया बल्कि लोगों को रोजगार भी उपलब्‍ध करवाया। उन्‍होंने किसानों क साथ मिलकर खाने के तेल के क्षेत्र में भी देश को आत्‍मनिर्भर किया और किसानों को आयल किंग कहा। आज उनके स्‍थापित किए हुए अमूल डेयरी उद्योग में मिल्‍क पाउडर, दूध, घी, क्रीम, मक्‍खन, आइसक्रीम समेत कई सारी चीजों का उत्‍पादन किया जाता है।

    मंथन में दिखाई गई डाक्‍टर कुरियन की कहानी 

    उनके ऊपर मशहूर डायरेक्‍टर श्‍याम बेनेगल ने मंथन फिल्‍म बनाई थी। इसकी कहानी अमूल डेयरी उद्योग के बनने की कहानी थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि 1976 में प्रदर्शित इस फिल्‍म को देखने वालों में सबसे अधिक किसान और डेयरी उद्योग से जुड़े हुए लोग थे। इसमें नसीरुद्दीन शाह और स्‍मिता पाटिल ने निभाई थी।

    अमेरिका, अफ्रीका में दिखाई गई मंथन

    डाक्‍टर कुरियन ने केवल भारत में ही अपने काम की शोहरत नहीं पाई बल्कि उनके काम को विश्‍व भर में सराहा गया। युनाइटेड नेशन डेवलेपमेंट प्रोग्राम के तहत उनके माडल की जानकारी देने के लिए लेटिन अमेरिकी देशों और दक्षिण अफ्रीका में इस फिल्‍म का ही सहारा लिया गया था। अमूल के विज्ञापन में दिखाई देने वाली बच्‍ची ने जो एक पहचान बनाई उसके पीछे भी डाक्‍टर कुरियन ही थे दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले कार्यक्रम सुरभि में ही उनकी एक अहम भूमिका थी।