आइसीएमआर का आइबीडी न्यूट्रीकेयर एप आंतों के रोग से करेगा बचाव, निश्शुल्क किया जा सकता है डाउनलोड
रोग की रोकथाम के लिए बनाए गए एप को आठ भाषाओं में उपलब्ध कराया गया है। इनमें हिंदी अंग्रेजी मराठी तेलुगु गुजराती तमिल मलयालम और बंगाली शामिल है। वर्ष 2019 में आइसीएमआर ने सेंटर फार एडवांस्ड रिसर्च एंड एक्सीलेंस की स्थापना की थी।
नई दिल्ली, एएनआइ। विश्व इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (IBD) डे पर आयोजित एक समारोह में इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने आइबीडी न्यूट्रीकेयर एप लांच किया है। आइसीएमआर के डायरेक्टर जनरल डा. बलराम भार्गव ने बताया कि इस एप को गैस्ट्रोलाजिस्ट, डायटिशियन व एम्स की एप डेवलपर टीम के सहयोग से तैयार किया गया है। इस एप के जरिये भारत में आइबीडी की रोकथाम को लेकर सार्थक प्रयास किया जाएगा।
आइसीएमआर के सेंटर फार एडवांस्ड रिसर्च एंड एक्सीलेंस की इस पहल का नेतृत्व एम्स के प्रोफेसर डा. विनीत अहूजा करेंगे। वर्ष 2017 में प्रकाशित एक शोध पत्र में बताया गया कि वर्ष 2010 में भारत में 14 लाख लोग मरीज आइबीडी से पीडि़त थे, जबकि विश्व में सर्वाधिक 16 लाख आइबीडी मरीज अमेरिका में हैं। शोध पत्र में आशंका जताई गई कि पश्चिम की तुलना में देश में यह रोग तेजी से पांव पसार रहा है।
कोरोना काल में डिजिटल हेल्थ केयर टूल की महत्ता बढ़ गई है काफी
रोग की रोकथाम के लिए बनाए गए एप को आठ भाषाओं में उपलब्ध कराया गया है। इनमें हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, तेलुगु, गुजराती, तमिल, मलयालम और बंगाली शामिल है। वर्ष 2019 में आइसीएमआर ने सेंटर फार एडवांस्ड रिसर्च एंड एक्सीलेंस की स्थापना की थी। इसका उद्देश्य डिजिटल हेल्थ प्लेटफार्म पर जागरूकता लाना है। इस एप के माध्यम से मरीजों को रोग से बचाव से संबंधित जानकारी दी जाएगी। कोरोना संक्रमण काल में डिजिटल हेल्थ केयर टूल की महत्ता काफी बढ़ गई है। देखा गया है कि रेडी टू ईट या प्रसंस्कृत खाद्य सामग्री की खपत तेजी से बढ़ी है। फास्ट फूड से आइबीडी का खतरा बहुत बढ़ गया है। यह आंतों में सूजन से संबंधित रोग है, जिससे पाचन तंत्र बुरी तरह प्रभावित हो जाता है। एप का उद्देश्य रियल टाइम ट्रैकिंग से मरीज को दवा, उचित खानपान और सलाह देना है। इस निश्शुल्क एप को एंड्रायड प्ले स्टोर या आइओएस से डाउनलोड किया जा सकता है। मरीज का नाम, कद और वजन की जानकारी देकर एप की सुविधा का लाभ ले सकते हैं। इससे टेली काउंसिलिंग भी हो सकेगी।