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    Positive India : IAS अधिकारी ने नदी को जीवन देने के साथ 800 लोगों को दिलाया रोजगार

    By Vineet SharanEdited By:
    Updated: Fri, 03 Jul 2020 09:21 AM (IST)

    आईएएस अधिकारी सिंह ने ग्राम पंचायत मवैया विकास खंड फतेहपुर में कल्याणी नदी को पुनर्जीवित करते हुए 800 लोगों को इसके माध्यम से रोजगार भी उपलब्ध कराया ह ...और पढ़ें

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    Positive India : IAS अधिकारी ने नदी को जीवन देने के साथ 800 लोगों को दिलाया रोजगार

    नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। देशभर में कोरोना वॉरियर्स अपने-अपने तरीके से इस महामारी को मात देने के साथ ही इनोवेटिव कार्यों में भी लगे हुए हैं। वे इस दौर में सामने आ रही चुनौतियों को न सिर्फ अवसर में तब्दील कर रहे हैं, बल्कि बाकी लोगों के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। ऐसी ही एक शख्सियत हैं बाराबंकी के डीएम आदर्श सिंह। आईएएस अधिकारी सिंह ने ग्राम पंचायत मवैया, विकास खंड फतेहपुर में कल्याणी नदी को पुनर्जीवित करते हुए 800 लोगों को इसके माध्यम से रोजगार भी उपलब्ध कराया है।

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    सिंह ने बताया कि फतेहपुर ब्लॉक के मवइया गांव के निकट कल्याणी नदी ढाई किलोमीटर की परिधि में साफ हो गई है। मनरेगा से यह काम संभव हुआ है। लॉकडाउन में नदी की सिल्ट सफाई का फायदा यह हुआ कि मनरेगा से ग्रामीणों के साथ ही प्रवासियों को भी काम मिल गया है। सिंह ने अपने इस अभियान के लिए दैनिक जागरण की भी भूरि-भूरि प्रशंसा की है और उसके अभियान को सराहा है।

    महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी स्कीम के तहत नदी को पुनर्जीवित करने के प्रोजेक्ट पर काम किया गया और इसके पहले चरण के लिए 59 लाख रुपये का बजट मिला। इस प्रोजेक्ट को दो भागों में बांटा गया- पहला 2.6 किलोमीटर का मवैया का स्ट्रेच और दूसरा हैदरगढ़ का डेढ़ किलोमीटर का स्ट्रेच। 2.6 किलोमीटर के स्ट्रेच के काम को पूरा कर लिया गया है। आदर्श सिंह ने बताया कि हमने शुरुआत में रेवेन्यू रिकॉर्ड से पता किया कि नदी का अस्तित्व कब से है और इसे जमीन से मैच किया। कुछ जगह पाया कि नदी विलुप्त हो चुकी थी और इसे डिमार्केट करने की जरूरत थी। हमने इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया है। भविष्य में इसे 171 किलोमीटर तक बेहतर और पुनर्जीवित करेंगे।

    सिंह ने बताया कि कल्याणी नदी किसानों के लिए सिंचाई का मुख्य स्रोत हुआ करती थी, पर सिल्ट के जमा होने के कारण यह नदी सूख गई थी। जिला प्रशासन ने नदी को साफ करने का काम बीते साल शुरू किया था, लेकिन लोगों की कमी के कारण यह पूर्ण नहीं हो पाया था। ऐसे में लॉकडाउन के समय लोगों का आवागमन पूरी तरह रुक गया था। ऐसे में जब मजदूरों की व्यथा, उनकी आजीविका की समस्या के बारे में मैंने सुना तो मैंने उन्हें इस समस्या के समाधान के लिए रोजगार देने के बारे में सोचा। मवैया गांव की परिधि में मनरेगा से नदी की सफाई एक मॉडल के रूप में कराई गई। इसका सुखद परिणाम सामने है।