Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अब वायुसेना के जवानों को UPSC परीक्षाओं में शामिल होने और सिविल सेवा अधिकारी बनने में नहीं आएगी अड़चन, जानें क्‍यों

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sun, 27 Mar 2022 06:16 PM (IST)

    अब वायु सेना के जवानों को यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षाओं और राज्य स्तरीय सिविल सेवा परीक्षाओं में शामिल होने और सेवा छोड़ कर प्रथम श्रेणी के अधिकारी बनने में कोई अड़चन नहीं आएगी। सशस्त्र बल न्यायाधिकरण ने इस बारे में एक बड़ा फैसला दिया है।

    Hero Image
    भारतीय वायु सेना के जवान अब सिविल सेवा में शामिल हो सकते हैं।

    नई दिल्‍ली, एएनआइ। उन मामलों में जहां भारतीय वायु सेना के अधिकारी यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षाओं और राज्य स्तरीय सिविल सेवा परीक्षाओं को पास करने वाले जवानों को सेवा छोड़ने और प्रथम श्रेणी के अधिकारी के रूप में शामिल होने की अनुमति नहीं दे रहे थे... सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की ओर से एक बड़ा फैसला आया है। न्यायाधिकरण ने भारतीय वायुसेना से ऐसे जवानों को सिविल सेवा में जाने की अनुमति देने को कहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    न्यायाधिकरण (Armed Forces Tribunal) के मुताबिक एयरफोर्स के जवान दो सप्ताह के भीतर छुट्टी लेकर सिविल सेवा में शामिल हो सकते हैं। न्यायमूर्ति राजेंद्र मेनन (Justice Rajendra Menon) की अध्यक्षता में सशस्त्र बल न्यायाधिकरण की प्रधान पीठ ने भारतीय वायु सेना को बल के बाहर ग्रेड ए सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करने के लिए जवानों को अनुमति देने को लेकर अपने नियमों और शर्तों को बदलाव करने को भी कहा है।

    बता दें कि कार्पोरल आयुष मौर्य और सार्जेंट कुलदीप विभूति ने वकील अंकुर छिब्बर के माध्यम से सशस्त्र बल न्यायाधिकरण में एक याचिका दायर की थी। मौर्य ने 2021 के लिए यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की है। वहीं विभूति ने बिहार सरकार की राज्य स्तरीय सिविल सेवा परीक्षा पास की है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्होंने सिविल सेवा में जाने की अनुमति के लिए आनलाइन आवेदन देने की कोशिश की लेकिन ऐसा नहीं कर सके...

    याचिकाकर्ताओं का कहना था कि आनलाइन आवेदन केवल उन्हीं कर्मियों को अनुमति दी जाती है जिनके पास कौशल ग्रेड में 'ए' श्रेणी होता है। उन्होंने अपनी परीक्षाओं को पास किया। उन्हें पिछले साल दिसंबर में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में शामिल होना था। एक आफलाइन आवेदन दायर करने के बाद भी वायुसेना की ओर से अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं दिया गया। वायुसेना की ओर से कहा गया कि कार्पोरल ने सिविल सेवा के लिए पूर्व अनुमति नहीं मांगी थी।  

    वकील अंकुर छिब्बर की ओर से दलीलों में कहा गया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले ही असैन्य क्षेत्र में नौकरियों के लिए जवानों को आवेदन करने की अनुमति देने के लिए कौशल ग्रेड ए की जरूरत को अनुचित करार दिया है। सैन्य अदालत ने कहा कि वह दोनों दलीलों को सही मानते हुए प्रतिवादियों को आदेश देती है कि दो सप्ताह के भीतर दोनों आवेदकों को जरूरी एनओसी जारी कर दी जाए। साथ ही दोनों आवेदकों को जरूरी निर्वहन का आदेश भी दिया जाता है।