IAF Develops Vayulink: वायुसेना ने तैयार किया वायुलिंक, खराब मौसम में भी संपर्क साध सकेंगे पायलट
वायुलिंक नामक इस डेटा लिंक संचार में सिग्नल कम होने पर बेस स्टेशन को रेडियो संचार भेजने के लिए भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का उपयोग किया जाता है। इससे सेना अपनी ही सेना या इसके हथियारों को निशाना बनाने से बच पाएगी।

बेंगलुरू, (पीटीआई)। पायलटों और बेस स्टेशन के बीच संचार के लिए भारतीय वायुसेना ने नया प्लेटफॉर्म वायुलिंक तैयार किया है। इस प्लेटफॉर्म से पायलट खराब मौसम में भी बेस स्टेशन से संपर्क कर पाएंगे और उन्हें जाम-रहित निर्बाध संचार मिलेगा। परियोजना से जुड़े वायु सेना अधिकारी ने बताया कि वायुलिंक नामक इस डेटा लिंक संचार में सिग्नल कम होने पर बेस स्टेशन को रेडियो संचार भेजने के लिए भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस) का उपयोग किया जाता है। इससे सेना अपनी ही सेना या इसके हथियारों को निशाना बनाने से बच पाएगी।
पायलट रेडियो संचार कर पाएंगे
वायुसेना ने बेंगलुरू में चल रहे एयरो इंडिया 2023 में इंडिया पवेलियन में वायुलिंक गैलरी लगाई है। विंग कमांडर विशाल मिश्रा ने इस बारे में जानकारी दी कि वायुलिंक एक एड-हॉक डेटा लिंक संचार प्रणाली है। जब इसे विमान में इंस्टॉल किया जाता है तो इससे सेक्योरड चैनल पर एन्क्रिप्टेड ट्रैफिक डेटा के साथ-साथ आसपास के अन्य विमानों की स्थिति का पता चलता है।
उन्होंने आगे बताया कि जब युद्ध की स्थिति के दौरान विमान किसी मित्र सेना के करीब उड़ान भर रहे होते हैं तो विमान के डिस्पले पर जमीन के टैंकों और सैनिकों सहित सैन्य बलों की स्थिति प्रदर्शित होती है। सिस्टम से पायलटों को मौसम के बारे में भी जानकारी मिल सकती है। इस सिस्टम के होने से रेडियो सिग्नल नहीं होने पर भी पायलट रेडियो संचार कर पाएंगे।
विमानों की टक्कर से होगा बचाव
उनके अनुसार यह प्रौद्योगिकी चूंकि वायुसेना द्वारा स्वयं तैयार की गई है, इसलिए इसका सैन्य उपयोगों के लिए व्यापक उपयोग किया जा सकता है। वायुलिंक प्रणाली विमानों की टक्कर से भी बचाएगी और इससे अलग-अलग लड़ाकू विमान उड़ाने वाले पायलट आपस में बेहतर तालमेल कर सकेंगे।
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