'मुझे काला रंग पसंद है, बचपन से ही..', त्वचा पर की गई टिप्पणी को लेकर केरल की मुख्य सचिव का जवाब
मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने सोशल मीडिया पर उन यूजर्स पर निशाना साधा है जो उनके सांवले रंग का मजाक उड़ा रहे हैं और उनके काम की तुलना उनके पति से कर रहे हैं। उन्होंने इसको लेकर फेसबुक पर एक लंबा पोस्ट लिखा- लंबे पोस्ट में 1990 बैच की आईएएस अधिकारी ने काले रंग की विशेषता बताई और कहा कि मुझे काला रंग पसंद है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल की मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उन लोगों को जवाब दिया है जो उनके रंग पर सवाल उठा रहे थे। मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने सोशल मीडिया पर उन यूजर्स पर निशाना साधा है जो उनके सांवले रंग का मजाक उड़ा रहे हैं और उनके काम की तुलना उनके पति से कर रहे हैं।
उन्होंने इसको लेकर फेसबुक पर एक लंबा पोस्ट लिखा, लंबे पोस्ट में 1990 बैच की आईएएस अधिकारी ने काले रंग की विशेषता बताई और कहा कि मुझे काला रंग पसंद है।
केरल सचिव ने लिखी फेसबुक पोस्ट
मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन ने फेसबुक पर लिखा , कल मुख्य सचिव के रूप में मेरे कार्यकाल पर एक दिलचस्प टिप्पणी सुनी। मुझे अपने कालेपन को स्वीकार करना होगा। ये पोस्ट मैंने डिलीट कर दी थी, क्योंकि इसपर कई टिप्पणियां आ रही थीं, लेकिन मेरे कुछ शुभचिंतको ने फिर से शेयर करने को बोला, क्योंकि कुछ चीजों पर चर्चा जरूर होती है। मैंने इसे स्वीकार किया और फिर से शेयर किया।
'काला वो है जो काला करता'
वरिष्ठ अधिकारी ने पदभार संभालने के बाद से अपने पति के साथ 'तुलनाओं की निरंतर परेड के बारे में लिखा। उन्होंने आगे लिखा, यह काले रंग का लेबल होने के बारे में था (महिला होने के उस शांत उपपाठ के साथ), जैसे कि यह कुछ ऐसा था जिस पर बेहद शर्म आनी चाहिए। काला वही है जो काला करता है। न केवल रंग काला है, बल्कि काला वह है जो अच्छा नहीं करता, मुरलीधरन ने आगे कहा, काला रंग सुंदरता है और मुझे काला रंग पसंद है।
'ब्रह्मांड का सबसे बड़ा सच काला रंग'
शारदा मुरलीधरन ने आगे ये भी कहा, लेकिन काले रंग को क्यों बदनाम किया जाना चाहिए? काला ब्रह्मांड का सर्वव्यापी सत्य है। काला वह है जो किसी भी चीज को अवशोषित कर सकता है, मानव जाति के लिए ज्ञात ऊर्जा की सबसे शक्तिशाली नाड़ी है। यह वह रंग है जो हर किसी पर फबता है, कार्यालय के लिए ड्रेस कोड, शाम के पहनावे की चमक, काजोल का सार, बारिश का वादा
मां ने कही वो बात, आज भी याद
शारदा मुरलीधरन ने कहा, 'जब मैं चार साल की थी, तो मैंने अपनी मां से पूछा था कि क्या वह मुझे वापस अपने पेट में डाल सकती हैं और मुझे फिर से बाहर निकाल सकती हैं, एकदम गोरी और सुंदर। मैंने 50 सालों से भी ज्यादा समय तक इस सोच के साथ जिया कि मेरा रंग अच्छा नहीं है। और मैं इस सोच को मानती रही। मैंने काले रंग में सुंदरता या मूल्य नहीं देखा।
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