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    जलवायु परिवर्तन के खतरे से दुनिया को बचाएगी हाइड्रोपोनिक खेती, जाने कैसे होगी मददगार

    By Krishna Bihari SinghEdited By:
    Updated: Sun, 22 Dec 2019 01:21 PM (IST)

    बढ़ते शहरीकरण और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने और फसलों की बेहतर पैदावार के लिए हाइड्रोपोनिक खेती किसानों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है।

    जलवायु परिवर्तन के खतरे से दुनिया को बचाएगी हाइड्रोपोनिक खेती, जाने कैसे होगी मददगार

    नई दिल्ली [आइएसडब्ल्यू]। बढ़ते शहरीकरण के कारण एक ओर खेती का रकबा सिकुड़ रहा है तो दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन से भी फसल उत्पादन में चुनौतियां उभर रही हैं। इनसे निपटने और फसलों की बेहतर पैदावार के लिए हाइड्रोपोनिक खेती किसानों के लिए उपयोगी सिद्ध हो सकती है। हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आइएचबीटी), पालमपुर में विशेषज्ञों ने यह बात हाइड्रोपोनिक खेती पर आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान कही है।

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    बिना मिट्टी के उगाए जाते हैं पौधे

    हाइड्रोपोनिक खेती की एक आधुनिक तकनीक है, जिसमें नियंत्रित जलवायु में बिना मिट्टी के पौधे उगाए जाते हैं। इस पद्धति में मिट्टी के बजाय सिर्फ पानी या फिर बालू अथवा कंकड़ों के बीच पौधों की खेती की जाती है। नियंत्रित परिस्थितियों में 15 से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान पर लगभग 80 से 85 फीसद आर्द्रता में हाइड्रोपोनिक खेती की जाती है।

    विशेष घोल का होता है इस्‍तेमाल

    आइएचबीटी के वैज्ञानिक डॉ. भव्य भार्गव ने देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसानों को बताया कि हाइड्रोपोनिक पद्धति में पौधों को पोषण उपलब्ध कराने के लिए जरूरी पोषक तत्व एवं खनिज पदार्थों से युक्त एक विशेष घोल का उपयोग किया जाता है। इस घोल में फास्फोरस, नाइट्रोजन, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटाश, जिंक, सल्फर और आयरन जैसे तत्वों को खास अनुपात में मिलाया जाता है। एक निश्चित अंतराल के बाद इस घोल की एक निर्धारित मात्र का उपयोग पौधों को पोषण देने के लिए किया जाता है।

    सीमित स्थानों पर होगी खेती

    इस प्रणाली की एक खास बात यह है कि छोटे भूखंड या सीमित स्थान में भी खेती की जा सकती है। आइएचबीटी के एक अन्य वैज्ञानिक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि हाइड्रोपोनिक प्रणाली मौसम, जानवरों व किसी भी अन्य प्रकार के बाहरी जैविक या अजैविक कारकों से प्रभावित नहीं होती। हाइड्रोपोनिक खेती में पानी का किफायती उपयोग इसकी उपयोगिता को बढ़ा देता है।

    शुरुआती लागत है अधिक

    वैज्ञानिकों ने बताया कि हाइड्रोपोनिक्स प्रणाली स्थापित करने के लिए प्रारंभिक लागत अधिक है, लेकिन भविष्य में यह किसानों को बेहतर लाभ प्रदान कर सकती है। आइएचबीटी के वैज्ञानिक कम लागत वाली हाइड्रोपोनिक प्रणाली को विकसित करने के लिए प्रयास कर रहे हैं, जिससे इसका लाभ छोटे किसानों को भी मिल सके।

    आधुनिक पद्धतियों को सीखना जरूरी

    आइएचबीटी के निदेशक डॉ. संजय कुमार ने कहा कि बेहतर गुणवत्ता की फसलों की खेती करने के लिए किसानों को तकनीक आधारित आधुनिक कृषि पद्धतियों को सीखना जरूरी हो गया है। हाइड्रोपोनिक कृषि उत्पादों की बड़े शहरों में काफी मांग है। युवा किसान पोषक तत्वों से समृद्ध मसाले, हर्बल और उच्च मूल्य वाली फसलों के उत्पादन के लिए स्टार्टअप व्यवसाय के रूप में हाइड्रोपोनिक प्रणाली को अपना सकते हैं। 

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