हुमायूं कबीर की नई पार्टी में कलह, निशा चटर्जी की उम्मीदवारी 12 घंटे में रद
हुमायूं कबीर की नई पार्टी 'जनता उन्नयन पार्टी' की घोषणा के 12 घंटे के भीतर ही विवाद हो गया। हुमायूं ने बालीगंज से निशा चटर्जी की उम्मीदवारी रद्द कर दी ...और पढ़ें
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हुमायूं कबीर ने नई पार्टी में कलह
राज्य ब्यूरो, कोलकाता। मुर्शिदाबाद जिले के भरतपुर से विधायक हुमायूं कबीर द्वारा अपनी नई पार्टी 'जनता उन्नयन पार्टी' (जेयूपी) की घोषणा के महज 12 घंटे के भीतर ही विवाद खड़ा हो गया है।
सोमवार को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा से पार्टी की घोषणा करते हुए हुमायूं ने 10 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम साझा किए थे, जिनमें बालीगंज निर्वाचन क्षेत्र से निशा चटर्जी का नाम भी शामिल था। हालांकि, मंगलवार सुबह होते-होते हुमायूं कबीर ने निशा की उम्मीदवारी वापस ले ली।
निशा चटर्जी की उम्मीदवारी रद्द की गई
इस फैसले के पीछे का कारण बताते हुए हुमायूं ने कहा कि इंटरनेट मीडिया पर निशा के कुछ वीडियो और फोटो सामने आए हैं, जिनमें उनका पहनावा और हाव-भाव 'अमर्यादित' हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि विधानसभा जैसे पवित्र स्थान के लिए ऐसी छवि वाले व्यक्ति अयोग्य हैं और अब वह बालीगंज से अगले सात दिनों में किसी मुस्लिम उम्मीदवार की घोषणा करेंगे।
मैंने उम्मीदवारी के लिए कोई आवेदन नहीं किया था
इस अचानक आए बदलाव पर निशा चटर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे हुमायूं कबीर का जल्दबाजी में लिया गया एक अदूरदर्शी निर्णय बताया।
निशा ने स्पष्ट किया कि उन्होंने उम्मीदवारी के लिए कोई आवेदन नहीं दिया था, बल्कि पारिवारिक मित्र होने के नाते हुमायूं ने ही उन्हें राजनीति में आने का निमंत्रण दिया था।
निशा ने हिंदू होने का आरोप लगाया
निशा ने हुमायूं के आरोपों को खारिज करते हुए इसे महिलाओं की स्वतंत्रता पर सेंसरशिप करार दिया। उन्होंने एक गंभीर आरोप यह भी लगाया कि उनके इंटरने मीडिया वीडियो तो महज एक बहाना हैं, असल में उन्हें हिंदू होने के कारण सूची से बाहर किया गया है।
निशा के अनुसार, यदि यह वास्तव में एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी होती, तो उनके साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जाता। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि इस फैसले के कारण उन्हें सामाजिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है।
बालीगंज सीट का राजनीतिक समीकरण भी इस विवाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अल्पसंख्यक बहुल इस क्षेत्र में सुब्रत मुखर्जी के निधन के बाद हुए उपचुनाव में तृणमूल कांग्रेस के बाबुल सुप्रियो की जीत का अंतर काफी कम हो गया था, जबकि माकपा की सायरा शाह हलीम दूसरे स्थान पर रही थीं।

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