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    '10 हजार साल पुराना है इंसान और कुत्तों का नाता', दो नए रिपोर्टों से हुआ बड़ा खुलासा

    Updated: Fri, 14 Nov 2025 08:38 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट के आवारा कुत्तों पर नियंत्रण के फैसले पर मेनका गांधी ने असहमति जताई। नए अध्ययनों से पता चला है कि इंसान और कुत्तों का संबंध 10 हजार साल पुराना है। दुनिया में लगभग 70 करोड़ कुत्ते हैं, जो इंसानी समाज का अभिन्न अंग हैं। कुत्तों के डीएनए अध्ययन से उनके विकास और मानव सभ्यता में उनके योगदान का पता चलता है।

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    दो नए रिपोर्टों से हुआ बड़ा खुलासा (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हाल में आवारा कुत्तों पर नियंत्रण से संबंधित आदेश दिया तो जहां एक तरफ एक वर्ग ने संतोष और राहत की सांस ली, वहीं डॉग लवर्स को काफी निराशा भी हुई। यहां तक कि पशु अधिकारों के लिए काम करनेवाली मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अव्यावहारिक बताया।

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    उन्होंने कहा कि पशुओं के प्रति दृष्टिकोण करुणा पर आधारित होना चाहिए। इंसानों के साथ कुत्तों का जुड़ाव मानव सभ्यता की शुरुआत से माना जाता है। इंसानों के साथ-साथ कुत्तों का भी क्रमिक विकास हुआ है क्योंकि दोनों ही एक दूसरे पर किसी न किसी वजह से निर्भर रहे हैं।

    दुनियाभर में कितने कुत्ते हैं?

    साइंस पत्रिका में प्रकाशित दो नए अध्ययनों से पता चला है कि इंसानों और कुत्तों का साथ कम-से-कम 10 हजार साल पुराना है, तब से कुत्तों के आकार-प्रकार में काफी बदलाव आ चुका है। माना जाता है कि दुनियाभर में 70 करोड़ कुत्ते हैं, जो इंसानों के साथ समाज का हिस्सा हैं। ये वफादार साथी, कामकाजी साथी और प्यारे पारिवारिक सदस्य भी होते हैं। कुत्तों की आज दिखने वाली अद्भुत विविधता सिर्फ आधुनिक नस्लों की देन नहीं है।

    फ्रांस की यूनिवर्सिटी ऑफ मोंटपेलियर की एलोएन ऐविन के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में 50 हजार साल पुराने कुत्तों और भेड़ियों की 643 खोपडि़यों का विश्लेषण किया गया। शोध में पता चला कि कुत्तों की बनावट में करीब 11 हजार साल पहले बदलाव शुरू हुए थे। इसे हिम युग के बाद का दौर माना जाता है। इसी दौरान कुत्तों की आकार और आकृति की विविधता भी तेजी से बढ़ी।

    कितने कुत्तों के DNA का किया गया अध्ययन

    इससे यह साफ होता है कि आधुनिक नस्लों की विविधता की नींव हजारों साल पहले ही पड़ चुकी थी। दूसरी ओर, चीन के कुनमिंग इंस्टीट्यूट ऑफ जूलाजी के शाओ-जी झांग के नेतृत्व में हुए जीनोमिक अध्ययन में 10 हजार साल में फैले 73 प्राचीन कुत्तों के डीएनए का अध्ययन किया गया।

    शोध में दिखा कि पूर्वी यूरेशिया में जब-जब शिकारी समुदाय, किसान या घुमंतू पशुपालक इंसानी समूह आगे बढ़े, उनके साथ कुत्ते भी चले। उन्होंने अपने अनोखे जीन और सांस्कृतिक पहचान के साथ अपना विकास किया। कई जगह इंसानों और कुत्तों की वंश रेखाओं में फर्क दिखा, जिससे संकेत मिलता है कि कुत्तों का आदान-प्रदान भी संस्कृतियों के बीच होता था।

    अध्ययन में क्या निकला?

    ये दोनों अध्ययन बताते हैं कि कुत्ते सिर्फ पालतू जानवर नहीं थे, बल्कि इंसानी सभ्यताओं के सफर के साथी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का अहम हिस्सा थे। कुत्तों की आनुवंशिकी आज भी प्राचीन मानव प्रवासन और सांस्कृतिक इतिहास का जीवंत रिकार्ड है।

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