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    नागरिकों के अधिकारों और गरिमा की रक्षा करना हम सबका साझा कर्तव्य, मानवाधिकार दिवस पर बोलीं राष्ट्रपति मुर्मु

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 10:44 PM (IST)

    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मानवाधिकार की रक्षा को साझा कर्तव्य बताते हुए कहा कि यह केवल सरकारों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोगों और सामाजिक संगठनों की ज ...और पढ़ें

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    राष्ट्रपति ने मानवाधिकार रक्षा को साझा कर्तव्य बताया

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मानवाधिकार की रक्षा की जिम्मेदारी का अहसास कराते हुए बुधवार को कहा कि मानवाधिकार केवल सरकारों, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, सामाजिक संगठनों और ऐसे अन्य संस्थानों की जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा अपने नागरिकों के अधिकारों और गरिमा की रक्षा करना एक साझा कर्तव्य है।

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    एक दयालु और जिम्मेदार समाज के रूप में यह कर्तव्य हम सबका है। राष्ट्रपति ने कहा मानवाधिकार हमारे संविधान की परिकल्पना में निहित है। मानवाधिकार सामाजिक लोकतंत्र को बढ़ावा देता है।

    राष्ट्रपति ने मानवाधिकार रक्षा को साझा कर्तव्य बताया

    मानवाधिकारों में भयमुक्त जीवन जीने का अधिकार, बाधाओं के बिना शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार, शोषण मुक्त होकर काम करने का अधिकार और गरिमा पूर्ण तरीके से वृद्धावस्था गुजारने का अधिकार शामिल है। राष्ट्रपति ने ये बात राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित मानवाधिकार दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही।

    कार्यक्रम में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी. रामासुब्रमण्यम, सदस्य न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी, विजया भारती सयानी, महासचिव भरत लाल, संयुक्त राष्ट्र की कार्यवाहक समन्वयक आरेती सियानी और अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।

    मुख्य अतिथि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने इस अवसर पर संबोधन में कहा कि मानवाधिकार दिवस हमें याद दिलाता है कि सार्वभौमिक मानवाधिकार अविभाज्य हैं और वे एक न्यायपूर्ण, समतावादी और दयालु समाज की नींव हैं। भारत ने मानवाधिकार के वैश्विक ढांचे को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

    संविधान में निहित हैं मानवाधिकार: राष्ट्रपति

    हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने एक ऐसे विश्व की कल्पना की थी जो मानवीय गरिमा, समानता और न्याय पर आधारित हो। राष्ट्रपति ने कहा कि हमने विश्व को यह याद दिलाया है कि मानवाधिकारों को विकास से अलग नहीं किया जा सकता। साथ ही भारत ने हमेशा इस चिरस्थाई सत्य का पालन किया है कि न्याय के बिना शांति नही और शांति के बिना न्याय नहीं।

    राष्ट्रपति ने अंत्योदय दर्शन के अनुरूप इस बात पर जोर दिया कि अंतिम छोर पर रहने वाले व्यक्ति सहित सभी के लिए मानवाधिकार सुनिश्चित किये जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि 2047 तक विकसित भारत के निर्माण की दिशा में राष्ट्र के विकास पथ में प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी होनी चाहिए।

    एनएचआरसी मोबाइल एप राष्ट्रपति द्वारा लांच

    नागरिक के रूप में हमें सरकार के प्रयासों में सहयोग देना होगा ताकि सरकारी नीतियों का लाभ अंतिम छोर तक पहुंच सके। एनएचआरसी के अध्यक्ष जस्टिस वी. रामासुब्रमण्यम ने इससे पहले कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में कहा कि इसका उद्देश्य हमें आत्मनिरीक्षण के लिए प्रेरित करना और अविभाज्य, अभिन्न और परस्पर निर्भर मानवीय मूल्यों के रूप में मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के अपने संकल्प को निभाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

    यह उत्सव तभी अपने उद्देश्य को पूरा करेगा जब मानवाधिकारों को मानवीय मूल्यों के स्तर तक ऊंचा उठाया जाएगा। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने एनएचआरसी मोबाइल एप भी लांच किया, जिससे शिकायतें दर्ज करना, निगरानी करना और आयोग की विभिन्न सूचनाओं, शिक्षा और संचार साधनों तक पहुंच आसान हो गई है।

    11-12 दिसंबर को मणिपुर जाएंगी राष्ट्रपति मुर्मु 

    अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 11-12 दिसंबर को मणिपुर के दो दिन के दौरे पर जाएंगी और इंफाल के नुपी लाल मेमोरियल कॉम्प्लेक्स में 86वें नुपी लाल दिवस के कार्यक्रम में हिस्सा लेंगी।

    गुरुवार (11 दिसंबर) से शुरू हो रहे राष्ट्रपति मुर्मू के दो दिन के दौरे के लिए मणिपुर की राजधानी इंफाल में जोरदारतैयारियां चल रही हैं, और अलग-अलग डिपार्टमेंट और एजेंसियां इस हाई-प्रोफाइल प्रोग्राम के लिए मिलकर काम कर रही हैं।