Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    26/11 मुंबई हमले के जख्म भुलाए नहीं भूलते, जब आतंकियों ने मचाई थी तबाही; पर जिंदा हत्थे चढ़ा था Azmal Kasab

    By Anurag GuptaEdited By: Anurag Gupta
    Updated: Fri, 05 May 2023 08:01 PM (IST)

    26/11 Mumbai Attack मुंबई में 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने हमला बोला था। इस हमले में 18 सुरक्षाकर्मी समेत 164 लोग मारे गए और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे। हालांकि सुरक्षाबलों ने 10 में से 9 आतंकियों को ढेर कर दिया था।

    Hero Image
    26/11 मुंबई आतंकी हमले का गुनहगार अजमल कसाब (जागरण ग्राफिक्स)

    नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। अंधेरा डरावना होता है और कई बार फ्लैशबैक भी आते हैं, मगर एक रोज रोशनी उस अंधेरे को समाप्त कर देती है। हर रात की सुबह होती है और 14 साल बीत जाने के बाद देश की आर्थिक राजधानी मुंबई 26/11 की अंधेरी रात से तो उबर गई, मगर जख्म आज भी तरोताजा हैं। गुनहगार को उसके गुनाह की सजा मिल गई, आतंकी अजम कसाब की कहानी का अंत हो गया, पर आतंकवाद के खिलाफ अभी भी जंग छिड़ी हुई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हम उस हिंदुस्तान में रहते हैं, जो कभी किसी को छेड़ता नहीं है, लेकिन कोई छेड़े तो छोड़ता भी नहीं है। आज बात साल 2008 में हुए मुंबई आतंकवादी हमले की, जहां पर 10 आतंकवादियों ने कोहराम मचाया था। चारों ओर चीख पुकार और खून के निशान थे। कराची के रास्ते नाव से घुसे लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के 10 आतंकवादियों ने मुंबई की अलग-अलग जगहों को निशाना बनाया था।

    जिंदा पकड़ा गया था अजमल कसाब

    26/11 आतंकी हमले के खिलाफ एनएसजी को ऑपरेशन चलाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी और 10 में से 9 आतंकवादियों को ढेर कर दिया था, जबकि अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने में कामयाबी मिली। चार दिनों तक आतंकवादियों द्वारा की गई गोलीबारी और सिलसिलेवार धमकों की वजह से 18 सुरक्षाकर्मी समेत 164 लोग मारे गए और 300 से अधिक लोग घायल हुए थे।

    जब आतंकी कसाब को सुनाई गई मौत की सजा

    अजमल कसाब को हमले के अगले ही दिन जुहू चौपाटी से गिरफ्तार किया गया था। एकमात्र जिंदा हत्थे चढ़े आतंकी कसाब के खिलाफ आर्म्स एक्ट, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने समेत कई अन्य कानूनों के तहत मामला दर्ज किया गया था। जनवरी 2009 से लेकर मार्च 2010 तक इस मामले की सुनवाई विशेष अदालत में चली और 3 मई को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए अजमल कसाब को 26/11 मुंबई आतंकी हमले के लिए दोषी पाया था। हालांकि, कोर्ट ने 6 मई को फांसी की सजा सुनाई थी।

    इसके बाद यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां पर आतंकी कसाब को राहत नहीं मिली और विशेष अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया। हालांकि, अजमल कसाब के पास अभी दया याचिका का रास्ता साफ था। ऐसे में आतंकी कसाब ने तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास दया याचिका भेजी, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया था। 

    मुंबई को दहलाने की साजिश रचने वाले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों को कराची से पानी से रास्ते मुंबई में भेजा गया था और इन आतंकवादियों को उच्च स्तर का प्रशिक्षण दिया गया था। आतंकवादियों का मकसद कंधार अपहरण मामले में शामिल आतंकियों की रिहाई था।

    मुंबई में दाखिल होते ही आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट और नरीमन हाउस पर हमला बोला था। ताज होटल में करीब छह धमाके हुए थे और इसमें कई लोग मारे गए थे। एकमात्र जिंदा पकड़े गए आतंकवादी अजमल कसाब के खिलाफ आर्म्स एक्ट, गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम, विस्फोटक अधिनियम, देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने समेत कई अन्य कानूनों के तहत मामला दर्ज किया गया था।

    यरवडा जेल में दी गई फांसी

    4 साल तक चली न्यायिक प्रक्रिया के बाद आखिर वो तरीख (21 नवंबर, 2012) आ गई जब आतंकी कसाब को फांसी के फंदे पर झुलाया जाना था। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, फांसी के वक्त अजमल कसाब घबराया हुआ था और माफी मांग रहा था। फांसी देने से पहले पुणे की यरवडा जेल के अफसरों ने अजमल कसाब से उसकी आखिरी इच्छा भी जाननी चाही, लेकिन उसने कुछ भी नहीं कहा था। इसके बाद आतंकी कसाब को सुबह 7:30 बजे फांसी की सजा दी गई थी।

    PAK ने शव लेने से किया था इनकार

    अजमल कसाब को फांसी की सजा सुनाई गई, जिसके बाद यह फैसला किया गया कि आतंकी कसाब के शव को पाकिस्तान को सौंप दिया जाएगा, लेकिन पाकिस्तान ने शव लेने से इनकार कर दिया। ऐसे में अजमल कसाब के शव को यरवडा जेल परिसर में ही दफना दिया गया।