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    Exclusive: मध्य प्रदेश का ड्रग सिस्टम एक 'हत्यारे' सिरप को रोकने में कैसे विफल रहा?

    Updated: Wed, 08 Oct 2025 09:16 PM (IST)

    जहरीले कफ सिरप ने प्रदेश में अब तक 21 बच्चों की जान ले ली। इनमें 18 बच्चे छिंदवाड़ा, दो बैतूल और एक पाढुर्णा का है। सभी की उम्र आठ वर्ष से कम है। इन बच्चों को भी शासकीय चिकित्सक प्रवीण सोनी ने अपने क्लीनिक में कफ सिरप लिखा था, जबकि चार वर्ष से छोटे बच्चों को यह सिरप नहीं दिया जा सकता।

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    जहरीले कफ सिरप ने मध्य प्रदेश में अब तक 21 बच्चों की मौत

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में विषाक्त कफ सिरप से दो और बच्चों की मौत हो गई है। इनमें छह वर्ष दिव्यांशु यदुवंशी और तीन वर्ष के वेदांश काकोड़िया ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।

    जहरीले कफ सिरप ने प्रदेश में अब तक 21 बच्चों की जान ले ली। इनमें 18 बच्चे छिंदवाड़ा, दो बैतूल और एक पाढुर्णा का है। सभी की उम्र आठ वर्ष से कम है। इन बच्चों को भी शासकीय चिकित्सक प्रवीण सोनी ने अपने क्लीनिक में कफ सिरप लिखा था, जबकि चार वर्ष से छोटे बच्चों को यह सिरप नहीं दिया जा सकता।

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    श्रीसन का डायरेक्टर फरार

    पांच अक्टूबर की रात एफआइआर के बाद अगले दिन डॉ. सोनी को गिरफ्तार कर लिया गया, पर सिरप में जहरीला रसायन डायथिलीन ग्लायकाल (डीईजी) मानक से 486 गुना अधिक (0.1 प्रतिशत से कम की जगह 48.6 प्रतिशत) डालने वाली तमिलनाडु की कंपनी श्रीसन के डायरेक्टर डॉ. जी रंगनाथन को मप्र पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई है। वह फरार बताया जा रहा है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की एसआइटी मंगलवार को तमिलनाडु पहुंची है, जहां उसकी तलाश में छापेमारी कर रही है।

    परासिया एसडीओपी जितेंद्र जाट के नेतृत्व में टीम ने औषधि प्रशासन व अन्य संबंधित विभागों में दिनभर पूछताछ की और दस्तावेज खंगाले। टीम ने तमिलनाडु पुलिस के सहयोग से फैक्ट्री में कर्मचारियों से पूछताछ की और कार्यालय और अन्य जगहों पर भी दबिश दी। पूरे मामले में औषधि प्रशासन विभाग की बहुत बड़ी लापरवाही सामने आई है।

    26 सितंबर तक आठ बच्चों की जान जा चुकी थी, इसके बाद भी संदिग्ध कफ सीरप के सैंपल हाथों-हाथ भेजने की जगह परंपरागत तरीके से स्पीड पोस्ट से भोपाल भेजे। इन्हें 283 किमी दूर पहुंचने में तीन दिन लग गए, जबकि हाथ से छह से आठ घंटे में पहुंच सकते थे। उधर, छह बच्चों की मौत तक सरकारी तंत्र सोया रहा है। यह माना जाता रहा है कि किसी बीमारी से बच्चों की किडनी खराब हो रही है।

    कोल्ड्रिफ ब्रांड के कफ सिरप पर रोक

    नागपुर में पीड़ित बच्चों की किडनी की बायोप्सी में डीईजी मिलने के बाद कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने सिर्फ छिंदवाड़ा में 29 सितंबर को '' कोल्ड्रिफ'' ब्रांड के कफ सिरप पर रोक लगाई।

    पहले औषधि निरीक्षकों ने कफ सीरप के सैंपल तक नहीं लिए। किडनी फेल होने के कारण चार सितंबर को पहले बच्चे की मौत के एक माह बाद छह अक्टूबर को ड्रग कंट्रोलर दिनेश मौर्य को हटाया गया। डिप्टी ड्रग कंट्रोलर और दो ड्रग इंस्पेक्टरों को निलंबित किया गया।

    पहली बार पीड़ितों के बीच पहुंचे उपमुख्यमंत्री ने कहा, पांच बच्चे अभी भी बीमार घटना के बाद पहली बार बुधवार को स्वास्थ्य विभाग देख रहे उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल उपचार करा रहे बच्चों का हालचाल जानने के लिए नागपुर पहुंचे। इसके बाद वह छिंदवाड़ा गए। उन्होंने 20 बच्चों की मौत की पुष्टि की। बताया कि अभी भी पांच बच्चों का उपचार चल रहा है। दो दिन पहले मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी छिंदवाड़ा में पीड़ितों से मिले थे।

    364 मानकों की अनदेखी कर चल रही कंपनी की जांच में जुटी एसआइटी

    तमिल नाडु के कांचीपुरम में कोल्ड्रिफ और अन्य ब्रांड के नाम से कफ सिरप बनाने वाली कंपनी 39 गंभीर और 325 बड़े मानकों की अनदेखी कर लगभग 2000 वर्गफीट क्षेत्र में चल रही थी। पर्याप्त संसाधन, सैंपलों की जांच की सुविधा, रखरखाव कुछ भी मापदंडों के अनुकूल नहीं था, पर वहां के औषधि प्रशासन विभाग ने जांच नहीं की।

    मप्र प्रदेश में मौतें होने के बाद जब यहां के औषधि नियंत्रक ने पत्र लिखा तो दो और तीन अक्टूबर को तमिल नाडु के औषधि प्रशासन विभाग ने जांचकर 364 तरह की खामियां बताई। अब मप्र से पहुंची एसआइटी कंपनी का पूरा चिट्ठा निकाल रही है। कंपनी कब से संचालित हो रही थी।

    प्रदेश को कहां कितना कफ सिरफ भेजा गया इसकी जांच की जा रही है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर एफआइआर में धाराएं बढ़ाए जा सकती हैं। बता दें कि पांच अक्टूबर को छिंदवाड़ा में कंपनी के संचालक के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई है।

    औषधि प्रशासन विभाग की लापरवाही आई सामने

    मध्य प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी औषधि प्रशासन विभाग की इस मामले में बड़ी लापरवाही सामने आई है। केंद्रीय औषधि मानक एवं नियंत्रण संगठन की वर्ष 2023 की गाइडलाइन में स्पष्ट लिखा है कि चार वर्ष से छोटे बच्चों को कफ सीरप नहीं देने संबंधी सूचना बोतल पर लिखी होनी चाहिए, पर इसका पालन कोई राज्य नहीं कर पाया।

    प्रदेश में ''कोल्डि्फ'' के अमानक बैच की 660 बाटल आपूर्ति की गई थीं, पर किसी में यह लेवल नहीं था। इनमें 14 बाटल अभी भी अभी औषधि प्रशासन विभाग नहीं खोज पाया है। बाकी दुकानों से जब्त कर ली है।

    अमानक सिरप बनाने वाली गुजरात की दो कंपनियों पर FIR नहीं

    गुजरात की कंपनी रेडनोनेक्स द्वारा निर्मित कफ सिरप रेस्पीफ्रेश-टीआर में डायथिलीन ग्लायकाल की मात्रा 1.342 प्रतिशत और शेप फार्मा द्वारा निर्मित रिलीफ सिरप में इसकी मात्रा 0.616 प्रतिशत मिली है।

    मप्र सरकार के पत्र पर गुजरात सरकार ने कंपनी के उत्पादन पर रोक लगा दी है, पर इनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज नहीं कराई गई है। औषधि नियंत्रक दिनेश श्रीवास्तव का कहना है कि इतनी मात्र जानलेवा नहीं हो सकती, इसलिए आपराधिक प्रकरण दर्ज नहीं कराया है।

    बीच में से कोई अपना जाता है तो कष्ट होता है: सीएम मोहन यादव

    मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बुधवार को कहा कि मैं भरे मन से कह सकता हूं और हम सबको लगता है कि कहीं ऐसी कोई चूक होती है और बीच में से कोई अपना जाता है, तो कष्ट होता है, फिर चाहे छिंदवाड़ा की बात हो। मैं भी वहां गया और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ल भी नागपुर (जहां बच्चे भर्ती हैं) सहित अन्य स्थानों पर गए। कुल मिलाकर हम सबकी सामूहिक जवाबदारी है।

    अपने पक्ष और प्रतिपक्ष के लोगों से कहना चाहता हूं कि चुनाव तो पांच साल में आता है, लेकिन चुनाव के बीच में हमारी परस्पर समझ बनी रहे और सहानुभूति भी रहे। सकारात्मक आलोचना का कोई बुरा नहीं मानता है। अपने दायरे में रहते हुए प्रशासन को सही बात बताएं, हम सब स्वागत करेंगे।