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    कैसे होती है ED निदेशक की नियुक्‍त‍ि, क्‍यों मचा है वर्तमान निदेशक के कार्यकाल विस्तार पर बवाल

    By Amit SinghEdited By: Amit Singh
    Updated: Thu, 20 Apr 2023 08:12 PM (IST)

    ईडी निदेशक के रूप में संजय कुमार मिश्रा का ट्रैक रिकॉर्ड बहस का विषय रहा है। एक तरफ उनके समर्थकों का दावा है कि वह आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसने और बड़ी रकम बरामद करने में सफल रहे हैं।

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    ईडी के वर्तमान निदेशक के कार्यकाल विस्तार पर बवाल

    अमित सिंह, नई दिल्ली: देश में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निदेशक की नियुक्ति और कार्यकाल का विस्तार हाल के वर्षों में विवादों का विषय रहा है। भारत में ईडी आर्थिक कानूनों और विनियमों को लागू करने, वित्तीय अपराधों की जांच करने के साथ ही गैरकानूनी तरीकों से अर्जित संपत्ती को जब्त करने का काम करती है। यहां इस लेख में, हम चर्चा करेंगे कि ईडी निदेशक की नियुक्ति कैसे की जाती है और वर्तमान में ईडी निदेशक के कार्यकाल के विस्तार पर मौजूदा विवाद के क्या कारण हैं।

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    कैसे होती है ईडी निदेशक की नियुक्ति?

    ईडी एक कानून प्रवर्तन एजेंसी है जो वित्त मंत्रालय, राजस्व विभाग के अंतर्गत आती है और इसका नेतृत्व एक निदेशक करता है। निदेशक की नियुक्ति कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की सिफारिशों के आधार पर की जाती है। UPSC प्रतियोगी परीक्षा के बाद एक साक्षात्कार के माध्यम से उम्मीदवारों का चयन करता है। चयनित उम्मीदवार का नाम अंतिम अनुमोदन के लिए एसीसी को भेजा जाता है।

    ईडी के वर्तमान निदेशक के कार्यकाल से जुड़े विवाद

    ईडी के वर्तमान निदेशक, संजय कुमार मिश्रा को 2018 में दो साल के कार्यकाल के लिए इस पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें नवंबर, 2020 में पद से रिटायर होना था, क्योंकि उसी वर्ष मई में, वो 60 वर्ष की सेवानिवृत्ति की आयु तक पहुंच चुके थे। हालांकि, 13 नवंबर, 2020 को जारी एक आदेश में केंद्र सरकार ने संजय कुमार मिश्रा के दो साल के कार्यकाल को तीन साल कर दिया। उसके बाद सरकार साल 2021 में एक अध्यादेश लेकर आई जिसमें यह कहा गया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और ईडी के निदेशक का कार्यकाल दो साल से अधिकतम पांच साल तक बढ़ाया जाए। इसे बाद में संसद में पारित कर दिया गया था। सरकार के इस कदम से विवाद छिड़ गया, जिसमें कई लोगों ने विस्तार के पीछे की मंशा पर सवाल उठाया।

    विपक्ष ने लगाए राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप

    भारत में विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि संजय मिश्रा के कार्यकाल का विस्तार सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक हस्तक्षेप का परिणाम था। विपक्ष ने इस बात पर खास जोर दिया है कि ईडी के वर्तमान निदेशक, संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल उनकी सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले बढ़ाया गया था, जिसको लेकर दावा किया गया है कि यह नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। विपक्ष ने मिश्रा पर सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने का भी आरोप लगाया है, जिससे एजेंसी की निष्पक्षता से समझौता हुआ है।

    ईडी निदेशक के तौर पर ट्रैक रिकॉर्ड

    ईडी निदेशक के रूप में संजय कुमार मिश्रा का ट्रैक रिकॉर्ड बहस का विषय रहा है। एक तरफ उनके समर्थकों का दावा है कि वह आर्थिक अपराधियों पर नकेल कसने और बड़ी रकम बरामद करने में सफल रहे हैं। उदाहरण के लिए, उन्हें भगोड़े व्यवसायी नीरव मोदी से जुड़े पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली का श्रेय दिया जाता है। हालांकि, उनके विरोधियों का तर्क है कि उनकी एजेंसी केवल विपक्षी नेताओं और उनके करीबी व्यापारियों को निशाना बना रही है, जबकि सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं द्वारा भ्रष्टाचार पर आंख मूंद ली गईं।

    मामले में सुप्रीम कोर्ट का नजरिया

    संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल विस्तार पर विवाद भारत के सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच गया है। कोर्ट ने जनवरी 2021 में मामले का संज्ञान लिया। अदालत ने कहा कि विस्तार एक गंभीर मामला था और इसकी जांच आवश्यकता थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह बताने के लिए कहा कि उसने मिश्रा की सेवानिवृत्ति से ठीक एक दिन पहले उनका कार्यकाल क्यों बढ़ाया। अदालत ने मिश्रा के विस्तार की अनुमति देने के लिए ईडी के नियमों में संशोधन करने के सरकार के फैसले पर भी नाराजगी जताई। अदालत को अभी इस मामले में अंतिम आदेश पारित करना है।

    कार्यकाल के विस्तार पर बवाल

    भारत में ईडी निदेशक की नियुक्ति और कार्यकाल का विस्तार राजनीतिक हस्तक्षेप और विपक्षी नेताओं के चयनात्मक लक्ष्यीकरण के आरोपों के कारण विवादों में घिर गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप इस मुद्दे की गंभीरता और नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की आवश्यकता को उजागर करता है। यह देखा जाना बाकी है कि सरकार अदालत की टिप्पणियों का क्या जवाब देगी और क्या वह ईडी के कामकाज में जनता के विश्वास को बहाल करने के लिए कदम उठाएगी।