आइए जानें कैसे महीनों के अनुसार हमारे मूड और स्वभाव में भी होते हैं बदलाव
वैज्ञानिकों का दावा है कि इंसानों का मूड, भावनाएं और ज्ञान संबंधी शक्तियों का एक पैटर्न होता है जो हर महीने के हिसाब से बदलता रहता है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। वैज्ञानिकों का दावा है कि इंसानों का मूड, भावनाएं और ज्ञान संबंधी शक्तियों का एक पैटर्न होता है जो हर महीने के हिसाब से बदलता रहता है। शोधकर्ताओं ने स्तनधारियों के दिमाग में ऐसे कैलेंडर सेल्स (कोशिकाओं) का पता लगाया है, जो मौसमी बॉडी क्लॉक को चलाते हैं और मेलाटोनिन हार्मोन के स्तर के आधार पर उन्हें बताते हैं कि कब शीतनिद्रा लेनी है और कब प्रजनन करना है। ये हार्मोन हम पैदा करते हैं, जिसका उत्सर्जन प्रकाश पर निर्भर होता है। तो आइए जानते हैं महीनों के हिसाब से कैसे बदलता है आपका मूड..
जनवरी- नई पहल करें
इसे आलस्य से भरा महीना माना जाता है और लोग आराम के मूड में होते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि किसी नई पहल या शुरुआत के लिए ये शानदार समय होता है, क्योंकि ठंड के मौसम में इंसान का मस्तिष्क अधिक सक्रिय, कलात्मक और मौलिक सोच पाने में सक्षम होता है। इस महीने में हमारे अंदर बदलने की प्रेरणा प्रबल होती है इसीलिए लोग इस महीने में सबसे अधिक नए साल के संकल्प लेते हैं। मनोवैज्ञानिकों ने इसे टेम्पोरल लैंडमार्क टर्म दिया है।
फरवरी- दुविधाएं सुलझाएं
साल के सबसे सर्द महीनों में शामिल फरवरी जटिल समस्याओं और दुविधाओं को सुलझाने का सबसे उपयुक्त समय होता है क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि ठंड में जटिल विचारों को निबटाने में मष्तिष्क बेहतर होता है। शोध में शामिल लोगों को गर्मी और सर्दी के मौसम में दो मोबाइल के जटिल टैरिफ प्लान में से एक चुनने को कहा गया, जिसमें से सर्दी के मौसम में लोगों ने सही प्लान चुने।
मार्च- उलझनों से बचें
बसंत की दस्तक के साथ आने वाला मार्च एक खुशहाल महीना समझा जाता है, लेकिन धारणा से उलट ये उदासी भरा महीना होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक इस समय शरीर में विटामिन डी के साथ अन्य फील गुड केमिकल सेरोटोनिन और डोपामाइन का स्तर कम होता है, जिस वजह से उदासी और थकान उच्चतम स्तर पर होती है।
अप्रैल- न हों व्याकुल
आशावादी अप्रैल की धारणा से उलट वैज्ञानिकों का मानना है कि ये साल का सबसे व्याकुल महीना होता है, इसीलिए लोग तनाव से निपटने के सबसे ज्यादा उपाय इस महीने में खोजते हैं। ये साल का वो समय होता है जब सूरज का प्रकाश तेजी से बढ़ रहा होता है जो इंसान के सर्कैडियन लय (24 घंटे के जैविक प्रोसेस) से हस्तक्षेप कर व्याकुल और चिंतित करता है।
मई- मौज मस्ती करें
इस महीने में बार-बार तेजी से मूड और भावनाएं बदलती हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस समय सूर्य की रोशनी में काफी तेजी होती है, जो शरीर में विटामिन डी का उत्पादन बढ़ाता है। इस वजह से अवसाद-रोधी प्रभाव सेरोटोनिन केमिकल पैदा करता है, जो इंसान को खुश और शांत रखता है। इसी वजह से इस मौसम में लोग सबसे अधिक हॉलिडे लेते हैं।
जून- नियंत्रित रखें उत्साह
सेरोटोनिन केमिकल उच्च स्तर पर होने की वजह से लोग एकाग्र, शांत होने के साथ कभी कभी अत्यधिक उत्साहित नजर आते है। वैज्ञानिकों के मुताबिक 21 जून को ये चरम अवस्था होती है।
जुलाई- आनंद से भरपूर
वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस महीने में तनाव पैदा करने वाला कोर्टिसोल हार्मोन सबसे कम स्तर पर होता है, जो मूड को बेहतर बनाता है। साथ ही सेरोटोनिन के उच्च स्तर पर होने की वजह से लोग आनंदित महसूस करते हैं।
अगस्त- सक्रिय, लेकिन शांत रहें
आलस्य से भरे महीने की अवधारणा से विपरीत वैज्ञानिकों का मानना है कि इस महीने मस्तिष्क की सक्रियता उच्चतम स्तर पर होती है। गर्मी और शुरूआती शरद ऋतु में मस्तिष्क बार कोडिंग जैसे जटिल कामों में बेहतर प्रदर्शन करता है।
सितंबर- कार्यक्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन
वैज्ञानिकों के मुताबिक इस महीने में इंसान के मस्तिष्क में कामकाज से जुड़ी यादें सबसे मजबूत स्तर पर होती हैं और कार्यक्षेत्र में लोगों सबसे अधिक सक्रियता होती है। इसीलिए दुनियाभर में इस महीने में सबसे अधिक उत्पादन होता है।
अक्टूबर- असुरक्षा की भावना
प्रेम और संबंधों के लिए ये महीना खास माना जाता है। शोध के साल में सबसे ज्यादा इस महीने में लोग खुद को रिलेशनशिप में स्वीकार करते हैं और सोशल मीडिया पर भी इस महीने में सबसे ज्यादा स्टेटस बदले जाते हैं। वैज्ञानिकों के बॉयोलॉजिकल तर्क के मुताबिक इस महीने हमारी ऊर्जा का स्तर घट जाता है जिस वजह से लोगों को इस महीने सबसे ज्यादा अकेलेपन का अहसास होता है और सुरक्षित महसूस करने के लिए हम किसी के साथ की तलाश में होते हैं।
नवंबर- घटाएं वजन
धारणा है कि गर्मियों में हल्का आहार और शारीरिक तौर पर अधिक सक्रिय होने की वजह से हमारा वजन तेजी से घटता है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि ठंडे मौसम में इंसान का शरीर तेजी से वजन घटता है। तीन हजार लोगों पर किए शोध में सामने आया कि सर्दी से बचने के लिए शरीर सामान्य तौर पर गर्म रहता है जो वजन घटाने में भी अहम भूमिका निभाता है। इसीलिए जितनी ज्यादा सर्दियां होती है उतना ही तेजी से वजन घटता है।
दिसंबर- हीन भावना से बचें
इस समय इंसान का मस्तिष्क सबसे कम सक्रिय और एकाग्र होता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि दिन छोटे और कोहरा होने की वजह से विटामिन डी कम मिलता है, सेरोटोनिन और डोपामाइन केमिकल निम्न स्तर पर होते हैं तनाव पैदा करने वाला कोर्टिसोल हार्मोन्स अत्यधिक सक्रिय होता है। कई शोध में साबित हुआ है कि लोगों में हीन भावना बढ़ जाती है और अलगाव के मामले भी यकायक बढ़ जाते हैं।