Move to Jagran APP

PM की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना से पहले जयपुर के दंपत्ति ने पेश की नायाब मिसाल

तीन बेटियों की मां सुलोचना चौधरी ने पीएम की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना शुरू होने से पहले ही अपनी बेटियों की हक में आवाज की बुलंद।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Fri, 16 Mar 2018 03:15 PM (IST)Updated: Sat, 17 Mar 2018 03:13 PM (IST)
PM की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना से पहले जयपुर के दंपत्ति ने पेश की नायाब मिसाल
PM की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना से पहले जयपुर के दंपत्ति ने पेश की नायाब मिसाल

जयपुर (पीटीआइ)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी योजना 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना के बारे में सभी ने सुना होगा। लेकिन तीन बेटियां की मां सुलोचना चौधरी की कहानी सुनेंगे तो आपको उन पर गर्व होगा। जब 8 मार्च को झुंझुनू में प्रधानमंत्री मोदी ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान की शुरुआत की और जब वे जनता को संबोधित कर रहे थे, तो सुलोचना गहरी दिलचस्पी से उन्हें सुन रही थीं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की इस योजना के अस्तित्व के आने के पहले ही सुलोचना अपने बेटियों को शिक्षित करने और उन में मूल्यों की एक मजबूत भावना पैदा करने के लिए सभी बाधाओं के खिलाफ खड़ी रह चुकी हैं। वे एक मारवाड़ी समाज से आती हैं, जहां महिला ने अगर एक से ज्यादा बेटियां को जन्म दिया, तो उन्हें हीन दृष्टि से देखा जाता है।

loksabha election banner

सुलोचना से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया, 'जब मैंने अपनी तीसरी बेटी को जन्म दिया तो पूरे चुरु समाज के पास मुझे बुरा बोलने के लिए बहुत कुछ था। बच्ची के डिलीवरी के तुरंत बाद उनके लगातार ताने मेरे और मेरे पति के लिए पीड़ादायक थे। लेकिन मैंने अपनी बच्ची को अपनी गोद में उठाया और उसे प्यार करते हुए कहा कि तुम मेरे तीसरे बेटे होंगे। मैं आपको सर्वश्रेष्ठ सुविधाएं दूंगी ताकि आप भी इंदिरा गांधी और मदर टेरेसा के नक्शे कदम पर चल सकें।' उन्होंने आगे कहा, 'जैसे ही बेटियां बड़ी हुई, मैं उन्हें अक्सर गांव ले जाया करती थी। मैं उन्हें यह बताना चाहती थी कि यह वास्तविक भारत है और उन्हें यहां गरीबों की मदद करना है। इसलिए वे ग्रामीण भारत के सामाजिक-आर्थिक मानकों को सुधारने के लिए एक दृष्टि और मिशन के साथ बड़ी हुई।' उन्होंने कहा हमने उन्हें आकाश में उड़ने के लिए पंख दिए हैं।

सुलोचना का कहना है कि उनकी बेटियां किसी भी मायने में बेटे से कमतर नहीं हैं। सुलोचना के पति एनके चौधरी ने कहा, 'हमें पता हैं हमारी तीन बेटियां हैं लेकिन हमने यह निर्णय लिया कि वे हमारे भविष्य का निर्णाय करेंगी और हमारे सपनों को समझेंगी। हालांकि समाज ने मुझे तीन बेटियां होने के लिए दुर्भाग्यपूर्ण महसूस कराने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, मेरा सबसे अच्छा अंग्रेजी मित्र ऐली कूपर हैं, जिन्होंने शेखावाटी क्षेत्र में कई किताबें लिखी हैं, ने मुझे अपने सकारात्मक विचारों से प्रेरित किया।'

उन्होंने चौधरियों को यह महसूस कराया कि लड़कों की तुलना में लड़कियां महत्वपूर्ण क्यों हैं और उन्हें बताया कि अक्सर महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक कुशल और सक्षम हैं। सुलोचना के पति ने आगे कहा कि हमने फैसला लिया कि हम अपनी बेटियों को बेहतर शिक्षा देंगे। जैसे ही वे बड़ी हुईं, मैंने उन्हें अमेरिका भेजने का फैसला किया ताकि वे अपने व्यवसाय के लिए सर्वोत्तम काम सीख सकें।

अपनी पढ़ाई को पूरा करने के बाद सुलोचना की तीनों बेटियों ने फैमिली बिजनेस को ज्वाइन किया है। उनकी बड़ी बेटी अर्चना चौधरी अमेरिका में संचालन की अध्यक्षता कर रही हैं, दूसरी बेटी आशा चौधरी अब सीइओ बन गई है, जबकि कविता चौधरी डिजाइन डिपार्टमेंट को हेड कर रही है। तीनों बेटियों के पिता ने गर्व से कहा कि उनकी बेटियों की मेहनत की वजह से आज उनका बिजनेस फल-फूल रहा है। कविता ग्रामीण कारीगरों को जोड़कर कारोबार को बढ़ा रही है। उन्होंने बताया कि वे हमेशा जमीनी स्तर के बुनकरों का विश्वास बढ़ाने की कोशिश करती रहती हैं। एन.के. चौधरी महिला सशक्तिकरण की अवधारणा पर विश्वास रखते हैं। उन्होंने आखिर में कहा कि पुरुषों को खुद को साबित करने और समाज में योगदान देने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है। लेकिन अब महिलाएं प्रत्येक क्षेत्र में सफलतापूर्वक कहानियां लिख रही हैं और दुनिया को प्रेरणा दे रही हैं। उनके लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाने महज एक नारे के तौर पर है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.