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किसने रोशन किया अमिताभ से लेकर अंबानी तक का गगनचुंबी आशियाना, जानिए

चंदननगर इलाके के रहने वाले सुप्रीम कुमार पाल कहते हैं कि बहुत कम लोगों को पता है कि पहले बरात में प्रयोग में लाए जाने वाली गैस लाइट की उत्पत्ति यहीं हुई थी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 29 Dec 2019 11:42 PM (IST)Updated: Mon, 30 Dec 2019 12:23 AM (IST)
किसने रोशन किया अमिताभ से लेकर अंबानी तक का गगनचुंबी आशियाना, जानिए
किसने रोशन किया अमिताभ से लेकर अंबानी तक का गगनचुंबी आशियाना, जानिए

विनय कुमार, कोलकाता। बंगाल के हुगली जिले का छोटा सा शहर चंदननगर। एक समय फ्रांसीसी उपनिवेश रहा चंदननगर आज अपनी जगद्धात्री पूजा व प्रकाश-सज्जा [लाइटिंग] के लिए देश-दुनिया में मशहूर है। यहां की बत्तियों से बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन के आशियाना 'जलसा' से लेकर देश के जाने-माने उद्योगपति मुकेश अंबानी का गगनचुंबी आवास तक खास मौकों पर रोशन हो चुका है।

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प्रियंका चोप़़डा की शादी में चंदननगर की बत्तियों से सजा था उम्मेद भवन पैलेस

यही नहीं, बॉलीवुड की चर्चित अदाकारा प्रियंका चोप़़डा ने 2018 में जब जोधपुर में शादी रचाई थी, तब चंदननगर की बत्तियों से ही उम्मेद भवन पैलेस को दुल्हन की तरह सजाया गया था। यह अद्भुत जगमगाहट लाइट आर्टिस्ट सुप्रीम कुमार पाल उर्फ बाबू पाल के बूते ही संभव हो पाई थी।

कोलकाता में दुर्गा पूजा में जिन बत्तियों की जगमगाहट दिखती है, वह बाबू पाल की ही देन है

चंदननगर के लोगों के लिए उनके अपने बाबू दा। उन्होंने अपने बूते यह मुकाम बनाया और आज 40 लोगों को रोजगार मुहैया कर रहे हैं। जब भी चंदननगर की बत्तियों की चर्चा होती है तो पहला नाम सुप्रीम कुमार पाल का ही आता है। बाबू पाल के वर्कशाप में तैयार बत्तियों का वाकई जवाब नहीं है, तभी तो देश-विदेश में इसकी आपूर्ति होती है। कोलकाता में दुर्गा पूजा से लेकर पार्क स्ट्रीट में क्रिसमस के मौके पर अद्भुत थीम वाली बत्तियों की जो जगमगाहट दिखती है, वह बाबू पाल की ही देन है।

2016 की दीपावली में बिग बी के घर में बिखेरी थी रोशनी

58 साल के बाबू पाल ने बताया कि 'मैंने 2016 की दीपावली में अमिताभ बच्चन के बंगले 'जलसा' को मांगलिक थीम से सजाया था। 2017 में मुकेश अंबानी के निवास स्थल 'एंटीलिया' के गलियारे की प्रकाश-सज्जा की। इसके बाद अभिनेत्री प्रियंका चोप़़डा की शादी में भी बत्तियों की कारीगरी दिखाने का मौका मिला।' उन्होंने आगे कहा 'यह ऐसा काम है, जिसमें रचनात्मकता बहुत जरूरी है। बत्तियों से थीम तैयार करने पर काफी ध्यान देना प़़डता है। मेरी अपनी एक क्रिएटिव टीम है। हम किसी भी थीम पर काम शुरू करने से पहले काफी विचार--विमर्श करते हैं ताकि कुछ अलग किया जा सके।'

यूं आ गए प्रकाश-सज्जा की दुनिया में

बाबू पाल का प्रकाश-सज्जा की दुनिया में आना महज संयोग था। उन्होंने बताया कि मेरी तीन पी़़ढी लोहा व्यवसाय से जु़़डी थी। मेरी अपने खानदानी कारोबार में दिलचस्पी नहीं थी। मैं कुछ नया करना चाहता था। मेरे एक मित्र ने मुझे इस पेशे से अवगत कराया। यह हुनर मुझे विरासत में नहीं मिला। इसे सीखने और इस क्षेत्र में कदम जमाने के लिए मुझे काफी मेहनत करनी प़़डी। शुरआत में परेशानियां भी आईं लेकिन मैंने पीछे मु़़डकर नहीं देखा।

विदेश में भी बिखेर रहे रोशनी

बाबू पाल की रोशनी का जलवा विदेश में भी है। 1998 में उन्हें दुबई में हुए शॉपिंग फेस्टिवल के लिए काम करने मौका मिला। उन्होंने वहां भारतीय संस्कृति की थीम पर प्रकाश--सज्जा की थी। इसी तरह इटली के दूतावास को भी आलोकित किया। दक्षिण अफ्रीका में भी काम किया है। अब केन्या से ऑफर मिला है।

रोशनी के शहर के 'सुप्रीम'

चंदननगर के बोरो चापातल्ला इलाके के रहने वाले सुप्रीम कुमार पाल का घर के पास एक बीघा में फैला वर्कशाप है, जहां वह 40 लोगों की टीम के साथ काम करते हैं। उनके परिवार में पत्नी और दो बेटियां हैं। चंदननगर में 150 से अधिक पंजीकृत लाइट आर्टिस्ट हैं। यहां सालभर में लगभग 100 करोड़ रुपये का व्यवसाय होता है। बहुत कम लोगों को पता है कि पहले बरात में प्रयोग में लाए जाने वाली गैस लाइट की उत्पत्ति यहीं हुई थी।


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