इंफाल/नई दिल्ली। मणिपुर के चांडेल जिले में उग्रवादियों ने छह डोगरा रेजीमेंट के जवानों के गश्ती दल पर गुरुवार को भीषण हमले के बाद आज केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आपात बैठक बुलाई है। इस बैठक में राज्य के हालात पर चर्चा की जाएगी। राज्य में कल हुए उग्रवादी हमले में एक जेसीओ समेत 18 जवानों शहीद हो गए थे। इसके अलावा इस हमले में 11 जवान घायल हुए थे।
भारत-म्यांमार सीमा से मात्र 15-20 किमी दूर हुआ हमला पिछले दो दशक में सबसे भीषण है। एनआईए को इसकी जांच सौंपी गई है। सैन्य प्रवक्ता कर्नल रोहन आनंद ने दिल्ली में बताया कि मुठभेड में 18 सैनिक शहीद हो गए और 11 घायल हुए हैं। आरंभिक खबरों में मृतक संख्या 20 बताई गई थी। जवाबी कार्रवाई में एक संदिग्ध उग्रवादी भी मारा गया है।
मणिपुर के गृह सचिव जे. सुरेश बाबू ने हमले में विद्रोही संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) व केवाईकेएल का हाथ होने की आशंका जताई है। सेना ने केवाईकेएल का हाथ बताया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार ऐसे हमले मध्य 90 के दशक में सिर्फ जम्मू-कश्मीर में ही होते थे।
आईईडी विस्फोट, फिर ग्रेनेड दागे गुरवार सुबह 9 बजे हमला राजधानी इंफाल से नियमित गश्ती के लिए चंडेल जा रहे दल पर पेरालांग व चारोंग गांवों के बीच हुआ। घात लगाकर बैठे उग्रवादियों ने सेना के चार वाहनों के काफिले के वाहन को पहले आईईडी विस्फोट से उ़़डाया और फिर रॉकेटों से ग्रेनेड ([आरपीजी)] दागे। इसके बाद अत्याधुनिक हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की।
सैनिक संभलते, उसके पूर्व ही उन्हें भारी नुकसान पहुंचाकर उग्रवादी भाग निकले। रोड ओपनिंग गश्त पर थे पुलिस के अनुसार सेना का दल इंफाल से 80 किमी दूर टेग्नोपाल--न्यू समतल रोड की दैनिक 'रोड ओपनिंग पेट्रोलिंग ([आरओपी)] पर था।
गृह मंत्रालय में हुई बैठक हमले पर विचार के लिए गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने उच्च स्तरीय बैठक बुलाई। इसमें रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, सेना प्रमुख जनरल दलबीर सिंह सुहाग व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी शरीक हुए।
उल्फा व एनएससीएन ने ली जिम्मेदारी
हाल ही में गठित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रेंट ऑफ वेस्टर्न साउथ ईस्ट एशिया में शामिल एनएससीएन ([के)], कामतपुर लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन और एनडीएफबी ([संगबिजित)] ने हमले की जिम्मेदारी ली है।
उल्फा ([आई)] के नेता परेश बरआ ने एक चैनल को फोन कर कहा कि हमला नवगठित संस्था के चेयरमैन एसएस काफलिंग के आदेश पर किया गया। वषर्षो से झेल रहे उग्रवाद 25 लाख से ज्यादा की आबादी वाला मणिपुर वषर्षो से उग्रवाद का शिकार है। अशांत क्षेत्र होने से सशस्त्र बल विशेषष अधिकार कानून ([अफस्पा)] लागू होने के बावजूद यहां 34 उग्रवादी गुट सक्रिय हैं। उत्तर--पूर्वी राज्यों में पिछले वषर्ष हुई हिंसा में 450 लोग मारे गए थे।
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