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    HMPV Virus: भारत में बढ़े HMPV के मामले; बेंगलुरु, नागपुर के बाद अब तमिलनाडु में भी मिला वायरस संक्रमित

    Updated: Tue, 07 Jan 2025 11:40 AM (IST)

    चीन के बाद भारत में भी HMPV के कुल 7 मामले सामने आ चुके हैं। इसमें बेंगलुरु नागपुर तमिलनाडु और अहमदाबाद में मामले सामने आए हैं। वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने लोगों को आश्वस्त किया है कि स्थिति नियंत्रण में है और COVID-19 जैसे प्रकोप का कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है।

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    भारत में HMPV के कुल सात मामले आए सामने (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में बच्चों में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (HMPV) संक्रमण के सात मामलों की पुष्टि हो चुकी है। इसमें बेंगलुरु, नागपुर, तमिलनाडु और अहमदाबाद में मामले सामने आए हैं।

    बेंगलुरु और गुजरात में HMPV वायरस के मामले रिपोर्ट किए जाने के बाद अब महाराष्ट्र (Maharashtra) में भी इसकी एंट्री हो चुकी है। नागपुर में दो बच्चों की HMPV टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई है।

    शहर के रामदासपेठ स्थित प्राइवेट हॉस्पिटल में दो बच्चों को खांसी और बुखार के चलते इलाज के लिए हॉस्पिटल लाया गया था। नागपुर में 3 जनवरी को निजी अस्पताल में 7 साल के बच्चे और 14 साल की बच्ची की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इन दोनों बच्चों को खांसी और बुखार था। 

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    देश में HMPV के कुल सात मामले

    मिली जानकारी के अनुसार, अब देश भर में HMPV के कुल सात मामले सामने आ चुके हैं। महाराष्ट्र से पहले HMPV के दो केस बेंगलुरु में, एक अहमदाबाद में और दो चेन्नई में रिपोर्ट किए गए थे।

    महाराष्ट्र सरकार की स्वास्थ विभाग टीम वायरस को लेकर अलर्ट मोड पर है। खांसी, बुखार और SARI नाम की बिमारी के मरीजों को विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है। सरकार ने लोगों से अपील की है कि वो घबराए नहीं। स्वास्थ विभाग की तरफ से इस वायरस के संबंध में जल्द ही गाईडलाइंस जारी की जाने वाली है।

    तमिलनाडु में भी दो लोग संक्रमित

    तमिलनाडु में स्वास्थ्य सचिव सुप्रिया साहू ने चेन्नई और सलेम में दो सक्रिय मामलों की पुष्टि की। उन्होंने लोगों को आश्वस्त किया कि दोनों बच्चों की हालत स्थिर है, उन्होंने कहा, एचएमपीवी संक्रमण स्वतः ही ठीक हो जाता है और पर्याप्त जलयोजन और आराम सहित लक्षणात्मक देखभाल से ठीक हो जाता है।

    घबराने की नहीं कोई बात- जेपी नड्डा

    TOI की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने लोगों को आश्वस्त किया है कि स्थिति नियंत्रण में है और COVID-19 जैसे प्रकोप का कोई खतरा नहीं है।

    नड्डा ने कहा, एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। इसकी पहली बार पहचान 2001 में हुई थी और यह कई वर्षों से दुनिया भर में फैल रहा है।

    स्वास्थ्य मंत्रालय चीन और पड़ोसी देशों में स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है। नड्डा ने कहा, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्थिति का संज्ञान लिया है और जल्द ही अपनी रिपोर्ट हमारे साथ साझा करेगा।

    चीन में फैले प्रकोप से इसका कोई संबंध नहीं- कर्नाटक स्वास्थ्य मंत्री

    कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री दिनेश गुंडू राव ने इस बात पर जोर दिया कि वायरस का चीन में फैले प्रकोप से कोई संबंध नहीं है।

    कर्नाटक के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने विशेष रूप से पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों, बुज़ुर्गों और कमजोर प्रतिरक्षा वाले लोगों में एचएमपीवी की संभावित गंभीरता पर जोर दिया।

    वहीं, एक अधिकारी ने कहा, निमोनिया के साथ भर्ती होने वाले लगभग 10% वयस्क रोगियों में एचएमपीवी के लिए सकारात्मक परीक्षण होता है और बच्चों में 4-6% वायरल बीमारियाँ इस वायरस के कारण होती हैं। आईसीएमआर लगातार निगरानी कर रहा है।

    आईसीएमआर की रोग उन्मूलन अध्यक्ष डॉ. रजनी कांत ने बताया, गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 2022 में किए गए अध्ययन में, नामांकित बाल रोगियों में से 4% में एचएमपीवी पाया गया।

    कांत ने कहा, आईसीएमआर-क्षेत्रीय चिकित्सा अनुसंधान केंद्र, गोरखपुर ने 2022 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में पांच साल से कम उम्र के 100 रोगियों में श्वसन रोगजनकों का परीक्षण किया। 100 नामांकित बाल रोगियों में से चार (4%) एचएमपीवी पॉजिटिव पाए गए।

    पहली बार नीदरलैंड में हुई थी HMPV की एंट्री

    2001 में नीदरलैंड में पहली बार इसकी पहचान हुई थी। HMPV एक श्वसन वायरस है जो हल्की बीमारियों से लेकर ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया जैसी गंभीर स्थितियों का कारण बन सकता है। यह श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है और सर्दियों और शुरुआती वसंत के दौरान अधिक प्रचलित होता है।

    कर्नाटक के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, वयस्कों में निमोनिया के लगभग 10% मामले और बच्चों में वायरल बीमारियों के 4-6% मामले एचएमपीवी के कारण होते हैं।

    उन्होंने कहा, पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों, बुजुर्गों और प्रतिरक्षा-दमित व्यक्तियों (immune-suppressed individuals) जैसी संवेदनशील आबादी के लिए ज्यादा खतरा है।

    भारत में वायरस का प्रसार क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग है, जो 1% से 19% तक है। वैश्विक मान्यता के बावजूद, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने दोहराया है कि एचएमपीवी के लिए शायद ही कभी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है और समय पर हस्तक्षेप से इसका प्रबंधन किया जा सकता है।

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