Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जब ‘जन गण मन अधिनायक... भारत भाग्य विधाता’ को ‘राष्ट्रगान’ स्वीकार किया जा सकता है तो हिंदी को ‘राष्ट्रभाषा’ क्यों नहीं?

    Hindi Diwas 2022 विश्व के कई अन्य देशों में भी हिंदी को प्रतिष्ठा प्राप्त है। ऐसे में हमारे देश में हिंदी को सरकारी स्तर पर समुचित स्थान और सम्मान मिले इस बारे में गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

    By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Tue, 13 Sep 2022 10:26 AM (IST)
    Hero Image
    Hindi Diwas 2022: हिंदी का राष्ट्रीय और वैश्विक स्वरूप

    डा. सुरेश अवस्थी। पिछले एक वर्ष के दौरान हमने स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया है और अब हम अमृत काल में प्रवेश कर चुके हैं। हमें अपने महान राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता पर गर्व है। विगत वर्षों में देश ने द्रुत गति से प्रगति की है। आज विश्व के विकसित देश भारतवर्ष को सम्मान की दृष्टि से देखते और व्यवहार करते हैं। दुनिया भर में भारतीयों को व्यापक सम्मान मिल रहा है, परंतु एक प्रश्न है जिसका उत्तर अभी तक नदारद है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वह प्रश्न है कि भारत की राष्ट्रभाषा क्या है? विचारणीय है कि हमने राष्ट्रपिता घोषित कर दिया, राष्ट्रीय ध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रीय पशु, राष्ट्रीय पक्षी, राष्ट्रीय पुष्प भी तय कर लिया, परंतु अभी तक राष्ट्रभाषा नहीं बना पाए? मुझे लगता है कि अब हमें हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित कर देना चाहिए। प्रश्न उठ सकता है कि आखिर हिंदी को ही राष्ट्रभाषा क्यों बनाया जाना चाहिए? किसी और भारतीय भाषा को क्यों नहीं? तो इसका उत्तर यह है कि हिंदी इसलिए, क्योंकि देश में हिंदी सबसे अधिक बोली और समझी जाती है। संस्कृत की बेटी कही जाने वाली हिंदी सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है जो तकनीक की चुनौतियों पर भी खरी उतरती है।

    देश हित से संबंधित जितने बड़े आंदोलन हुए, उन्हें हिंदी ने निर्णायक बनाया। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि आजादी की लड़ाई में गैर हिंदी भाषियों ने भी आंदोलन को गति देने के लिए हिंदी को आगे रखा। यही नहीं ‘सुजलाम सुफलाम मलयज शीतलाम’ गीत भी कुछ बांग्ला मिश्रित शब्दों के साथ हिंदी में गूंजा। आज विश्व भर में हिंदी की गूंज है। आंकड़े गवाह हैं कि विश्व में बोली जाने भाषाओं में हिंदी तीसरे नंबर की बड़ी भाषा है। इतना ही नहीं, विश्व के लगभग 160 देशों में हिंदी बोली जाती है। विश्व में एक अरब 30 करोड़ से अधिक लोग हिंदी बोलते हैं, जबकि अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या इससे बहुत कम है।

    इंटरनेट की बात करें तो आज हिंदी में इस प्लेटफार्म पर व्यापक सामग्री उपलब्ध है। इतना ही नहीं, इंटरनेट मीडिया पर हिंदी में लिखने-पढ़ने वालों की संख्या भी निरंतर बढ़ रही है। यह सही है कि विपुल साहित्य की धनी हिंदी को देश में राजभाषा की संवैधानिक मान्यता पहले ही दी जा चुकी है। विश्व हिंदी सम्मेलनों में हर बार हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग उठती रही है। ऐसे में यह विचारणीय है कि जब ‘जन गण मन अधिनायक... भारत भाग्य विधाता’ को ‘राष्ट्रगान’ स्वीकार किया जा सकता है तो हिंदी को ‘राष्ट्रभाषा’ क्यों नहीं?

    [कवि एवं शिक्षाविद]