देश के बुनियादी ढांचे की प्रगति को प्रभावित कर सकती थी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट, अदाणी ने कहा- कोई भी हो सकता है इनकी साजिश का शिकार
अदाणी समूह का पोर्ट एयरपोर्ट सेज बिजली उत्पादन ग्रीन एनर्जी सोलर रक्षा जैसे सेक्टर में खासा निवेश है। सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के विकास में इस प्रकार की कंपनियां अहम भूमिका निभाती है। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा अदाणी मामले में सेबी की जांच को सही ठहराने और विशेष जांच समिति की मांग को ठुकराने के बाद इस मामले पर विराम लग गया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्यूयार्क स्थित शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग की तरफ से पिछले साल 24 जनवरी को अदाणी समूह को लेकर जारी रिपोर्ट देश के बुनियादी ढांचे की प्रगति को प्रभावित कर सकती थी। लेकिन इस मामले में शेयर बाजार की नियामक एजेंसी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की जांच को सुप्रीम कोर्ट द्वारा सही ठहराने और इस दौरान समूह की तरफ से रिपोर्ट से होने वाले नुकसान की भरपाई और विकास कार्यक्रम को जारी रखने के प्रयास ने इस आशंका को टाल दिया।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अदाणी समूह को हुआ काफी नुकसान
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में 10 सूचीबद्ध कंपनियों वाले अदाणी समूह पर शेयरों की ओवरप्राइसिंग से लेकर उनमें हेराफेरी के आरोप लगाए गए थे जिसने निवेशकों के भरोसे को हिला कर रख दिया। परिणाम यह हुआ अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी दुनिया में सबसे अमीर की सूची में तीसरे पायदन से गिरकर 20 वें पायदन से भी नीचे चले गए। कंपनी को अपना 20,000 करोड़ का एफपीओ वापस लेना पड़ा।
देश के बुनियादी विकास पर ब्रेक की आशंका
413 पन्नों वाली हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद मात्र 10-15 दिनों में समूह के संयुक्त बाजार पूंजीकरण में 11.12 लाख करोड़ की गिरावट हुई और समूह क नेटवर्थ में वर्ष 2022 के 119 अरब डॉलर के मुकाबले 58 अरब डॉलर की कमी आई गई। अब भी अदाणी का नेटवर्थ इस स्तर पर नहीं पहुंचा है। आर्थिक जानकारों के मुताबिक हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने हजारों छोटे निवेशकों को ही प्रभावित नहीं किया था बल्कि देश के बुनियादी विकास पर ब्रेक की आशंका पैदा कर दी थी।
हिंडनबर्ग जैसी एजेंसी किसी को भी अपना निशाना बना सकती है
अदाणी समूह का पोर्ट, एयरपोर्ट, सेज, बिजली उत्पादन, ग्रीन एनर्जी, सोलर, रक्षा जैसे सेक्टर में खासा निवेश है। सरकार की इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना के विकास में इस प्रकार की कंपनियां अहम भूमिका निभाती है। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा अदाणी मामले में सेबी की जांच को सही ठहराने और विशेष जांच समिति की मांग को ठुकराने के बाद इस मामले पर विराम लग गया है, लेकिन अब इस बात को लेकर भी सवाल उठाया जा रहा है कि हिंडनबर्ग जैसी एजेंसी किसी अन्य को भी अपना निशाना बना सकती है जिससे भारत का विकास प्रभावित हो सकता है।
वित्तीय के साथ-साथ राजनैतिक हमला
गौरतलब है कि देश में कई लोग हिंडनबर्ग को सही ठहराने में लगे हुए थे। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने सभी को नकार दिया। गौतम अदाणी के मुताबिक आज मैं निशाने पर हूं, कल कोई और भी ऐसे षड्यंत्र का शिकार हो सकता है। उन्होंने कहा कि शॉर्ट शार्ट सेलिंग हमलों का प्रभाव आम तौर पर वित्तीय बाजार तक सीमित होता है , लेकिन यह वित्तीय के साथ-साथ राजनैतिक हमला भी था।
रिपोर्ट में अधिक कर्ज का आरोप लगाया
अदाणी के मुताबिक, उन पर किसी विशेष राजनीति दल के संरक्षण की वजह से सफलता अर्जित करने का आरोप लगाया गया जबकि सच यह है कि हमारा समूह अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा शासित 23 राज्यों में बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह तभी संभव है जब हम राजनीतिक रूप से निरपेक्ष हैं। अदाणी के मुताबिक, रिपोर्ट में हमारी कंपनियों की क्षमताओं के अनुपात में अधिक कर्ज का आरोप लगाया गया जबकि हमारा कर्ज हमारी समकक्ष कंपनियों की तुलना में कम है।
हम ठीक दिशा में आगे जा रहे हैं
अदाणी के मुताबिक, हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से हो चुके नुकसान की भरपाई से उबरने के लिए उनकी वित्तीय टीम ने शुरुआती 150 दिनों में दुनिया भर में करीब 300 बैठकें कीं। समूह ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में मुनाफे में 47 प्रतिशत की रिकार्ड बढ़ोतरी की है। अदाणी पोर्टफोलियो ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में भी अब तक का सबसे अधिक लाभ दिया। अदाणी के मुताबिक इससे साफ जाहिर है कि हम ठीक दिशा में आगे जा रहे हैं।
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