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    Hijab Controversy: महिलाओं के विशेष परिधान का विरोध और वैश्विक प्रसंग

    By JagranEdited By: Sanjay Pokhriyal
    Updated: Sat, 24 Sep 2022 03:47 PM (IST)

    राजधानी तेहरान से आरंभ हुआ यह विरोध प्रदर्शन अब ईरान के कई इलाकों तक फैल चुका है। इन प्रदर्शनों में अब तक 32 से अधिक नागरिकों के मारे जाने की सूचना है। इसके बाद से यह मामला समूचे विश्व में चर्चा में है।

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    अफगानिस्तान जैसे देशों में हिजाब को एक अनिवार्य परंपरा के तौर पर देखा जाता है

    शिखा गौतम। वर्तमान समय में हिजाब और समाज में इसकी स्वीकार्यता को लेकर कई प्रश्न खड़े हुए हैं जहां विश्व के कई देशों में हिजाब के सार्वजनिक स्थानों पर होने वाले प्रयोग पर कई प्रश्न खड़े किए गए हैं। 21वीं सदी के प्रारंभ से पूर्व ही कई पश्चिमी देशों में वैश्विक तौर पर महिला स्वतंत्रता का हवाला देते हुए वहां के सरकारी स्थलों पर हिजाब को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया और यह प्रक्रिया वर्तमान समय में भी जारी है।

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    इसके साथ ही विश्व भर के कई देशों में और विशेषतः मुस्लिम समाजों में हिजाब हमेशा भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और ऐतिहासिक संदर्भों पर लगभग पूरी तरह से निर्भर रहा है। इसके साथ ही महिलाओं को लेकर प्रदान की जाने वाली संवैधानिक स्वतंत्रताओं को किसी भी देश में समय और विभिन्न काल में होने वाले परिवर्तनों के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना जरूरी है।

    परिधान और आचरण से जुड़े प्रतिबंध

    जहां पश्चिमी देशों में लोकतांत्रिक आधारों पर महिलाओं को दी जाने वाली स्वतंत्रता एक लंबी प्रक्रिया के बाद कई मामलो में स्वागतयोग्य उदहारण प्रस्तुत करते हैं, वहीं एशिया के कई अन्य देश जिनमें ईरान और अफगानिस्तान शामिल हैं, वहां औपनिवेशिक युग के अंत के बाद आरंभिक लोकतांत्रिक सुधारों और महिला स्वतंत्रता को उनके बाद में आने वाली कट्टरपंथी सरकारों द्वारा लगभग उलट दिया गया। इसके साथ ही कट्टरपंथियों द्वारा देश की कमान संभालने के बाद महिलाओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए गए जिनमें शिक्षा, नौकरी और स्वतंत्र जीवन पर विभिन्न प्रतिबंधों के साथ ही उनके परिधान और आचरण से जुड़े प्रतिबंध भी शामिल हैं।

    संवैधानिक और कानूनी आधार

    इन्ही संदर्भों के तहत वर्तमान समय की मुस्लिम सरकारें भी महिलाओं के पहनावे और विशिष्ट आचरण के पालन के लिए संवैधानिक और कानूनी आधार भी तैयार करती हैं और नैतिक पुलिसिंग का कार्य भी। यही कारण है कि जहां एक तरफ फ्रांस, जर्मनी, आस्ट्रिया, बेल्जियम सहित लगभग तमाम पश्चिमी देशों सहित तुर्किए, कोसोवो, अजरबेजान जैसे मुस्लिम बहुल देशों में भी सरकारी कामकाज की जगहों पर हिजाब को आंशिक अथवा पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। वहीं दूसरी ओर ईरान, इराक, जार्डन, मलेशिया, सऊदी अरब और अफगानिस्तान जैसे देशों में हिजाब को एक अनिवार्य परंपरा के तौर पर देखा जाता है तथा महिलाओं को विशेष परिधान और आचरण का पालन करने के लिए भी विवश किया जाता है।

    [दत्तोपंत ठेंगड़ी फाउंडेशन से संबद्ध]