राष्ट्रीय राजमार्गों पर एक से अधिक दुर्घटनाओं पर ठेकेदार होंगे दंडित, सरकार ने लिया बड़ा फैसला
सरकार सड़क दुर्घटनाओं को लेकर सख्त हो गई है। राष्ट्रीय राजमार्गों पर एक से अधिक दुर्घटना होने पर ठेकेदारों पर जुर्माना लगाया जाएगा। बीओटी मॉडल के तहत बने राजमार्गों पर दुर्घटना होने पर ठेकेदारों को सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। मंत्रालय दुर्घटना संभावित क्षेत्रों की पहचान कर रहा है और जल्द ही पूरे देश में सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस उपचार योजना शुरू की जाएगी।

राष्ट्रीय राजमार्गों पर एक से अधिक दुर्घटनाओं पर ठेकेदार होंगे दंडित (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सड़क दुर्घटनाओं को लेकर सरकार कोई कोताही बर्दाश्त नहीं करेगी। राष्ट्रीय राजमार्गों पर एक से अधिक दुर्घटना होने पर ठेकेदारों को दंडित किया जाएगा।
वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को बताया कि सड़क दुर्घटनाओं और उनसे होने वाली मौतों को रोकने के लिए राजमार्ग मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि बनाओ-चलाओ-हस्तांतरित करो (बीओटी) माडल के तहत बने राष्ट्रीय राजमार्गों के किसी हिस्से पर यदि एक साल में एक से अधिक दुर्घटनाएं होती हैं, तो ठेकेदारों को दंडित किया जाएगा।
बीओटी के अंतर्गत प्राइवेट भागीदार परियोजना का डिजाइन तथा निर्माण करता है तथा अनुबंधित अवधि के दौरान संचालन के बाद परियोजना को सरकार को स्थानांतरित कर देता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव वी. उमाशंकर ने कहा कि राजमार्ग मंत्रालय ने बीओटी दस्तावेज को संशोधित किया है।
अब ठेकेदारों को बीओटी माडल के तहत उनके द्वारा निर्मित राजमार्ग खंड पर निर्धारित अवधि में एक से अधिक दुर्घटनाएं होने पर सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। ठेकेदारों की जिम्मेदारी होगी कि वे दुर्घटना प्रबंधन करें।
उन्होंने कहा, अगर किसी खंड, उदाहरण के लिए 500 मीटर में एक से अधिक दुर्घटनाएं होती हैं, तो ठेकेदार पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। अगले साल फिर से दुर्घटना होने पर यह जुर्माना बढ़कर 50 लाख रुपये हो जाएगा। राजमार्ग मंत्रालय ने दुर्घटना की आशंका वाले 3,500 क्षेत्रों की पहचान की है।
तीन तरीकों से क्रियान्वित होती हैं राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं
राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाएं मुख्यत: तीन तरीकों से क्रियान्वित की जाती हैं। इनमें बिल्ड- आपरेट- ट्रांसफर (बीओटी) माडल, हाइब्रिड एन्युइटी माडल (एचएएम) और इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट एंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) माडल शामिल हैं। बीओटी माडल में रखरखाव सहित परियोजनाओं के लिए रियायत अवधि 15 से 20 वर्ष है।
एचएएम के लिए यह अवधि 15 वर्ष होता है। इस अवधि में संबंधित राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों के रखरखाव की जिम्मेदारी ठेकेदारों की होती है। ईपीसी परियोजनाओं के मामले में, बिटुमिनस फुटपाथ कार्यों के लिए डिफेक्ट लाइवेलिटी पीरियड (डीएलपी) पांच वर्ष और कंक्रीट फुटपाथ कार्यों के लिए 10 वर्ष है।
जल्द ही पूरे देश में सड़क दुर्घटना पीड़ितों को मिलेगा कैशलेस उपचार
उमाशंकर ने यह भी कहा कि सरकार पायलट परियोजना में उपयुक्त संशोधन करने के बाद जल्द ही पूरे भारत में सड़क दुर्घटना पीडि़तों के लिए कैशलेस उपचार योजना शुरू करेगी। 14 मार्च, 2024 को मंत्रालय ने चंडीगढ़ में पायलट प्राजेक्ट शुरू किया, जिसे बाद में सड़क दुर्घटना पीडि़तों को कैशलेस उपचार प्रदान करने के लिए छह राज्यों में विस्तारित किया गया था।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस वर्ष मई में जारी अधिसूचना में कहा था कि सड़क दुर्घटना के पीडि़तों को अस्पतालों में पहले सात दिनों के लिए 1.5 लाख रुपये तक के कैशलेस उपचार का अधिकार होगा। इस योजना का उद्देश्य समय पर चिकित्सा सहायता में देरी के कारण हर साल सड़क दुर्घटनाओं होने वाली मौतों की संख्या को कम करना है। किसी भी सड़क पर मोटर वाहन के उपयोग से होने वाली सड़क दुर्घटना का शिकार होने वाला कोई भी व्यक्ति इस योजना के प्रविधानों के अनुसार कैशलेस उपचार का हकदार होगा।

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