बंगाल की जेलों में सबसे ज्यादा विदेशी कैदी, NCRB रिपोर्ट से हुआ बड़ा खुलासा
राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा विदेशी कैदी बंगाल की जेलों में हैं जिनकी संख्या 2508 है जो कुल विदेशी कैदियों का 36% है। इनमें ज्यादातर बांग्लादेशी कैदी शामिल हैं जिन पर अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने का आरोप है। विचाराधीन कैदियों की बढ़ती संख्या के कई कारण हैं जिनमें कानूनी सहायता का अभाव भी शामिल है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता। देश में सबसे ज्यादा विदेशी कैदी बंगाल की जेलों में बंद हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी नवीनतम रिपोर्ट 'भारतीय जेल सांख्यिकी 2023Ó के अनुसार, भारत में 6,956 विदेशी कैदियों में से 2,508 यानी 36 प्रतिशत कैदी बंगाल के सुधार गृहों में बंद हैं।
इन विदेशी कैदियों में ज्यादातर बांग्लादेशी हैं, जिनपर भारत में अवैध रूप से प्रवेश करने के आरोप में मुकदमा चलाया गया है। दूसरे स्थान पर म्यांमार है। यहां की जेलों में बंद बांग्लादेशियों में से 778 दोषी और 1,440 विचाराधीन कैदी हैं। ज्यादातर विचाराधीन कैदी 18 से 30 साल की उम्र के हैं।
क्या कहते हैं NCRB के आंकड़े
एक अधिकारी के अनुसार, एनसीआरबी के आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि देश की जेलों में विचाराधीन कैदियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। एक कानूनी सहायता वकील के अनुसार, विचाराधीन कैदियों की संख्या में वृद्धि के कई कारण हैं, जिनमें वकील का खर्च वहन न कर पाना, अधिकार क्षेत्र वाली पीठों का अभाव और पहले से ही बोझ तले दबी निचली अदालतें शामिल हैं।
राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय के आदेश पर अवैध बांग्लादेशी बंदियों को वापस भेज दिया जाता है। हालांकि, बंगाल में, हमारी बार-बार अपील के बावजूद, निर्वासन की दर बेहद कम है।
बंगाल की जेलें अतिव्यस्त हैं। कुल 21,476 कैदियों की क्षमता वाली 60 जेलों में 25,774 कैदी (देशी और विदेशी) बंद हैं। राज्य की एकमात्र महिला जेल में कैदियों की संख्या 110.2 प्रतिशत है।
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