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    हाई कोर्ट ने कस्टम अधिकारी के खिलाफ दर्ज FIR खारिज करने का दिया आदेश, सवालों के जवाब नहीं दे सके सरकारी वकील

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 06:01 PM (IST)

    पटना हाई कोर्ट ने कस्टम अधिकारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आदेश दिया है। अदालत ने पाया कि सरकारी वकील अधिकारी के खिलाफ आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश करने में विफल रहे। न्यायमूर्ति अंजनी कुमार शरण की एकल पीठ ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने सरकारी वकील के संतोषजनक जवाब न दे पाने के कारण प्राथमिकी रद्द कर दी।

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    कलकत्ता हाई कोर्ट। (फाइल) 

    राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता: कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक कस्टम अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआइआर खारिज कर दी है। पिछली सुनवाई में जस्टिस शुभ्रा घोष ने कस्टम अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआइआर पर सवाल उठाए थे। इस मामले की सुनवाई शुक्रवार को हाई कोर्ट में हुई।

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    मामले की सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच किए बिना ही एफआइआर दर्ज कर ली गई। इसके बाद, जस्टिस शुभ्रा घोष ने कस्टम अधिकारी के खिलाफ दर्ज एफआइआर खारिज करने का आदेश दिया।

    कस्टम अधिकारी का ऑटो चालकों से हुआ था झगड़ा

    बताते चलें कि महानगर से सटे दक्षिण 24 परगना जिले के सोनारपुर में एक कस्टम अधिकारी का ऑटो चालकों के साथ कार दुर्घटना को लेकर झगड़ा हुआ था। हालांकि, तीखी बहस के बाद मामला सुलझ गया। अधिकारी अपने घर चले गए। कथित तौर पर इस घटना के बाद, 50-60 उपद्रवी कस्टम अधिकारी के आवास के बाहर जमा हो गए। उन्होंने दरवाजा तोड़ दिया और आवास में घुस गए। उन्होंने भयंकर तोड़फोड़ की।

    ऑटो चालकों ने कस्टम अधिकारी को बुरी तरह पीटा

    कथित तौर पर, कस्टम अधिकारी की बुरी तरह पिटाई की गई। उनका सिर फोड़ दिया गया। आरोप है कि अधिकारी की पत्नी के साथ भी दुर्व्यवहार किया गया। कस्टम अधिकारी को गंभीर रूप से घायल अवस्था में कल्याणी एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालांकि इस घटना में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें जमानत मिल गई। इसे लेकर पुलिस को सवालों का सामना करना पड़ा।

    पुलिस ने कस्टम अधिकारी पर दर्ज की एफआइआर

    इस घटना के विरोध में कस्टम अधिकारी के खिलाफ उल्टे आरोपितों ने छेड़छाड़ के आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज करा दी थी। अधिकारी ने इसे चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इससे पहले इस मामले की सुनवाई में न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा था कि पुलिस ने सीमा शुल्क अधिकारी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करते समय किसी भी कानून का पालन नहीं किया।

    हाई कोर्ट ने FIR खारिज करने का दिया आदेश

    इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों की याद दिलाते हुए जज ने सरकारी वकील से पूछा कि क्या आपने शिकायत मिलने के तुरंत बाद प्राथमिकी दर्ज की थी? क्या आपने सर्वोच्च न्यायालय के दिशानिर्देशों के अनुसार प्रारंभिक जांच की थी? जज ने यह भी पूछा कि क्या सीमा शुल्क अधिकारी को धारा 35(3) के तहत नोटिस भेजा गया था।

    हालांकि, सरकारी वकील एक भी सवाल का जवाब नहीं दे सके। शुक्रवार को मामले की फिर से सुनवाई हुई। सुनवाई में न्यायमूर्ति शुभ्रा घोष ने सीमा शुल्क अधिकारी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने का आदेश दिया।